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देहरादून में इंटरनेशनल साइबर फ्रॉड नेटवर्क का भंडाफोड़, 4 ठग गिरफ्तार

उत्तराखंड STF और साइबर क्राइम पुलिस को बड़ी सफलता मिली है. दोनों की संयुक्त टीम ने देहरादून आईटी पार्क से चल रहे बड़े साइबर फ्रॉड नेटवर्क का भंडाफोड़ किया है. मामले में 4 ठगों को गिरफ्तार किया गया है और अन्य की तलाश जारी है.

Cyber fraud network
साइबर फ्रॉड नेटवर्क का भंडाफोड़
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Published : Jul 15, 2021, 7:01 PM IST

Updated : Jul 15, 2021, 10:55 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड में साइबर फ्रॉड मामले में एसटीएफ और साइबर क्राइम पुलिस की धरपकड़ और छापेमारी की कार्रवाई लगातार जारी है. इसी क्रम में गुरुवार को STF और साइबर क्राइम पुलिस को बड़ी सफलता मिली है. देहरादून के इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी पार्क (IT park) से संचालित हो रहे साइबर फ्रॉड नेटवर्क का संयुक्त टीम ने भंडाफोड़ किया है. मामले में छापेमारी में साइबर क्राइम गिरोह के 4 सदस्यों की गिरफ्तारी की गई है. वहीं, गिरोह में 14 फरार सदस्यों की तलाश जारी है.

एसटीएफ के मुताबिक देहरादून के आईटी पार्क के एक भवन से साइबर फ्रॉड गिरोह का संचालन किया जा रहा था. मामले में 4 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. वहीं, साइबर फ्रॉड नेटवर्क गिरोह के अन्य सदस्यों के बारे में जांच की जा रही है. मामले में एसटीएफ और साइबर क्राइम पुलिस की संयुक्त टीम द्वारा छापेमारी की कार्रवाई की गई है, जिसमें कई अहम दस्तावेज मिले हैं, जिसकी जांच की जा रही है.

देहरादून में इंटरनेशनल साइबर फ्रॉड नेटवर्क का भंडाफोड़.

गिरफ्तार अभियुक्तों की पहचान गगन पाल, सिमोन इक्का, मोनू अगरारी और दीपक दिल्ली निवासी के रूप में हुई हैं. यह चारों आरोपी डाटा कलेक्ट कर विदेशी लोगों को फोन कर झांसे में लेते थे और साइबर ठगी को अंजाम देते थे. छापेमारी के दौरान ऑफिस से 20 लैपटॉप सहित कई डेस्कटॉप और मोबाइल के साथ कई अहम डिजिटल दस्तावेज बरामद हुए हैं. फिलहाल एसटीएफ और साइबर क्राइम पुलिस इस गिरोह के अन्य सदस्यों की तलाश कर पूरे नेटवर्क की कुंडली खंगालने में जुटी है.

ये भी पढ़ें: हरियाणा से उत्तराखंड घूमने आया था युवक, शादी के नाम पर हो गई 35 हजार की ठगी

पकड़े गए चारों आरोपी इस नेटवर्क के जरिए विदेशी नागरिकों को कस्टम अधिकारी बनकर साइबर फ्रॉड को अंजाम देते थे. एसटीएफ के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर साइबर फ्रॉड करने वाला यह गिरोह अमेरिका और अन्य देश के नागरिकों को कस्टम अधिकारी बनकर उनके हवाई जहाज से आने वाले सामान को गैरकानूनी बताते थे और फिर कस्टम में फंसने और मुकदमा दर्ज कर गिरफ्तारी करने की धमकी देते थे.

वहीं, नेटवर्क की दूसरी टीम शिकंजे में फंसने वाले लोगों को 'यूएस कस्टम एंड बॉर्डर प्रोटेक्शन ऑफिस' का अधिकारी बताकर उनके खिलाफ वारंट जारी कर गिरफ्तारी की धमकी देते थे. वहीं तीसरी टीम खुद को कस्टम का लीगल एडवाइजर बताकर मामले को रफा-दफा करवाने की एवज में वर्चुअल करेंसी और बिटकॉइन के जरिए पैसे वसूलते थे.

ये भी पढ़ें: बिल्डर दीपक मित्तल के खिलाफ जारी होगा रेड कॉर्नर नोटिस, दुबई में छिपा है धोखेबाज

वहीं, गिरोह का सरगना गौरव देहरादून के सबसे महंगे पैसिफिक हिल्स अपॉर्टमेंट में रहता था. इसके अलावा मालसी डियर पार्क के नजदीक इंपीरियल हाइट्स अपार्टमेंट में 11 कमरे रेंट पर लिए गए थे, जहां नेटवर्क के अन्य सदस्य रहते थे.

डीआईजी पुलिस मुख्यालय प्रवक्ता नीलेश आनंद भरणे ने बताया कि कस्टम अधिकारी बनकर यूएस के लोगों से कस्टम में सामान फंसने के नाम पर साइबर धोखाधड़ी किया जाता था. इस गिरोह के अधिकांश सदस्य दिल्ली, हरियाणा, गाजियाबाद के बताए जा रहे हैं. उनकी तलाश की जा रही है. डीआईजी के मुताबिक देहरादून से इनका नेटवर्क चल रहा है, लेकिन मुख्य तौर पर दिल्ली से इस पूरे गिरोह का संचालन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किया जा रहा है. मुख्यतः यह गिरोह दिल्ली से ऑपरेट किया जा रहा था. इस बारे में एसटीएफ जानकारी जुटाने में जुटी है.

डीआईजी भरणे के मुताबिक ये गिरोह यूएसए नागरिकों का डाटा एकत्र करते थे. फिर कस्टम अधिकारी बनकर उनके सामान को गैरकानूनी बताते हुए वारंट निकालने और गिरफ्तारी की धमकी देते थे. जिसके बाद अपने शिकार से ये साइबर अपराधी बिटकॉइन अकाउंट और वर्चुअल अकाउंट जैसे बैंक खातों में रकम मंगाते थे. ऐसे में इस साइबर ठगी को ट्रेस करना काफी मुश्किल भरा है. इसके बावजूद उत्तराखंड एसटीएफ और साइबर क्राइम पुलिस कार्रवाई में जुटी है.

देहरादून: उत्तराखंड में साइबर फ्रॉड मामले में एसटीएफ और साइबर क्राइम पुलिस की धरपकड़ और छापेमारी की कार्रवाई लगातार जारी है. इसी क्रम में गुरुवार को STF और साइबर क्राइम पुलिस को बड़ी सफलता मिली है. देहरादून के इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी पार्क (IT park) से संचालित हो रहे साइबर फ्रॉड नेटवर्क का संयुक्त टीम ने भंडाफोड़ किया है. मामले में छापेमारी में साइबर क्राइम गिरोह के 4 सदस्यों की गिरफ्तारी की गई है. वहीं, गिरोह में 14 फरार सदस्यों की तलाश जारी है.

एसटीएफ के मुताबिक देहरादून के आईटी पार्क के एक भवन से साइबर फ्रॉड गिरोह का संचालन किया जा रहा था. मामले में 4 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. वहीं, साइबर फ्रॉड नेटवर्क गिरोह के अन्य सदस्यों के बारे में जांच की जा रही है. मामले में एसटीएफ और साइबर क्राइम पुलिस की संयुक्त टीम द्वारा छापेमारी की कार्रवाई की गई है, जिसमें कई अहम दस्तावेज मिले हैं, जिसकी जांच की जा रही है.

देहरादून में इंटरनेशनल साइबर फ्रॉड नेटवर्क का भंडाफोड़.

गिरफ्तार अभियुक्तों की पहचान गगन पाल, सिमोन इक्का, मोनू अगरारी और दीपक दिल्ली निवासी के रूप में हुई हैं. यह चारों आरोपी डाटा कलेक्ट कर विदेशी लोगों को फोन कर झांसे में लेते थे और साइबर ठगी को अंजाम देते थे. छापेमारी के दौरान ऑफिस से 20 लैपटॉप सहित कई डेस्कटॉप और मोबाइल के साथ कई अहम डिजिटल दस्तावेज बरामद हुए हैं. फिलहाल एसटीएफ और साइबर क्राइम पुलिस इस गिरोह के अन्य सदस्यों की तलाश कर पूरे नेटवर्क की कुंडली खंगालने में जुटी है.

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पकड़े गए चारों आरोपी इस नेटवर्क के जरिए विदेशी नागरिकों को कस्टम अधिकारी बनकर साइबर फ्रॉड को अंजाम देते थे. एसटीएफ के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर साइबर फ्रॉड करने वाला यह गिरोह अमेरिका और अन्य देश के नागरिकों को कस्टम अधिकारी बनकर उनके हवाई जहाज से आने वाले सामान को गैरकानूनी बताते थे और फिर कस्टम में फंसने और मुकदमा दर्ज कर गिरफ्तारी करने की धमकी देते थे.

वहीं, नेटवर्क की दूसरी टीम शिकंजे में फंसने वाले लोगों को 'यूएस कस्टम एंड बॉर्डर प्रोटेक्शन ऑफिस' का अधिकारी बताकर उनके खिलाफ वारंट जारी कर गिरफ्तारी की धमकी देते थे. वहीं तीसरी टीम खुद को कस्टम का लीगल एडवाइजर बताकर मामले को रफा-दफा करवाने की एवज में वर्चुअल करेंसी और बिटकॉइन के जरिए पैसे वसूलते थे.

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वहीं, गिरोह का सरगना गौरव देहरादून के सबसे महंगे पैसिफिक हिल्स अपॉर्टमेंट में रहता था. इसके अलावा मालसी डियर पार्क के नजदीक इंपीरियल हाइट्स अपार्टमेंट में 11 कमरे रेंट पर लिए गए थे, जहां नेटवर्क के अन्य सदस्य रहते थे.

डीआईजी पुलिस मुख्यालय प्रवक्ता नीलेश आनंद भरणे ने बताया कि कस्टम अधिकारी बनकर यूएस के लोगों से कस्टम में सामान फंसने के नाम पर साइबर धोखाधड़ी किया जाता था. इस गिरोह के अधिकांश सदस्य दिल्ली, हरियाणा, गाजियाबाद के बताए जा रहे हैं. उनकी तलाश की जा रही है. डीआईजी के मुताबिक देहरादून से इनका नेटवर्क चल रहा है, लेकिन मुख्य तौर पर दिल्ली से इस पूरे गिरोह का संचालन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किया जा रहा है. मुख्यतः यह गिरोह दिल्ली से ऑपरेट किया जा रहा था. इस बारे में एसटीएफ जानकारी जुटाने में जुटी है.

डीआईजी भरणे के मुताबिक ये गिरोह यूएसए नागरिकों का डाटा एकत्र करते थे. फिर कस्टम अधिकारी बनकर उनके सामान को गैरकानूनी बताते हुए वारंट निकालने और गिरफ्तारी की धमकी देते थे. जिसके बाद अपने शिकार से ये साइबर अपराधी बिटकॉइन अकाउंट और वर्चुअल अकाउंट जैसे बैंक खातों में रकम मंगाते थे. ऐसे में इस साइबर ठगी को ट्रेस करना काफी मुश्किल भरा है. इसके बावजूद उत्तराखंड एसटीएफ और साइबर क्राइम पुलिस कार्रवाई में जुटी है.

Last Updated : Jul 15, 2021, 10:55 PM IST
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