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14 महीने तक CM का आदेश टालते रहे अधिकारी, CS ने दिया अल्टीमेटम

पीडब्ल्यूडी मामले पर मुख्य सचिव ने विभागीय अधिकारियों को अघोषित चेतावनी दी है. साथ ही उन्होंने कहा कि कुछ दिनों में ई-ऑफिस स्थापित हो जाएगा. ई-ऑफिस स्थापित होने के बाद जानकारियां तत्काल उपलब्ध हो सकेंगी.

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PWD में 14 महीने बाद भी CM के आदेश पर नहीं हुआ अमल
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Published : Aug 6, 2020, 6:01 PM IST

Updated : Aug 7, 2020, 10:34 AM IST

देहरादून: उत्तराखंड में अधिकारियों की कार्यप्रणाली और आदेशों की नाफरमानी का ताजा उदाहरण लोक निर्माण विभाग में देखने को मिला है. यहां सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के आदेशों को भी विभागीय अधिकारी में हल्के में लिया है. विभाग में सीएम के अप्रूवल के बाद भी इंजीनियरों के खिलाफ प्रतिकूल प्रविष्टि की फाइल 14 महीने दबी रही. वो भी तब जब सीएम का कार्यालय विभाग से महज कुछ ही मीटर की दूरी पर है. इसे सरकारी मशीनरी की कार्यप्रणाली कहें या लापरवाही कि एक फाइल को एक तल से दूसरे तल तक पहुंचने में महीनों लग गये. हालांकि, अब इस मामले में विभाग ने कदम उठाया है.

बता दें कि पिछले साल मई महीने में सड़क निर्माण में लापरवाही बरतने को लेकर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने लोक निर्माण विभाग के एक अधीक्षण अभियंता और एक अधिशासी अभियंता को प्रतिकूल प्रविष्टि देने का आदेश दिया था, लेकिन इस मामले के 14 महीने बीत जाने के बाद भी मुख्यमंत्री के आदेश पर अमल नहीं हो पाया. अब लंबे समय बाद इस मामले की फाइल मुख्यमंत्री के सामने आई है, जिस पर सीएम ने नाराजगी जताते हुए कार्रवाई के निर्देश दिए हैं. लिहाजा लोक निर्माण विभाग के दो अन्य भागों में बदलाव की तैयारी है.

CS ने अधिकारियों को दिया अल्टीमेटम.

पढ़ें- प्रदेश में अभी होम आइसोलेशन की नहीं है जरूरत: मुख्य सचिव ओम प्रकाश

इस मसले पर मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने बताया कि पीडब्ल्यूडी का मामला गंभीर प्रवृत्ति का है, जिसमें मुख्यमंत्री और अपर मुख्य सचिव के आदेश के बाद भी यह मामला 14 महीने तक पेंडिंग रहा है. हालांकि, उन दोनों पीडब्ल्यूडी इंजीनियरों के विरुद्ध कारवाई हुई है. अब जांच की कार्रवाई होगी. मुख्य सचिव ने कहा कि बाकी लोगों के लिए यह एक संदेश है और एक अघोषित चेतावनी भी है. ऐसे में उम्मीद है कि अब अधिकारियों की कार्यशैली और कार्य पद्धति में सुधार आएगा.

पढ़ें- भारत-चीन सीमा पर तैनात 35 जवान कोरोना संक्रमित, इलाज जारी

जल्द होगी ई-आफिस की स्थापना
वहीं, मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने बताया कि ई-ऑफिस कुछ दिनों में स्थापित हो जाएगा. ई-ऑफिस स्थापित होने के बाद जानकारियां तत्काल उपलब्ध हो सकेंगी. साथ ही कौन-कौन से मामले लंबित हैं ये जानने में भी आसानी होगी. अभी मौजूदा समय में मैनुअली लंबित पड़े मामले को देखने में काफी समय लग जाता है. ई-ऑफिस स्थापित हो जाने के बाद लंबित पड़े मामलों को सुलझाने में गति आएगी.

देहरादून: उत्तराखंड में अधिकारियों की कार्यप्रणाली और आदेशों की नाफरमानी का ताजा उदाहरण लोक निर्माण विभाग में देखने को मिला है. यहां सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के आदेशों को भी विभागीय अधिकारी में हल्के में लिया है. विभाग में सीएम के अप्रूवल के बाद भी इंजीनियरों के खिलाफ प्रतिकूल प्रविष्टि की फाइल 14 महीने दबी रही. वो भी तब जब सीएम का कार्यालय विभाग से महज कुछ ही मीटर की दूरी पर है. इसे सरकारी मशीनरी की कार्यप्रणाली कहें या लापरवाही कि एक फाइल को एक तल से दूसरे तल तक पहुंचने में महीनों लग गये. हालांकि, अब इस मामले में विभाग ने कदम उठाया है.

बता दें कि पिछले साल मई महीने में सड़क निर्माण में लापरवाही बरतने को लेकर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने लोक निर्माण विभाग के एक अधीक्षण अभियंता और एक अधिशासी अभियंता को प्रतिकूल प्रविष्टि देने का आदेश दिया था, लेकिन इस मामले के 14 महीने बीत जाने के बाद भी मुख्यमंत्री के आदेश पर अमल नहीं हो पाया. अब लंबे समय बाद इस मामले की फाइल मुख्यमंत्री के सामने आई है, जिस पर सीएम ने नाराजगी जताते हुए कार्रवाई के निर्देश दिए हैं. लिहाजा लोक निर्माण विभाग के दो अन्य भागों में बदलाव की तैयारी है.

CS ने अधिकारियों को दिया अल्टीमेटम.

पढ़ें- प्रदेश में अभी होम आइसोलेशन की नहीं है जरूरत: मुख्य सचिव ओम प्रकाश

इस मसले पर मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने बताया कि पीडब्ल्यूडी का मामला गंभीर प्रवृत्ति का है, जिसमें मुख्यमंत्री और अपर मुख्य सचिव के आदेश के बाद भी यह मामला 14 महीने तक पेंडिंग रहा है. हालांकि, उन दोनों पीडब्ल्यूडी इंजीनियरों के विरुद्ध कारवाई हुई है. अब जांच की कार्रवाई होगी. मुख्य सचिव ने कहा कि बाकी लोगों के लिए यह एक संदेश है और एक अघोषित चेतावनी भी है. ऐसे में उम्मीद है कि अब अधिकारियों की कार्यशैली और कार्य पद्धति में सुधार आएगा.

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जल्द होगी ई-आफिस की स्थापना
वहीं, मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने बताया कि ई-ऑफिस कुछ दिनों में स्थापित हो जाएगा. ई-ऑफिस स्थापित होने के बाद जानकारियां तत्काल उपलब्ध हो सकेंगी. साथ ही कौन-कौन से मामले लंबित हैं ये जानने में भी आसानी होगी. अभी मौजूदा समय में मैनुअली लंबित पड़े मामले को देखने में काफी समय लग जाता है. ई-ऑफिस स्थापित हो जाने के बाद लंबित पड़े मामलों को सुलझाने में गति आएगी.

Last Updated : Aug 7, 2020, 10:34 AM IST
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