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उत्तराखंड में कोरोना का 'कोहराम', सचिवालय के काम में कई बदलाव

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Published : Jun 13, 2020, 4:17 PM IST

Updated : Jun 13, 2020, 7:59 PM IST

उत्तराखंड सचिवालय जहां से पूरे उत्तराखंड पर नजर रखी जाती है, इन हालात में सचिवालय में क्या कुछ बदलाव हुए हैं, जानिए रिपोर्ट में...

Uttarakhand Secretariat
सचिवालय के काम में कई बदलाव.

देहरादून: उत्तराखंड में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच हमारे जीवनशैली में कई बदलाव हुए हैं. कोरोना से बचाव के लिए ये परिवर्तन महज विकल्प ही नहीं बल्कि सुरक्षा के लिए बेहद जरूरी हैं. ऐसे में उत्तराखंड सचिवालय जहां से पूरे प्रदेश पर नजर रखी जाती है. इन हालात में सचिवालय में क्या कुछ बदलाव हुए हैं, जानिए हमारी इस रिपोर्ट में...

कोरोना से सचिवालय के काम में कई बदलाव.

पूरे राज्य पर नजर

उत्तराखंड में कोरोना का पहला मामला मार्च में आया था. शुरूआत में कोरोना की रफ्तार बेहद थीमी थी. लेकिन मौजूदा समय में उत्तराखंड में 17 सौ से अधिक पॉजिटिव मरीज मिल चुके हैं. ऐसे में राज्य के हालात पर नजर रखने के लिए सचिवालय में एक कंट्रोल रूम बनाया गया है. जहां से पूरे राज्य पर नजर रखी जाती है. हर दिन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जिलों के अधिकारियों को सचिवालय से निर्देश दिए जाते हैं और ताजा मामलों की समीक्षा की जाती है. 24 मार्च से 3 मई तक के लॉकडाउन के बाद जब हालात सामान्य हुए तो उत्तराखंड सचिवालय को भी खोल दिया गया. हालांकि शुरू में उच्च अधिकारियों के अलावा छोटे कर्मचारियों की उपस्थिति को केवल 33 प्रतिशत ही रखा गया और धीरे-धीरे कर्मचारियों की संख्या बढ़ाई गई.

ये भी पढ़ें: कैडेट्स ने बढ़ाया सेना की ओर 'प्रथम पग', पुशअप के जरिये किया खुशी का इजहार

थर्मल स्क्रीनिंग अनिवार्य

लॉकडाउन में मिली छूट के बाद सचिवालय में थर्मल स्क्रीनिंग को अनिवार्य कर दिया गया. 8 मई 2020 को जारी हुए शासनादेश में सचिवालय में प्रवेश करने से पहले हर अधिकारी, कर्मचारी, विजिटर्स और वाहन चालकों की थर्मल स्क्रीनिंग को अनिवार्य किया गया है.

फाइल-कमरें हो रहे सैनिटाइज

कोरोना के खतरे के बीच उत्तराखंड सचिवालय में सैनिटाइजेशन नियमित होती रहती है. सचिवालय के हर एक ब्लॉक के सभी कमरों और अधिकारियों के पास जाने वालीं फाइलों को भी सैनिटाइज किया जा रहा है. इन फाइलों के लिए खास केमिकल का इस्तेमाल किया जा रहा है, ताकि फाइलों में रखे कागजों को कोई नुकसान ना पहुंचे.

सचिवालय में बदले नियम

सचिवालय में काम करने के साथ-साथ प्रवेश के नियमों में भी बदलाव किया गया. शुरुआत में 33 प्रतिशत कर्मचारियों के साथ काम की शुरुआत की गई. इस दौरान महिलाओं और बुजुर्गों को रियायत दी गई. वहीं, सचिवालय में प्रवेश के लिए पर्ची सिस्टम को खत्म कर दिया गया. विजिटर्स के लिए ऑनलाइन आवेदन के प्रवेश की सुविधा का प्रावधान किया गया.

ये भी पढ़ें: खटीमा: यूपी-उत्तराखंड वन अधिकारियों की संयुक्त बैठक में बाघों के संरक्षण पर हुई चर्चा

फिजूलखर्ची में कटौती

कोरोना से जारी जंग में राज्य के वित्तीय प्रबंधन को सुधारने के लिए शासन द्वारा उत्तराखंड सचिवालय के कई खर्चों पर कैंची चलाई गई. जिसमें कर्मचारियों को दिए जाने वाले कई अतिरिक्त फायदे और निचले स्तर की नियुक्तियों पर रोक लगाई गई है. इसके साथ ही वेतन वृद्धि और प्रमोशन को भी फिलहाल रोका गया है.

सचिवालय में कोरोना की दस्तक

उत्तराखंड में कोरोना वायरस की जंग में सचिवालय बड़ी भूमिका निभा रहा है. हालांकि इस लड़ाई में सचिवालय ज्यादा देर तक सुरक्षित नहीं रह सका. 29 मई को कैबिनेट की बैठक में मौजूद रहे कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज के कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद पूरे सचिवालय में हड़कंप मच गया. साथ ही कई ऐसे भी कर्मचारी सामने आए हैं, जिनके परिजन या संपर्क के लोग पॉजिटिव पाए गए हैं. वहीं, उच्च शिक्षा विभाग और राज्य संपति विभाग में ऐसे कर्मचारी सामने आ चुके हैं, जिनके परिजन कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं.

बाहरी लोगों के प्रवेश पर रोक

सतपाल महाराज और राज्य सचिवालय में एक कर्मचारी के भाई के कोरोना संक्रमित पाए जाने के बाद सचिवालय में दहशत का माहौल है. सचिवालय में बाहरी लोगों के प्रवेश पर पाबंदी लगा दी गई है. यह पाबंदी विधानसभा में प्रवेश पर भी रहेगी. केवल जरूरी परिस्थितियों में स्थितियों में सचिव की हस्ताक्षरित और मुहर लगी पर्ची पर प्रवेश की इजाजत मिलेगी.

सरकार कोरोना पर सख्त

उत्तराखंड में बाहर से आने वाले लोगों के लिए क्वारंटाइन अनिवार्य किया गया है. इस दौरान सभी को आरोग्य सेतु ऐप रखना जरूरी होगा. प्रदेश में कोरोना से संबंधित नियमों का पालन न करने पर कड़ी कानूनी कार्रवाई होगी. क्वारंटाइन नियमों के उल्लंघन और फेस मास्क न लगाने वाले लोगों को जुर्माना और जेल दोनों हो सकता है. प्रदेश में फेस मास्क, क्वारंटाइन और सोशल डिस्टेंसिंग जैसे नियमों के उल्लंघन पर अधिकतम 6 महीने की सजा और 5 हजार रुपए की जुर्माने की व्यवस्था की गई है.

देहरादून: उत्तराखंड में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच हमारे जीवनशैली में कई बदलाव हुए हैं. कोरोना से बचाव के लिए ये परिवर्तन महज विकल्प ही नहीं बल्कि सुरक्षा के लिए बेहद जरूरी हैं. ऐसे में उत्तराखंड सचिवालय जहां से पूरे प्रदेश पर नजर रखी जाती है. इन हालात में सचिवालय में क्या कुछ बदलाव हुए हैं, जानिए हमारी इस रिपोर्ट में...

कोरोना से सचिवालय के काम में कई बदलाव.

पूरे राज्य पर नजर

उत्तराखंड में कोरोना का पहला मामला मार्च में आया था. शुरूआत में कोरोना की रफ्तार बेहद थीमी थी. लेकिन मौजूदा समय में उत्तराखंड में 17 सौ से अधिक पॉजिटिव मरीज मिल चुके हैं. ऐसे में राज्य के हालात पर नजर रखने के लिए सचिवालय में एक कंट्रोल रूम बनाया गया है. जहां से पूरे राज्य पर नजर रखी जाती है. हर दिन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जिलों के अधिकारियों को सचिवालय से निर्देश दिए जाते हैं और ताजा मामलों की समीक्षा की जाती है. 24 मार्च से 3 मई तक के लॉकडाउन के बाद जब हालात सामान्य हुए तो उत्तराखंड सचिवालय को भी खोल दिया गया. हालांकि शुरू में उच्च अधिकारियों के अलावा छोटे कर्मचारियों की उपस्थिति को केवल 33 प्रतिशत ही रखा गया और धीरे-धीरे कर्मचारियों की संख्या बढ़ाई गई.

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थर्मल स्क्रीनिंग अनिवार्य

लॉकडाउन में मिली छूट के बाद सचिवालय में थर्मल स्क्रीनिंग को अनिवार्य कर दिया गया. 8 मई 2020 को जारी हुए शासनादेश में सचिवालय में प्रवेश करने से पहले हर अधिकारी, कर्मचारी, विजिटर्स और वाहन चालकों की थर्मल स्क्रीनिंग को अनिवार्य किया गया है.

फाइल-कमरें हो रहे सैनिटाइज

कोरोना के खतरे के बीच उत्तराखंड सचिवालय में सैनिटाइजेशन नियमित होती रहती है. सचिवालय के हर एक ब्लॉक के सभी कमरों और अधिकारियों के पास जाने वालीं फाइलों को भी सैनिटाइज किया जा रहा है. इन फाइलों के लिए खास केमिकल का इस्तेमाल किया जा रहा है, ताकि फाइलों में रखे कागजों को कोई नुकसान ना पहुंचे.

सचिवालय में बदले नियम

सचिवालय में काम करने के साथ-साथ प्रवेश के नियमों में भी बदलाव किया गया. शुरुआत में 33 प्रतिशत कर्मचारियों के साथ काम की शुरुआत की गई. इस दौरान महिलाओं और बुजुर्गों को रियायत दी गई. वहीं, सचिवालय में प्रवेश के लिए पर्ची सिस्टम को खत्म कर दिया गया. विजिटर्स के लिए ऑनलाइन आवेदन के प्रवेश की सुविधा का प्रावधान किया गया.

ये भी पढ़ें: खटीमा: यूपी-उत्तराखंड वन अधिकारियों की संयुक्त बैठक में बाघों के संरक्षण पर हुई चर्चा

फिजूलखर्ची में कटौती

कोरोना से जारी जंग में राज्य के वित्तीय प्रबंधन को सुधारने के लिए शासन द्वारा उत्तराखंड सचिवालय के कई खर्चों पर कैंची चलाई गई. जिसमें कर्मचारियों को दिए जाने वाले कई अतिरिक्त फायदे और निचले स्तर की नियुक्तियों पर रोक लगाई गई है. इसके साथ ही वेतन वृद्धि और प्रमोशन को भी फिलहाल रोका गया है.

सचिवालय में कोरोना की दस्तक

उत्तराखंड में कोरोना वायरस की जंग में सचिवालय बड़ी भूमिका निभा रहा है. हालांकि इस लड़ाई में सचिवालय ज्यादा देर तक सुरक्षित नहीं रह सका. 29 मई को कैबिनेट की बैठक में मौजूद रहे कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज के कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद पूरे सचिवालय में हड़कंप मच गया. साथ ही कई ऐसे भी कर्मचारी सामने आए हैं, जिनके परिजन या संपर्क के लोग पॉजिटिव पाए गए हैं. वहीं, उच्च शिक्षा विभाग और राज्य संपति विभाग में ऐसे कर्मचारी सामने आ चुके हैं, जिनके परिजन कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं.

बाहरी लोगों के प्रवेश पर रोक

सतपाल महाराज और राज्य सचिवालय में एक कर्मचारी के भाई के कोरोना संक्रमित पाए जाने के बाद सचिवालय में दहशत का माहौल है. सचिवालय में बाहरी लोगों के प्रवेश पर पाबंदी लगा दी गई है. यह पाबंदी विधानसभा में प्रवेश पर भी रहेगी. केवल जरूरी परिस्थितियों में स्थितियों में सचिव की हस्ताक्षरित और मुहर लगी पर्ची पर प्रवेश की इजाजत मिलेगी.

सरकार कोरोना पर सख्त

उत्तराखंड में बाहर से आने वाले लोगों के लिए क्वारंटाइन अनिवार्य किया गया है. इस दौरान सभी को आरोग्य सेतु ऐप रखना जरूरी होगा. प्रदेश में कोरोना से संबंधित नियमों का पालन न करने पर कड़ी कानूनी कार्रवाई होगी. क्वारंटाइन नियमों के उल्लंघन और फेस मास्क न लगाने वाले लोगों को जुर्माना और जेल दोनों हो सकता है. प्रदेश में फेस मास्क, क्वारंटाइन और सोशल डिस्टेंसिंग जैसे नियमों के उल्लंघन पर अधिकतम 6 महीने की सजा और 5 हजार रुपए की जुर्माने की व्यवस्था की गई है.

Last Updated : Jun 13, 2020, 7:59 PM IST
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