हरिद्वार: धर्मनगरी हरिद्वार में संपन्न हुआ कुंभ अपनी शुरुआत के साथ ही सुर्खियों में छाया रहा. अपनी समाप्ति के 46 दिन बाद एक बार फिर कुंभ पूरे देश की सुर्खियों में छाया हुआ है. दरअसल, हरिद्वार कुंभ (Haridwar Kumbh 2021) के दौरान किए गये कोरोना टेस्ट पर अब सवाल उठ रहे हैं.
बता दें कि कुंभ मेला 2021 के दौरान हरिद्वार आने वाले श्रद्धालुओं की एक प्राइवेट लैब द्वारा की गई कोरोना जांच अब सवालों के घेरे में आ गई है. क्योंकि कुंभ मेले के दौरान किए गए 1 लाख कोरोना टेस्ट रिपोर्ट फर्जी मिले हैं. प्राइवेट लैब द्वारा फर्जी तरीके से श्रद्धालुओं की जांच कर कुंभ मेला प्रशासन को लाखों रुपए का चूना लगाने का प्रयास किया गया है. इस प्राइवेट लैब द्वारा एक ही फोन नंबर को कई श्रद्धालुओं की जांच रिपोर्ट में डाला गया है.
यही नहीं, कई जांच रिपोर्ट में एक ही आधार नंबर का इस्तेमाल किया गया है. वहीं, एक ही घर से सैकड़ों लोगों की जांच का मामला भी सामने आया है, जो असंभव सा लगता है, क्योंकि सैकड़ों लोगों की रिपोर्ट में घर का एक ही पता डाला गया है. अब इस मामले में हरिद्वार जिलाधिकारी सी रविशंकर ने जांच कमेटी का गठन कर 15 दिन में रिपोर्ट पेश के आदेश दिए हैं.
क्या हैं आरोप
कुंभ मेले के दौरान आने वाले यात्रियों और साधु-संतों की बड़े पैमाने पर कोरोना जांच की गई. लेकिन, इस जांच के नाम पर एक निजी लैब द्वारा बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा सामने आया है. कुंभ मेले में एक अप्रैल से 30 अप्रैल तक करीब 4 लाख लोगों की कोरोना जांच की गई और इनमें करीब एक लाख लोगों की कोरोना जांच में फर्जीवाड़ा किए जाने की जानकारी सामने आ रही है. हरिद्वार कुंभ में करीब 22 लैब अधिकृत की गई थीं. इसमें जिला स्वास्थ्य विभाग द्वारा 13 और मेला स्वास्थ्य विभाग द्वारा 9 लैब का अधिग्रहण किया गया था.
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ऐसे हुआ खुलासा
हरिद्वार कुंभ में हुए टेस्ट के घपले का खुलासा ऐसे ही नहीं हुआ. स्वास्थ्य विभाग के सूत्र बताते हैं यह कहानी शुरू हुई पंजाब के फरीदकोट से. यहां रहने वाले एक शख्स विपन मित्तल की वजह से कुंभ में कोविड जांच घोटाले की पोल खुल सकी. एलआईसी एजेंट विपन मित्तल को उत्तराखंड की एक लैब से फोन आता है, जिसमें यह कहा जाता है कि 'आप की रिपोर्ट निगेटिव आई है', जिसके बाद विपन कॉलर को जवाब देता है कि उसका तो कोई कोरोना टेस्ट हुआ ही नहीं है तो रिपोर्ट भला कैसे निगेटिव आ गई. फोन आने के बाद विपन ने फौरन स्थानीय अधिकारियों को मामले की जानकारी दी. स्थानीय अधिकारियों के ढुलमुल रवैए को देखते हुए पीड़ित शख्स ने तुरंत भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) से शिकायत की. ICMR ने घटना को गंभीरता से लेते हुए उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग से जवाब मांगा.
उत्तराखंड सरकार से होते हुए ये शिकायत स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी के पास पहुंची. जब उन्होंने पूरे मामले की जांच करायी तो बेहद चौंकाने वाले खुलासे हुए. स्वास्थ्य विभाग ने पंजाब फोन करने वाले शख्स से जुड़ी लैब की जांच की तो परत-दर-परत पोल खुलती गई. जांच में एक लाख कोरोना रिपोर्ट फर्जी पाए गए.
एक किट से हुई 700 से अधिक सैंपलिंग
स्वास्थ्य विभाग से जुड़े सूत्र बताते हैं कि एक ही एंटीजन टेस्ट किट से 700 सैंपल्स की टेस्टिंग की गई थी. इसके साथ ही टेस्टिंग लिस्ट में सैकड़ों व्यक्तियों के नाम पर एक ही फोन नंबर अंकित था. स्वास्थ्य विभाग की जांच में दूसरे लैब का भी यही हाल सामने आता है. जांच के दौरान लैब में लोगों के नाम-पते और मोबाइल नंबर फर्जी पाए गए हैं. इसके बाद यह मामला साफ हो गया कि कुंभ मेले में फर्जी तरीके से कोविड-19 टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव बनाकर आंखों में धूल झोंकने का काम किया गया है.
एक ही घर से लिए गए थे 530 सैंपल
जांच से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि पते और नाम फर्जी थे. हरिद्वार में हाउस नंबर 5 से ही करीब 530 सैंपल लिए गए. क्या एक ही घर में 500 से ज्यादा लोग रह सकते हैं? उन्होंने कहा कि फोन नंबर भी फर्जी थे और कानपुर, मुंबई, अहमदाबाद और 18 अन्य स्थानों के लोगों ने एक ही फोन नंबर शेयर किए. हरिद्वार स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि एजेंसी को इन इकट्ठे किए गए सैंपल्स को दो प्राइवेट लैब्स में जमा करना था, जिनकी जांच भी की जा रही है.
कुंभ के दौरान 50 हजार टेस्ट के थे निर्देश
कुंभ के दौरान उत्तराखंड हाईकोर्ट की तरफ से रोजाना कम से कम 50,000 कोरोना टेस्ट करने का निर्देश देने के बाद राज्य सरकार की ओर से आठ और सैंपल कलेक्टर एजेंसियों को टेस्टिंग करने का काम सौंपा गया था. जांच के तहत एजेंसी की तरफ से किए गए 1 लाख कोरोना टेस्ट में से 0.18 प्रतिशत पॉजिटिविटी रेट के साथ 177 पॉजिटिव निकले थे. इसके विपरीत अप्रैल में हरिद्वार में पॉजिटिविटी रेट 10 फीसदी तक चला गया था.
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उस समय डीएम ने स्वास्थ्य विभाग को सख्त निर्देश जारी किए थे कि टेस्ट कराने वाले का नाम-पता और फोन नंबर अनिवार्य रूप से दर्ज किया जाए. बावजूद इसके निजी लैब ने बड़ा फर्जीवाड़ा किया है. जिलाधिकारी सी. रविशंकर का कहना है कि जांच रिपोर्ट में जो भी तथ्य आएंगे, उसके आधार पर दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी.
कुंभ में कोरोना टेस्ट के नाम पर करोड़ों का घोटाला
स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक एजेंसी को एक टेस्ट के लिए 350 रुपये से ज्यादा का भुगतान किया गया था, जिसका मतलब है कि घोटाला करोड़ों में हुआ है. प्राथमिक जांच में हुए खुलासे के बाद स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी ने जांच रिपोर्ट हरिद्वार डीएम को भेज दी है. नेगी ने कहा कि डीएम से 15 दिनों में विस्तृत रिपोर्ट मिलने के बाद हम कार्रवाई करेंगे. इस बीच, हरिद्वार के जिला मजिस्ट्रेट सी. रविशंकर के आदेश के अनुसार जांच चल रही है और सभी एजेंसियों के लंबित भुगतान को अगली सूचना तक रोक दिया गया है.
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने सरकार पर साधा निशाना
हरिद्वार कुंभ में फर्जी कोरोना रिपोर्ट सामने आने के बाद से विपक्ष लगातार सरकार पर हमला कर रहा है. पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने ट्वीट करते हुए कहा कि,
'कुंभ के दौरान कोरोना टेस्ट को लेकर विभागीय जांच में यह फर्जीवाड़ा सामने आया है. इससे पहले इसी तरीके का फर्जीवाड़ा रुद्रपुर में सामने आया है. फर्जीवाड़ा उत्तराखंड का स्वभाव नहीं हैं, ये कौन लोग हैं! जो हमारे राज्य को कंलकित कर रहे हैं. ऐसे लोग के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए और मैं सीएम तीरथ सिंह रावत से जल्द कार्रवाई करने की मांग करता हूं'.
CMO ने झाड़ा पल्ला
इस प्रकरण पर हरिद्वार कुंभ में मेलाधिकारी स्वास्थ्य का कार्यभार संभालने वाले डॉ. अर्जुन सेंगर का कहना है कि कुंभ मेले के दौरान प्राइवेट लैब पैनलबद्ध थी. सीएमओ और स्वास्थ्य विभाग की जांच में पाया गया है कि किसी लैब द्वारा गलत डाटा उपलब्ध कराया गया है. इस मामले में विभाग द्वारा जांच की जा रही है. वहीं, हरिद्वार सीएमओ शंभूनाथ झा ने मामले से पल्ला झाड़ते हुए कहा कि अभी जांच चल ही है, जो भी रिपोर्ट सामने आएगी, उस आधार पर कार्रवाई होगी.