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ब्रह्म मुहूर्त में खुले आदिबदरी के कपाट, 11 महीने तक श्रद्धालु कर सकेंगे दर्शन

पंच बदरी में शामिल भगवान आदिबदरी धाम के कपाट पूरे विधि-विधान के साथ खोल दिए गए हैं. इस मंदिर के कपाट एक महीने के लिए बंद होते हैं.

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आदिबदरी मंदिर
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Published : Jan 15, 2020, 12:52 PM IST

चमोलीः भगवान आदिबदरी धाम के कपाट मकर संक्रांति के पर्व पर पूरे विधि-विधान के साथ सुबह 4 बजे ब्रह्म मुहूर्त में खोल दिए गए हैं. अब श्रद्धालु आगामी 11 महीने तक भगवान आदिबदरी के दर्शन कर सकेंगे. इस मंदिर का कपाट पौष महीने यानी एक महीने के लिए बंद किया जाता है. वहीं, धाम को दो क्विंटल गेंदे के फूलों से भव्य तरीके से सजाया गया है.

विधि-विधान के साथ खुले भगवान आदिबदरी मंदिर के कपाट.

मकर संक्रांति के मौके पर ब्रह्म मुहूर्त में सुबह 4 बजे भगवान नारायण की मूर्ति का प्रथम श्रृंगार मंदिर के पुजारी चक्रधर थपलियाल ने किया. श्रृंगार से पहले भगवान आदिबदरी के स्नान के लिए सप्तशिंधु के जल को सात कलशों में रखा गया. साथ ही भगवान को नए पीत वस्त्र, मुकुट और छत्र भी पहनाए गए. जिसके बाद पारंपरिक तरीके से मंदिर के कपाट खोल दिए गए. इस मंदिर के कपाट को एक महीने के लिए बंद कर दिया जाता है.

ये भी पढ़ेंः कुमाऊं में घुघुतिया त्योहार की धूम, पर्व की ये है रोचक कथा

वहीं, मंदिर समिति की ओर से गर्भ गृह में भगवान के श्रृंगार दर्शन के लिए श्रद्धालुओं के लिए विशेष व्यवस्था की गई है. जबकि, इस पल का साक्षी बनने के लिए दूर-दूर काफी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे. एक हफ्ते तक चलने वाले धार्मिक कार्यक्रमों और वार्षिक महाभिषेक की तैयारियां भी पूरी कर ली गई हैं. जबकि, समारोह में अगले सात दिनों तक अनेक धार्मिक अनुष्ठान और भागवत कथा का भी आयोजन किया जाएगा.

चमोलीः भगवान आदिबदरी धाम के कपाट मकर संक्रांति के पर्व पर पूरे विधि-विधान के साथ सुबह 4 बजे ब्रह्म मुहूर्त में खोल दिए गए हैं. अब श्रद्धालु आगामी 11 महीने तक भगवान आदिबदरी के दर्शन कर सकेंगे. इस मंदिर का कपाट पौष महीने यानी एक महीने के लिए बंद किया जाता है. वहीं, धाम को दो क्विंटल गेंदे के फूलों से भव्य तरीके से सजाया गया है.

विधि-विधान के साथ खुले भगवान आदिबदरी मंदिर के कपाट.

मकर संक्रांति के मौके पर ब्रह्म मुहूर्त में सुबह 4 बजे भगवान नारायण की मूर्ति का प्रथम श्रृंगार मंदिर के पुजारी चक्रधर थपलियाल ने किया. श्रृंगार से पहले भगवान आदिबदरी के स्नान के लिए सप्तशिंधु के जल को सात कलशों में रखा गया. साथ ही भगवान को नए पीत वस्त्र, मुकुट और छत्र भी पहनाए गए. जिसके बाद पारंपरिक तरीके से मंदिर के कपाट खोल दिए गए. इस मंदिर के कपाट को एक महीने के लिए बंद कर दिया जाता है.

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वहीं, मंदिर समिति की ओर से गर्भ गृह में भगवान के श्रृंगार दर्शन के लिए श्रद्धालुओं के लिए विशेष व्यवस्था की गई है. जबकि, इस पल का साक्षी बनने के लिए दूर-दूर काफी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे. एक हफ्ते तक चलने वाले धार्मिक कार्यक्रमों और वार्षिक महाभिषेक की तैयारियां भी पूरी कर ली गई हैं. जबकि, समारोह में अगले सात दिनों तक अनेक धार्मिक अनुष्ठान और भागवत कथा का भी आयोजन किया जाएगा.

Intro:
पंच बद्रियों में से एक भगवान आदिबद्री धाम के कपाट मकर संक्रांति के पर्व पर आज सुबह 4 बजे ब्रह्ममूर्त में खोल दिये गए हैlकपाट खुलने के अवसर पर भगवान आदिबद्री धाम को गेंदे के फूलों से भव्य तरीके से सजाया गया है । कपाट खुलने के बाद मंदिर में धार्मिक कार्यक्रम के साथ -साथ भागवत कथा का भी आयोजन होगा।


बाइट-- चक्रधर थपलियाल पुजारी।

बाइट - श्रद्धालु।Body:बीते वर्षो की भांति इस वर्ष भी भगवान आदिबद्री मंदिर के कपाट पौष माह में बन्द रहने के पश्चात मकर संक्रान्ति को ब्रहम मुहूर्त में श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए है।

ब्रह्म मुहूर्त में सुबह 4 बजे भगवान नारायण की मूर्ति का प्रथम श्रृगार मंदिर के पुजारी चक्रधर थपलियाल द्वारा किया गया। श्रृगार से पूर्व भगवान आदिबदरी के स्नान के लिए सप्तशिन्धु के जल को सात कलशों में रखा गया,भगवान काे नये पीत वस्त्र , मुकुट, और छत्र भी पहनाया गया।मन्दिर समिति की ओर से गर्भ गृह में भगवान के श्रृगार दर्शन के लिए श्रृद्धालुओं काे विशेष व्यवस्था की गई थी। दूर दूर से श्रदालू भगवान आदिबद्री के कपाट खुलने के साक्षी बनने के लिए यंहा पहुंचे थे।Conclusion:भगवान आदिबद्री धाम के कपाट खुलने पर एक सप्ताह तक चलने वाले धार्मिक कार्यक्रमो व वार्षिक महाभिषेक की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं ।इस अवसर पर मन्दिर को दो कुन्तल पीले गैंदे के फूलों से सजाया गया है। समारोह में अगले सात दिनों तक अनेक धार्मिक अनुष्ठान और भागवत कथा का भी आयोजन किया जाएगा।
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