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स्वतंत्रता सेनानी बख्तावर सिंह बिष्ट का 103 साल की उम्र में निधन, ब्रिटिश सेना से की थी बगावत

स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बख्तावर सिंह बिष्ट ने ब्रिटिश सेना से बगावत कर देश की आजादी में अहम योगदान दिया था. उनका 103 साल की उम्र में निधन हो गया है.

बख्तावर सिंह बिष्ट का निधन
बख्तावर सिंह बिष्ट का निधन
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Published : May 1, 2021, 6:44 PM IST

चमोली: स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बख्तावर सिंह बिष्ट का शनिवार को निधन हो गया है. गौचर स्थित अपने आवास पर शनिवार सुबह को उन्होंने अंतिम सांस ली. पूरे राजकीय सम्मान के साथ अलकनंदा नदी किनारे उनका अंतिम संस्कार किया गया. उनके भतीजे आरएस बिष्ट और नाती दिगम्बर व योगम्बर सिंह ने चिता को मुखाग्नि दी.

बख्तावर सिंह बिष्ट 103 साल के थे. उनका जन्म 18 जनवरी 1918 को चमोली जिले के श्रीकोट गांव में हुआ था. वो एक किसान परिवार से आते थे. बचपन से ही मन में देश की आजादी का सपना पाले बख्तावर सिंह बिष्ट सन् 1940 में गढ़वाल राइफल में भर्ती होकर सेना का हिस्सा बने. आजादी से पूर्व सेना में भर्ती होने के 5 साल बाद उन्होंने 1945 में ब्रिटिश सेना से बगावत कर नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की सेना में शामिल हो गए.

पढ़ें- उत्तराखंड के सभी मस्जिद-मदरसे बनेंगे कोविड केयर सेंटर, धर्मगुरुओं का ऐलान

देश की आजादी के लिए अंग्रेजी हुकूमत से बगावत कर अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी थीं. उन्होंने देश की आजादी में अहम योगदान दिया था. उनके निधन पर उनको श्रद्धांंजलि देते हुए पूरे सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया. अंतिम संस्कार में परिजनों सहित क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि, गणमान्य नागरिक व एसडीएम वैभव गुप्ता, तहसीलदार सोहन सिंह रांगड़ आदि मौजूद रहे.

चमोली: स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बख्तावर सिंह बिष्ट का शनिवार को निधन हो गया है. गौचर स्थित अपने आवास पर शनिवार सुबह को उन्होंने अंतिम सांस ली. पूरे राजकीय सम्मान के साथ अलकनंदा नदी किनारे उनका अंतिम संस्कार किया गया. उनके भतीजे आरएस बिष्ट और नाती दिगम्बर व योगम्बर सिंह ने चिता को मुखाग्नि दी.

बख्तावर सिंह बिष्ट 103 साल के थे. उनका जन्म 18 जनवरी 1918 को चमोली जिले के श्रीकोट गांव में हुआ था. वो एक किसान परिवार से आते थे. बचपन से ही मन में देश की आजादी का सपना पाले बख्तावर सिंह बिष्ट सन् 1940 में गढ़वाल राइफल में भर्ती होकर सेना का हिस्सा बने. आजादी से पूर्व सेना में भर्ती होने के 5 साल बाद उन्होंने 1945 में ब्रिटिश सेना से बगावत कर नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की सेना में शामिल हो गए.

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देश की आजादी के लिए अंग्रेजी हुकूमत से बगावत कर अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी थीं. उन्होंने देश की आजादी में अहम योगदान दिया था. उनके निधन पर उनको श्रद्धांंजलि देते हुए पूरे सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया. अंतिम संस्कार में परिजनों सहित क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि, गणमान्य नागरिक व एसडीएम वैभव गुप्ता, तहसीलदार सोहन सिंह रांगड़ आदि मौजूद रहे.

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