देहरादून: जौनसार बावर की लाइफलाइन कालसी चकराता मार्ग पर यूं तो ब्रिटिश कालीन कई पुल हैं. लेकिन सैया अमला नदी पर बना ब्रिटिश कालीन पुल अब आवाजाही के लिए सुरक्षित नहीं है और यह पुल अपनी मियाद पूरी कर चुका है. ऐसे में लोक निर्माण विभाग इस पुल को तोड़ने जा रहा है. इस साथ ही इस स्थान पर नए पुल का निर्माण होना है.
ब्रिटिश शासन काल में कालसी चकराता मार्ग पर अनेक छोटे-छोटे पुलों का निर्माण ब्रिटिश शासन में हुआ था. बताया जाता है कि उस वक्त बाढ़वाला क्षेत्र हरिपुर विकास नगर से ब्रिटिश शासन काल में बैलगाड़ियों पर चकराता तक अंग्रेज रसद एवं अन्य सामान की ढुलाई किया करते थे.
इस मार्ग को शुरुआती दौर में कालसी चकराता तक अंग्रेजी शासन काल में बनाया गया था. माना जाता है कि साहिया में यात्री विश्राम के लिए सराय भी हुआ करती थी. देश की आजादी के बाद कालसी चकराता मार्ग का देखरेख का जिम्मा मिलिट्री इंजीनियर सर्विस द्वारा किया जाता था.
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बावजूद इसके कई वर्षों तक इस मार्ग का रखरखाव मिलिट्री इंजीनियर करते आ रहे थे. जिसके बाद लोक निर्माण विभाग द्वारा कालसी चकराता मार्ग का रखरखाव का जिम्मा लिया गया. लोक निर्माण अस्थाई खंड साहिया के अधिशासी अभियंता डीपी सिंह का कहना है कि आज भी इस मार्ग मिलिट्री इंजीनियर सर्विस के नाम है.
लोक निर्माण विभाग के पास मार्ग का सुधारीकरण व देखरेख का जिम्मा है. साहिया में जो अमला नदी के ऊपर पुल बना था, वह काफी संकरा व पुराना हो चुका था. मार्ग के सुधारीकरण में अमला नदी पर बने पुल के स्थान पर नया पुल प्रस्तावित है. जिसका निर्माण कार्य शुरू दिया गया है. साथ ही चकराता व विकासनगर आने जाने वाले वाहनों को समाल्टा रोड से साहिया मंडी होते आवागमन के लिए रूट डायवर्ट किया गया है.