देहरादूनः देश में पहली बार ड्रोन फेस्टिवल का आयोजन किया गया और उत्तराखंड को इसे आयोजित करने की जिम्मेदारी मिली. 26 और 27 फरवरी को देहरादून में हुए ड्रोन फेस्टिवल में ड्रोन के विषय और उपयोग पर विस्तृत चर्चा हुई, वहीं ड्रोन से आने वाले समय में सभावनाओं पर 2 दिन तक चर्चा की गई. 2 दिन तक चले इस फेस्टिवल में क्या कुछ निष्कर्ष निकला, इस बारे में Etv भारत की टीम ने खास बातचीत की नेशनल ड्रोन फेस्टिवल अयोजक और उत्तराखंड सूचना प्रद्योगिकी ITDA निदेशक अमित सिन्हा से.
ITDA निदेशक ने बताया कि देश में पहली बार इतने बड़े स्तर पर ड्रोन फेस्टिवल मनाया गया और इसका मकसद मानव रहित संसाधनों को अलग-अलग क्षेत्रों में विकसित करना है और इस ड्रोन फेस्टिवल में इसका व्यापक स्वरुप देखने को मिला.
आपको बता दें कि उत्तराखंड के देहरादून में दो दिन तक चले इस ड्रोन फेस्टिवल में देश के अलग-अलग राज्यों से ड्रोन पर शोध कर रहे संस्थान पहुंचे थे. इस ड्रोन फेस्टिवल में ड्रोन को लेकर कई प्रकार की प्रतियोगिताएं भी आयोजित की गईं, जिसके बारे में ITDA निदेशक सिन्हा ने बताया कि इस प्रतियोगिता में ड्रोन को जीपीएस से संचालित ना करके वाई-फाई संचालित ड्रोनों को शामिल किया गया, क्योंकि उनका मकसद ड्रोन को अधिक दूरी तक उड़ाना ना होकर ड्रोन पर अधिक से अधिक कुशल कंट्रोल केंद्रित था. अब आपको बताते हैं कि ड्रोन कितने प्रकार के होते हैं.
साइज के आधार पर
1- नेनो ड्रोन - ये ड्रोन आमतौर पर आकार में बहुत छोटे होते हैं और बहुत छोटी जगहों में फिट होने के लिए डिजाइन किए जाते हैं. वे एक कीट के रूप में छोटे और लंबाई और चौड़ाई में केवल कुछ सेंटीमीटर हो सकते हैं. इन ड्रोन को आमतौर पर जासूसों द्वारा लोगों और चीजों पर खुफिया नज़र रखने के लिए उपयोग किया जाता है, क्योंकि वे आसानी से दिखाई नहीं देते.
2- स्माल ड्रोन- ये ड्रोन भी छोटे हैं, लेकिन वे नैनो ड्रोन जितने छोटे नहीं होते. इन्हें आसानी से अपने हाथों से उठाया जा सकता है और हवा में फेंक दिया जाता है और फिर वे अपने दम पर चलते हैं. आमतौर पर इनकी साइज लंबाई में दो मीटर से अधिक नहीं होती.
3- मीडियम ड्रोन- ये ड्रोन स्मॉल ड्रोनों की तुलना में बहुत बड़े है, लेकिन छोटे एयरक्राफ्ट्स की तुलना में थोड़े छोटे होते हैं. उनका वज़न 200 किलोग्राम तक हो सकता हैं और उन्हें दो लोगों के सपोर्ट की आवश्यकता हो सकती है ताकि उन्हें हवा में उतारा जा सके, जिसके बाद वे स्वयं ही उड़ते हैं.
4- लार्ज ड्रोन- बड़े ड्रोन आमतौर पर बड़े होते हैं और छोटे एयरक्राफ्ट्स से मिलते-जुलते हैं, वे मुख्य रूप से युद्ध के क्षेत्रों में विशेष उच्चस्तरीय निगरानी रखने के लिए सेना द्वारा उपयोग किए जाते हैं. आमतौर पर, इन ड्रोनों पर सेना इन पर शक्तिशाली कैमरे लगाते हैं जो आकाश में बहुत ऊंचाई से तस्वीरें ले सकते सकते हैं.
एरियल प्लेटफार्म के आधार पर
1- मल्टी रोटर ड्रोन - मल्टी रोटर ड्रोन आमतौर पर बहुत स्थिर होते हैं और वे लंबे समय तक हवा में एक स्थिर स्थिति बनाए रखने के लिए जाने जाते हैं. वे कई मोटर्स के साथ डिज़ाइन किए गए होते हैं, जो उन्हें हवा में रहने और स्थिरता रखने में मदद करते हैं. इस कारण से, मुख्य रूप से उनका उपयोग हवाई निगरानी और फोटोग्राफी के लिए किया जाता है.
मल्टी रोटर ड्रोन सबसे कॉमन टाइप के ड्रोन हैं जिनका उपयोग प्रोफेशनल और शौकियों द्वारा समान रूप से किया जाता है. वे हवाई फोटोग्राफी, हवाई वीडियो निगरानी आदि जैसे सबसे आम एप्लीकेशन के लिए उपयोग किया जाते हैं. मल्टी-रोटर ड्रोन को प्लेटफार्म पर रोटार की संख्या के आधार पर आगे वर्गीकृत किया जा सकता हैं वे हैं Tricopter (3 रोटार), Quadcopter (4 रोटार), Hexacopter (6 रोटार) और Octocopter (8 रोटार) हैं. इनमें से, Quadcopters सबसे लोकप्रिय और व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाने वाला वर्जन है.
2- फिक्स्ड विंग ड्रोन- फिक्स्ड विंग ड्रोन को एयरप्लेन के समान डिजाइन किया जाता है और इस कारण से वे हवा में स्थिर स्थिति बनाए नहीं रख सकते हैं. वे हमेशा अपने निर्धारित उड़ान पथ पर निरंतर गतिशील रहते हैं, जब तक उनमें पॉवर होती है. ज्यादातर फिक्स्ड विंग ड्रोन के पास कुछ घंटों का औसत उड़ान समय है. गैस इंजन संचालित ड्रोन 16 घंटे या अधिक तक उड़ सकते हैं.
3- सिंगल रोटर ड्रोन- सिंगल रोटर ड्रोन, डिजाइन और संरचना में वास्तविक हेलीकॉप्टर के समान दिखते हैं. एक मल्टी रोटर ड्रोन के विपरीत, एक सिंगल रोटार मॉडल में सिर्फ एक बड़े आकार का रोटर है और उसके हेडिंग को कंट्रोल करने के लिए ड्रोन की पूंछ पर एक छोटी साइज का रोटर होता है.
सिंगल रोटर ड्रोन मल्टी रोटर वर्जन की तुलना में काफी कुशल होते हैं. सिंगल रोटर ड्रोन को उनके विभिन्न क्षमताओं के कारण मल्टी रोटर ड्रोन से बेहतर माना जाता है. वे एक रेखीय पथ के साथ उड़ सकते हैं, वे मल्टी-रोटर ड्रोन से अधिक उड़ सकते हैं और एक स्थिर स्थिति में भी तैनात हो सकते हैं.
क्षमताओं के आधार पर
1 Quadcopters Drone- क्वाडकोपर चार रोटार के साथ डिज़ाइन किए गए जाते हैं जो कि एक स्क्वायर पैटर्न में अरेंज होते हैं और बाजार में सबसे कॉमन टाइप के ड्रोन हैं. इन ड्रोन को मुख्य रूप से मनोरंजक प्रयोजनों के लिए उपयोग किया जाता है लेकिन अन्य लोग इसे प्रोफेशनल और आधिकारिक प्रयोजनों के लिए अक्सर उपयोग करते हैं.
2 GPS Drones - ये ड्रोन कुछ हद तक ‘स्मार्ट’ होते हैं. वे सैटेलाइट से GPS के जरिए जुड़े हुए होते हैं और इससे उनकी उड़ान पथ तय करने में मदद मिलती है. वे एक जगह से दूसरी जगह पर आसानी से जा सकते हैं और जब वे कंट्रोल से बाहर निकल जाते हैं, तो वे जीपीएस के माध्यम से ओनर के पास वापस नेविगेट कर सकते हैं.
3 RTF Drones- ये रेडी-टू-फ्लाई ड्रॉन्स के रूप में जाने जाते हैं. वे लगभग एक प्लग-एन-प्ले टाइप के ड्रोन हैं. जब आप इसे खरीदते है, तब यह ड्रोन उड़ान भरने के लिए तैयार होता है.
4 Trick Drones- छोटे, तेज और गतिशील चाल के इन ड्रोन को आमतौर पर खिलौने के रूप में उपयोग किया जाता है. वे बैरल रोल, फ्लिप और हवा में अन्य आकर्षक और मनोरंजक करतब कर सकते हैं. आमतौर इनका वज़न हल्का होता है, क्योंकि इन पर कोई भी अतिरिक्त एक्सेसरीज नहीं होती.
5 Delivery Drones- इस टाइप के ड्रोन उन कंपनी में बहुत लोकप्रिय हो रहे हैं, जिन्हें अपने सामान कि डिवलेवरी करनी होती हैं. डिलिवरी ड्रोन को एक लंगर या बास्केट नीचे की ओर अटैच होती है जहां पैकेज को चिपकाया और ड्रोन द्वारा ले जाया सकता है.
6- Photography Drones- इन ड्रोनों में एक कैमरा / वीडियो कैमरा लगा होता है. ये कैमेरा एचडी क्वालिटी के होते हैं, जो ऊचाई से भी क्लियर तस्वीर ले सकते हैं। इन ड्रोन को, विशेष रूप से कैमरों को कठोर मौसम से होने वाले नुकसान को सहन करने के लिए बनाया गया जाता है.
इस दो दिवसीय ड्रोन फेस्टिवल के बात कई सारे विषय निकलकर सामने आये जैसे कि किस-किस क्षेत्र में ड्रोन का उपयोग की कितनी संभावनाए हैं, आपको बताते हैं कि ड्रोन का उपयोग किस सेक्टर में किस तरह से हो सकता हैं.
इन क्षेत्रों में ड्रोन के इस्तेमाल की अपार संभावनाएं---
1- स्वास्थ्य के क्षेत्र में- ड्रोन आज हर क्षेत्र में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. ITDA निदेशक अमित सिन्हा ने बताया कि उत्तराखंड जैसे विषम भोगोलिक राज्य में स्वास्थ्य के क्षेत्र में खासतौर से दूर दराज के इलाकों में जहां विशेषज्ञ डाक्टर की उपलब्धता नहीं है, वहां ड्रोन का इस्तमाल किया जा रहा है. उन्होने एक उदाहरण देते हुए बताया कि मेडिकल सप्लाई में हेल्थ किट को कम समय में विषय स्थानों में पहुंचाया जा सकता है जिसको लेकर लगातार प्रयोग जारी हैं.
2- आपदा के समय- आपदा या फिर विषम आपातकालीन स्थिति में ड्रोन एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है. विशेषज्ञों के अनुसार ड्रोन आपदा के समय में दुर्गम इलाकों में फले लोगों की स्थिति पता कर सकता है. बाढ़ और अन्य आपातकालीन स्थितियों में त्रासदी का आंकलन और राहत सामग्री सप्लाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है.
3- मानव रहित सर्वे में- जानकारों के अनुसार आज हर जगह मानव हस्तक्षेप संभव नहीं होता है जिसको देखते हुए मानव रहित संसाधनों से सर्वे के लिए ड्रोन एक महत्वपूर्ण विकल्प है. एक्सपर्ट के अनुसार आज वन और पर्यावरण के क्षेत्र में अलग अलग जानवरों के सर्वे, खनिज और अन्य प्रकार की खोज के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया जा सकता है.
4- सुरक्षा में - सुरक्षा के क्षेत्र में ड्रोन के उपयोग की संभावनाओं को ज्यादा आंका जा रहा है. बड़े आयोजन में क्राउड कंट्रोल के अलावा लॉ एन्ड आर्डर को बनाए रखने के लिए ड्रोन महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है. एक्सपर्ट के अनुसार कुंभ जैसे बड़े आयोजन में भीड़ की स्थिति जानने के लिए ड्रोन का उपयोग किया जा सकता है. इसके अलावा सेना में इसका उपयोग किया जा रहा है और आगे भी अपार संभानाएं मौजूद हैं.