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पहाड़ों में जल्द शुरू होगी 'नीली क्रांति', ग्रामीणों को मिलेगा रोजगार - नीली क्रांति

इस योजना में मछली की ट्राउड प्रजाति को पाला जायेगा. यह मछली तेजी से बढ़ती है और इसका साइज भी अन्य मछलियों के मुकाबले बड़ा होता है. योजना को लेकर ग्रामीण भी बेहद उत्साहित नजर आ रहे हैं.

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Published : Feb 4, 2019, 12:49 PM IST

बागेश्वर: पलायन को रोकने और रोजगार को बढ़ाने के लिए बागेश्वर और पिथौरागढ़ जिले के सीमावर्ती क्षेत्र में केन्द्र सरकार की नीली क्रांति योजना चलाई जाएगी. जिसके लिये भूमि का चयन कर लिया गया है. जिले की सीमा पर बनने वाली इस योजना को एक साल में पूरा किया जायेगा. इस योजना पर करीब 30 लाख रुपये की धनराशि खर्च होने का अनुमान है.

पढे़ं- उत्तराखंड के ताइक्वांडो खिलाड़ियों को मिला 'हाई टेक सेंसर', राष्ट्रीय स्तर पर लहराएंगे तिरंगा

पर्वतीय क्षेत्रों से पलायन की समस्या को दूर करने और ग्रामीणों को घर पर ही रोजगार उपलब्ध कराने के लिये जिला प्रशासन ने ट्राउड रेशवेज योजना तैयार की है. इस योजना को केन्द्र सरकार की महत्वकांक्षी नीली क्रांति योजना से जोड़ा गया है. योजना के लिये बागेश्वर जिला मुख्यालय से करीब 80 किलोमीटर दूर मसूरी नगर के समीप रमाड़ी क्षेत्र का चयन किया गया है.

इस क्षेत्र में हिमालय से निकलने वाली रामगंगा नदी बागेश्वर और पिथौरागढ़ दो जिलों की सीमा का निर्धारण करती है. ट्राउड रेशवेज के लिये इसी नदी के पानी का उपयोग किया जायेगा. इस योजना में मछली की ट्राउड प्रजाति को पाला जायेगा. यह मछली तेजी से बढ़ती है और इसका साइज भी अन्य मछलियों के मुकाबले बड़ा होता है. योजना को लेकर ग्रामीण भी बेहद उत्साहित नजर आ रहे हैं.

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जिला मत्स्य अधिकारी मनोज मियान के मुताबिक यह बागेश्वर और पिथौरागढ़ का हिमालयी क्षेत्र है. मौसम बेहद ठंडा होने के कारण यहां अनाज उत्पादन की संभावनाएं बेहद कम होती हैं. भेड़ पालन और अन्य पशुपालन ही ग्रामीणों का एकमात्र आजीविका का साधन है. ऐसे में इस योजना का लाभ दोनों जिलों के लोगों को मिलेगा.

बागेश्वर: पलायन को रोकने और रोजगार को बढ़ाने के लिए बागेश्वर और पिथौरागढ़ जिले के सीमावर्ती क्षेत्र में केन्द्र सरकार की नीली क्रांति योजना चलाई जाएगी. जिसके लिये भूमि का चयन कर लिया गया है. जिले की सीमा पर बनने वाली इस योजना को एक साल में पूरा किया जायेगा. इस योजना पर करीब 30 लाख रुपये की धनराशि खर्च होने का अनुमान है.

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पर्वतीय क्षेत्रों से पलायन की समस्या को दूर करने और ग्रामीणों को घर पर ही रोजगार उपलब्ध कराने के लिये जिला प्रशासन ने ट्राउड रेशवेज योजना तैयार की है. इस योजना को केन्द्र सरकार की महत्वकांक्षी नीली क्रांति योजना से जोड़ा गया है. योजना के लिये बागेश्वर जिला मुख्यालय से करीब 80 किलोमीटर दूर मसूरी नगर के समीप रमाड़ी क्षेत्र का चयन किया गया है.

इस क्षेत्र में हिमालय से निकलने वाली रामगंगा नदी बागेश्वर और पिथौरागढ़ दो जिलों की सीमा का निर्धारण करती है. ट्राउड रेशवेज के लिये इसी नदी के पानी का उपयोग किया जायेगा. इस योजना में मछली की ट्राउड प्रजाति को पाला जायेगा. यह मछली तेजी से बढ़ती है और इसका साइज भी अन्य मछलियों के मुकाबले बड़ा होता है. योजना को लेकर ग्रामीण भी बेहद उत्साहित नजर आ रहे हैं.

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जिला मत्स्य अधिकारी मनोज मियान के मुताबिक यह बागेश्वर और पिथौरागढ़ का हिमालयी क्षेत्र है. मौसम बेहद ठंडा होने के कारण यहां अनाज उत्पादन की संभावनाएं बेहद कम होती हैं. भेड़ पालन और अन्य पशुपालन ही ग्रामीणों का एकमात्र आजीविका का साधन है. ऐसे में इस योजना का लाभ दोनों जिलों के लोगों को मिलेगा.



FEED—FTP/ FISH

स्लग- बागेश्वर-पिथौरागढ़ की सीमा पर नीली क्रांति 
दिनांक- 04 फरवरी 2019
स्थान- बागेश्वर
रिपोर्ट- संतोष फुलारा

एंकर - बागेश्वर और पिथौरागढ़ जिले के सीमावर्ती क्षेत्र में केन्द्र सरकार की नीली क्रांति चलेगी। इसके लिये भूमि का चयन कर लिया गया है। इसमें करीब 30 लाख की धनराशि खर्च होने का अनुमान है। 

वीओ- पर्वतीय क्षेत्रों से पलायन की समस्या को दूर करने और ग्रामीणों को घर पर ही रोजगार उपलब्ध कराने के लिये जिला प्रशासन ने ट्राउड रेशवेज की योजना तैयार की है। इस योजना को केन्द्र सरकार की महत्वकांक्षी नीली क्रांति योजना से जोड़ा गया है। योजना के लिये बागेश्वर जिला मुख्यालय से करीब 80 किलोमीटर दूर मंसूरी नगर के समीप रमाड़ी क्षेत्र का चयन किया गया है। बागेश्वर और पिथौरागढ़ जिले की सीमा पर बनने वाली इस योजना को एक साल में पूरा किया जायेगा जिस पर करीब 30 लाख रूपये की धनराशि खर्च होने का अनुमान है। इस क्षेत्र में हिमालय से निकलने वाली रामगंगा नदी बागेश्वर और पिथौरागढ़ दो जिलों की सीमा का निर्धारण करती है। ट्राउड रेशवेज के लिये इसी नदी के पानी का उपयोग किया जायेगा। दरसल ट्राउड रेशवेज मत्स्य पालन की महत्वाकांक्षी योजना है। इस योजना में मछली की ट्राउड प्रजाति को पाला जायेगा। यह मछली तेजी से बढ़ती है और इसका साइज भी अन्य मछलियों के मुकाबले बड़ा होता है। योजना को लेकर ग्रामीण भी बेहद उत्साहित हैं।
बाइट-1- तेज सिंह कार्की, ग्रामीण।

वीओ- ट्राउड रेशवेज योजना को लेकर मत्स्य विभाग भी बेहद आशांन्वित है। जिला मत्स्य अधिकारी मनोज मियान के मुताबिक यह बागेश्वर और पिथौरागढ़ का हिमालयी क्षेत्र है। मौसम बेहद ठंडा होने के कारण अनाज उत्पादन की सभावना बेहद कम होती है। भेड़ पालन और अन्य पशुपालन ही ग्रामीणों का एकमात्र आजीविका का साधन है। ऐसे में इस योजना का लाभ दोनों जिलों के लोगों को मिलने की पूरी संभावना है।
बाइट-2- मनोज मियान, जिला मत्स्य अधिकारी।
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