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कोरोना को मात देती 'कड़क' चाय, ऐसे ही नहीं बढ़ी बाजारों में इसकी डिमांड

अल्मोड़ा में औषधीय गुणों से भरपूर चाय बनाई जा रही है. इस चाय के पीने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है. यह चाय बुरांश के फूलों, बिच्छु घास, तुलसी, गिलोय समेत पहाड़ की कई औषधीय वनस्पतियों को मिलाकर बनाई जा रही है.

Almora Herbal Tea news
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Published : May 26, 2020, 4:14 PM IST

Updated : May 27, 2020, 10:51 AM IST

अल्मोड़ा: कोरोना महामारी को देखते हुए अल्मोड़ा में औषधीय गुणों से भरपूर हर्बल चाय का उत्पादन किया जा रहा है. यह चाय न केवल चाय की चुस्की लेने वाले शौकीनों के मुंह का स्वाद बढ़ाएगी, बल्कि आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाने का काम करेगी. अल्मोड़ा में एकीकृत आजीविका सहयोग परियोजना और सहकारिता समूहों से जुड़ी महिलायें इन दिनों हर्बल चाय का उत्पादन करने में जुटी हुई हैं.

कोरोना को चुनौती देती 'कड़क' चाय.

यह चाय बुरांश के फूलों, बिच्छु घास, तुलसी, गिलोय समेत पहाड़ की कई औषधीय वनस्पतियों को मिलाकर अलग-अलग प्रकार की बनाई जा रही हैं, जिसकी बाजार में भारी डिमांड भी देखने को मिल रही है. खासकर बुरांस का फ्लेवर लोगों के मुंह का स्वाद भी बढ़ा रहा है. आजीविका परियोजना के प्रबंधक कैलाश भट्ट का कहना है कि इस चाय में औषधीय गुणों से युक्त वनस्पतियों का इस्तेमाल किया जा रहा है, जो हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का कार्य करेगी.

उन्होंने बताया कि वर्तमान में आजीविका परियोजना के तहत इस कार्य को 30 महिलाओं का समूह कर रहा है, जो इसके अलावा अन्य रोजगार से जुड़े कार्य भी कर रही हैं. उन्होंने बताया कि इस चाय की धीरे-धीरे डिमांड बढ़ रही है, जिससे महिलाओं की आजीविका में भी काफी इजाफा हो रहा है.

बता दें, हिमालयी पहाड़ी क्षेत्रों में कई ऐसी जड़ी-बूटियां और फल-फूल हैं, जो कई बीमारियों के इलाज में सहायक हैं. ऐसे ही औषधीय गुणों से भरपूर बुरांश का फूल और बिच्छू घास है. बात अगर बुरांश के फूलों की करें तो यह एक ऐसा फूल है, जिसके रस और जूस को दवा के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है.

पहाड़ी क्षेत्र में बुरांश का जूस गर्मियों के सबसे लोकप्रिय ड्रिंक के रूप में इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन इस बार बुरांश के फूल की चाय पत्ती बनायी जा रही है. एकीकृत आजीविका सहयोग परियोजना, सहकारिता समूहों के माध्यम से अल्मोड़ा बुरांश की चाय पत्ती बना रहा है. जंगलों से बुरांश लाने, फूलों की पत्तियों की सफाई करने के लिए कई महिलाएं काम कर रही हैं, इससे कोरोना के बीच ग्रामीण महिलाओं को रोजगार भी मिल रहा है.

पढ़ें- दून के डॉक्टरों ने 'कॉकटेल' से बनाई 'संजीवनी', मरीजों को मिल रहा 'रिलीफ'

आपको बता दें कि बुरांश दिल और लीवर को स्वस्थ रखने में फायदेमंद है. बुरांश एंटी डायबिटिक, एंटी इंफ्लामेटरी और एंटी बैक्टीरियल गुणों से भी भरपूर है, जो स्वास्थ्य के लिए अच्छा है. पोषक तत्वों से भरपूर बुरांश में एंटी माइक्रोबियल गुण भी पाया जाता है, जो शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करता है. इसमें आयरन, कैल्शियम, जिंक कॉपर आदि जैसे पोषक तत्त्व पाए जाते हैं. वहीं बिच्छु घास भी औषधीय गुणों से युक्त माना जाता है. पहाड़ी क्षेत्रों में यह आसानी से पाया जाता है. इसमें ढेर सारे विटामिन और मिनरल्स हैं. इसमें प्रोटीन, कार्बोहाइट्रेड, विटामिन ए, सोडियम, कैल्शियम और आयरन पाए जाते हैं.

अल्मोड़ा: कोरोना महामारी को देखते हुए अल्मोड़ा में औषधीय गुणों से भरपूर हर्बल चाय का उत्पादन किया जा रहा है. यह चाय न केवल चाय की चुस्की लेने वाले शौकीनों के मुंह का स्वाद बढ़ाएगी, बल्कि आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाने का काम करेगी. अल्मोड़ा में एकीकृत आजीविका सहयोग परियोजना और सहकारिता समूहों से जुड़ी महिलायें इन दिनों हर्बल चाय का उत्पादन करने में जुटी हुई हैं.

कोरोना को चुनौती देती 'कड़क' चाय.

यह चाय बुरांश के फूलों, बिच्छु घास, तुलसी, गिलोय समेत पहाड़ की कई औषधीय वनस्पतियों को मिलाकर अलग-अलग प्रकार की बनाई जा रही हैं, जिसकी बाजार में भारी डिमांड भी देखने को मिल रही है. खासकर बुरांस का फ्लेवर लोगों के मुंह का स्वाद भी बढ़ा रहा है. आजीविका परियोजना के प्रबंधक कैलाश भट्ट का कहना है कि इस चाय में औषधीय गुणों से युक्त वनस्पतियों का इस्तेमाल किया जा रहा है, जो हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का कार्य करेगी.

उन्होंने बताया कि वर्तमान में आजीविका परियोजना के तहत इस कार्य को 30 महिलाओं का समूह कर रहा है, जो इसके अलावा अन्य रोजगार से जुड़े कार्य भी कर रही हैं. उन्होंने बताया कि इस चाय की धीरे-धीरे डिमांड बढ़ रही है, जिससे महिलाओं की आजीविका में भी काफी इजाफा हो रहा है.

बता दें, हिमालयी पहाड़ी क्षेत्रों में कई ऐसी जड़ी-बूटियां और फल-फूल हैं, जो कई बीमारियों के इलाज में सहायक हैं. ऐसे ही औषधीय गुणों से भरपूर बुरांश का फूल और बिच्छू घास है. बात अगर बुरांश के फूलों की करें तो यह एक ऐसा फूल है, जिसके रस और जूस को दवा के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है.

पहाड़ी क्षेत्र में बुरांश का जूस गर्मियों के सबसे लोकप्रिय ड्रिंक के रूप में इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन इस बार बुरांश के फूल की चाय पत्ती बनायी जा रही है. एकीकृत आजीविका सहयोग परियोजना, सहकारिता समूहों के माध्यम से अल्मोड़ा बुरांश की चाय पत्ती बना रहा है. जंगलों से बुरांश लाने, फूलों की पत्तियों की सफाई करने के लिए कई महिलाएं काम कर रही हैं, इससे कोरोना के बीच ग्रामीण महिलाओं को रोजगार भी मिल रहा है.

पढ़ें- दून के डॉक्टरों ने 'कॉकटेल' से बनाई 'संजीवनी', मरीजों को मिल रहा 'रिलीफ'

आपको बता दें कि बुरांश दिल और लीवर को स्वस्थ रखने में फायदेमंद है. बुरांश एंटी डायबिटिक, एंटी इंफ्लामेटरी और एंटी बैक्टीरियल गुणों से भी भरपूर है, जो स्वास्थ्य के लिए अच्छा है. पोषक तत्वों से भरपूर बुरांश में एंटी माइक्रोबियल गुण भी पाया जाता है, जो शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करता है. इसमें आयरन, कैल्शियम, जिंक कॉपर आदि जैसे पोषक तत्त्व पाए जाते हैं. वहीं बिच्छु घास भी औषधीय गुणों से युक्त माना जाता है. पहाड़ी क्षेत्रों में यह आसानी से पाया जाता है. इसमें ढेर सारे विटामिन और मिनरल्स हैं. इसमें प्रोटीन, कार्बोहाइट्रेड, विटामिन ए, सोडियम, कैल्शियम और आयरन पाए जाते हैं.

Last Updated : May 27, 2020, 10:51 AM IST
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