ETV Bharat / state

अल्मोड़ा: मानचित्र पत्रावलियों को लेकर पालिका और जिला प्रशासन आमने-सामने, कोर्ट जाने की तैयारी में पालिकाध्यक्ष

पिछले दिनों जिलाधिकारी ने 2017 से पहले नगर पालिका द्वारा स्वीकृत भवनों के मानचित्रों की पत्रावलियों को डीडीए कार्यालय को सौंपने का आदेश जारी किया गया था. जिसके बाद प्रशासन की टीम ने नगर पालिका पहुंचकर पालिका द्वारा स्वीकृत पुरानी पत्रावलियों को अपने कब्जे में ले लिए.

Almora
अल्मोड़ा नगर पालिका
author img

By

Published : Dec 28, 2019, 5:41 PM IST

अल्मोड़ा: नगर पालिका और जिला प्रशासन के बीच भवन मानचित्र की पत्रावलियों को को लेकर विवाद बढ़ गया हैं. जिला प्रशासन ने पालिका से जिला विकास प्राधिकरण (डीडीए) लागू होने से पहले के स्वीकृत मानचित्र की पत्रावलियों डीडीए में जमा कराने के लिए कहा था. जिस पर नगर पालिका ने आपत्ति जताते हुए असंवैधानिक करार दिया है और इसे नगर पालिका के कामों में हस्तक्षेप बताया है.

गौरतलब है कि अल्मोड़ा नगर में भवनों के मानचित्र पहले नगर पालिका द्वारा स्वीकृत किये जाते थे, लेकिन 2017 में डीडीए लागू होने के बाद भवन मानचित्र स्वीकृत करने का काम डीडीए के पास चला गया. पिछले दिनों जिलाधिकारी ने 2017 से पहले नगर पालिका द्वारा स्वीकृत भवनों के मानचित्रों की पत्रावलियों को डीडीए कार्यालय को सौंपने का आदेश जारी किया गया था. जिसके बाद प्रशासन की टीम ने नगर पालिका पहुंचकर पालिका द्वारा स्वीकृत पुरानी पत्रावलियों को अपने कब्जे में ले लिए.

पालिका और जिला प्रशासन आमने-सामने

पढ़ें- हेलीकॉप्टर संचालन के लिए सभी मानकों पर खरा उतरा नैनीसैनी एयरपोर्ट, जल्द शुरू होगी सेवा

इसके बाद पालिका की बोर्ड बैठक आयोजित की गई. बैठक में पालिक ने जिला प्रशासन पर पुराने भवनों के मानचित्र जमा करने का जबरन दबाव डालने का आरोप लगाया. प्रशासन के इस काम की बोर्ड के सदस्यों व पालिका प्रशासन ने घोर निंदा की.

पालिकाध्यक्ष प्रकाश चंद्र जोशी कहना है कि डीडीए लागू होने से पहले के मानचित्र पालिका की संपत्ति है. जिला प्रशासन जबरन पालिका की संपत्ति को उठाकर जाना चाहता है तो असंवैधानिक है. उन्होंने कहा कि वे इस मामले में हाइकोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे. क्योंकि पालिका ने जो मानचित्र पहले स्वीकृत किए थे उनका रिकॉर्ड उनके पास होना आवयश्यक है. क्योंकि कभी भी जिसको जरूरत हो वह अपने मानचित्र के दस्तावेज नगर पालिका से मांग सकता है.

पढ़ें- कोटद्वार: ईटीवी भारत की खबर का असर, अवैध प्लॉटिंग पर प्रशासन की कार्रवाई

पालिका के अधिशासी अभियंता श्याम सुंदर प्रसाद ने कहा कि जिला प्रशासन ने डीडीए लागू होने से पहले की 1256 फाइलें मांगी गई थी. जिसके बाद स्वीकृत भवन मानचित्रों के 29 बंडल और 1256 बंद पत्रावलियों डीडीए को सुपुर्द कर दी है.

इधर, मामले को लेकर जिलाधिकारी नितिन सिंह भदौरिया ने कहा कि उन्होंने कई बार पालिका से पुराने भवन मानचित्रों को डीडीए कार्यालय में जमा करने के आदेश दिए थे. जिला विकास प्राधिकरण लागू होने के बाद अब भवन के मानचित्र डीडीए कार्यालय से ही स्वीकृत किये जाते है. इसलिए सभी प्रकार के भवन के रिकॉर्ड अब डीडीए कार्यालय में उपलब्ध होने चाहिए.

अल्मोड़ा: नगर पालिका और जिला प्रशासन के बीच भवन मानचित्र की पत्रावलियों को को लेकर विवाद बढ़ गया हैं. जिला प्रशासन ने पालिका से जिला विकास प्राधिकरण (डीडीए) लागू होने से पहले के स्वीकृत मानचित्र की पत्रावलियों डीडीए में जमा कराने के लिए कहा था. जिस पर नगर पालिका ने आपत्ति जताते हुए असंवैधानिक करार दिया है और इसे नगर पालिका के कामों में हस्तक्षेप बताया है.

गौरतलब है कि अल्मोड़ा नगर में भवनों के मानचित्र पहले नगर पालिका द्वारा स्वीकृत किये जाते थे, लेकिन 2017 में डीडीए लागू होने के बाद भवन मानचित्र स्वीकृत करने का काम डीडीए के पास चला गया. पिछले दिनों जिलाधिकारी ने 2017 से पहले नगर पालिका द्वारा स्वीकृत भवनों के मानचित्रों की पत्रावलियों को डीडीए कार्यालय को सौंपने का आदेश जारी किया गया था. जिसके बाद प्रशासन की टीम ने नगर पालिका पहुंचकर पालिका द्वारा स्वीकृत पुरानी पत्रावलियों को अपने कब्जे में ले लिए.

पालिका और जिला प्रशासन आमने-सामने

पढ़ें- हेलीकॉप्टर संचालन के लिए सभी मानकों पर खरा उतरा नैनीसैनी एयरपोर्ट, जल्द शुरू होगी सेवा

इसके बाद पालिका की बोर्ड बैठक आयोजित की गई. बैठक में पालिक ने जिला प्रशासन पर पुराने भवनों के मानचित्र जमा करने का जबरन दबाव डालने का आरोप लगाया. प्रशासन के इस काम की बोर्ड के सदस्यों व पालिका प्रशासन ने घोर निंदा की.

पालिकाध्यक्ष प्रकाश चंद्र जोशी कहना है कि डीडीए लागू होने से पहले के मानचित्र पालिका की संपत्ति है. जिला प्रशासन जबरन पालिका की संपत्ति को उठाकर जाना चाहता है तो असंवैधानिक है. उन्होंने कहा कि वे इस मामले में हाइकोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे. क्योंकि पालिका ने जो मानचित्र पहले स्वीकृत किए थे उनका रिकॉर्ड उनके पास होना आवयश्यक है. क्योंकि कभी भी जिसको जरूरत हो वह अपने मानचित्र के दस्तावेज नगर पालिका से मांग सकता है.

पढ़ें- कोटद्वार: ईटीवी भारत की खबर का असर, अवैध प्लॉटिंग पर प्रशासन की कार्रवाई

पालिका के अधिशासी अभियंता श्याम सुंदर प्रसाद ने कहा कि जिला प्रशासन ने डीडीए लागू होने से पहले की 1256 फाइलें मांगी गई थी. जिसके बाद स्वीकृत भवन मानचित्रों के 29 बंडल और 1256 बंद पत्रावलियों डीडीए को सुपुर्द कर दी है.

इधर, मामले को लेकर जिलाधिकारी नितिन सिंह भदौरिया ने कहा कि उन्होंने कई बार पालिका से पुराने भवन मानचित्रों को डीडीए कार्यालय में जमा करने के आदेश दिए थे. जिला विकास प्राधिकरण लागू होने के बाद अब भवन के मानचित्र डीडीए कार्यालय से ही स्वीकृत किये जाते है. इसलिए सभी प्रकार के भवन के रिकॉर्ड अब डीडीए कार्यालय में उपलब्ध होने चाहिए.

Intro:अल्मोड़ा नगर पालिका एवं जिला प्रशासन के बीच भवन मानचित्र की पत्रावलियो को जिला विकास प्राधिकरण (डीडीए) कार्यालय में जमा करने को लेकर तकरार देखने को मिल रहीं है। इस मामले में पालिका ने जिला प्रशासन द्वारा जिला विकास प्राधिकरण बनने से पूर्व की पालिका द्वारा स्वीकृत किए गए भवन मानचित्रों की पत्रावलियों को डीडीए में जमा करने को असंवैधानिक करार देते हुए इसे नगरपालिका पर हस्तक्षेप बताया है।
Body:गौरतलब है कि अल्मोड़ा नगर में भवनों के मानचित्र पहले नगर पालिका द्वारा स्वीकृत किये जाते थे लेकिन 2017 में जिला विकास प्राधिकरण लागू होने के बाद भवन मानचित्र स्वीकृत करने का काम जिला विकास प्राधिकरण के जिम्मे है।पिछले दिनों जिलाधिकारी द्वारा नगर पालिका द्वारा 2017 से पूर्व नगर पालिका द्वारा स्वीकृत भवन मानचित्रों की पत्रावलियों को डीडीए कार्यालय को सौंपने का आदेश जारी किया गया। जिसके बाद प्रशासन की टीम ने नगरपालिका पहुचकर पालिका द्वारा स्वीकृत पुरानी पत्रावलियों को अपने कब्जे में ले लिए हैं। जिसके बाद पालिका ने बोर्ड की बैठक आयोजित कर जिला प्रशासन पर पुराने भवनों के मानचित्र जमा करने का जबरन दबाव डालने का आरोप लगाया है। और प्रशासन की इस कार्यप्रणाली की बोर्ड के सदस्यों एवं पालिका प्रशासन ने घोर निंदा की है। और इसे निर्वाचित पालिका बोर्ड के कार्यों में जबरन हस्तक्षेप करने का आरोप भी मढ़ा है।
पालिकाध्यक्ष प्रकाश चंद्र जोशी का कहना है कि डीडीए लागू होने से पूर्व के मानचित्र पालिका की संपत्ति है। जिला प्रशासन द्वारा मनमानीं कर जबरन दबाव बना पालिका की संपत्ति को उठाकर ले जाना असंवैधानिक है। उन्होंने जिलाधिकारी एवं जिला प्रशासन के इस रवैये को तानाशाही बताते हुए नगर निकाय के निर्वाचित बोर्ड पर असंवैधानिक हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन द्वारा जनता द्वारा चुने गए बोर्ड पर हस्तक्षेप के खिलाफ वह हाइकोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। उनका कहना है पालिका द्वारा पूर्व में स्वीकृत किये गए मानचित्र का रिकार्ड नगर पालिका के पास होना आवयश्यक है क्योंकि कभी भी जिसको जरूरत हो वह अपने मानचित्र की दस्तावेज नगरपालिका से मांग सकता है।
पालिका के अधिशासी अभियंता श्याम संुदर प्रसाद का कहना है कि जिला प्रशासन द्वारा जिला विकास प्राधिकरण लागू होने से पूर्व पालिका द्वारा स्वीकृत मानचित्रों की 1256 फाईलें मांगी गई थी। जिसके बाद उन्होंने डीडीए लागू होने से पूर्व के स्वीकृत भवन मानचित्रों के 29 बंडलों 1256 बंद पत्रावलियों को जिला विकास प्राधिकरण को सुपुर्द कर दी है।
इधर, मामले को लेकर जिलाधिकारी नितिन सिंह भदौरिया ने कहा कि उन्होंने कई बार पालिका से पुराने भवन मानचित्रों को डीडीए कार्यालय में जमा करने के आदेश दिए थे। कहना है कि जिला विकास प्राधिकरण लागू होने के बाद अब भवन के मानचित्र डीडीए कार्यालय से ही स्वीकृत किये जाते है। इसलिए सभी प्रकार के भवन के रिकाॅर्ड अब डीडीए कार्यालय में उपलब्ध होने चाहिए।

बाइट प्रकाश चंद्र जोशी ,अध्यक्ष नगर पालिका
बाइट श्याम सुंदर , ईओ नगर पालिका
Conclusion:
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.