अल्मोड़ा: नगर पालिका और जिला प्रशासन के बीच भवन मानचित्र की पत्रावलियों को को लेकर विवाद बढ़ गया हैं. जिला प्रशासन ने पालिका से जिला विकास प्राधिकरण (डीडीए) लागू होने से पहले के स्वीकृत मानचित्र की पत्रावलियों डीडीए में जमा कराने के लिए कहा था. जिस पर नगर पालिका ने आपत्ति जताते हुए असंवैधानिक करार दिया है और इसे नगर पालिका के कामों में हस्तक्षेप बताया है.
गौरतलब है कि अल्मोड़ा नगर में भवनों के मानचित्र पहले नगर पालिका द्वारा स्वीकृत किये जाते थे, लेकिन 2017 में डीडीए लागू होने के बाद भवन मानचित्र स्वीकृत करने का काम डीडीए के पास चला गया. पिछले दिनों जिलाधिकारी ने 2017 से पहले नगर पालिका द्वारा स्वीकृत भवनों के मानचित्रों की पत्रावलियों को डीडीए कार्यालय को सौंपने का आदेश जारी किया गया था. जिसके बाद प्रशासन की टीम ने नगर पालिका पहुंचकर पालिका द्वारा स्वीकृत पुरानी पत्रावलियों को अपने कब्जे में ले लिए.
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इसके बाद पालिका की बोर्ड बैठक आयोजित की गई. बैठक में पालिक ने जिला प्रशासन पर पुराने भवनों के मानचित्र जमा करने का जबरन दबाव डालने का आरोप लगाया. प्रशासन के इस काम की बोर्ड के सदस्यों व पालिका प्रशासन ने घोर निंदा की.
पालिकाध्यक्ष प्रकाश चंद्र जोशी कहना है कि डीडीए लागू होने से पहले के मानचित्र पालिका की संपत्ति है. जिला प्रशासन जबरन पालिका की संपत्ति को उठाकर जाना चाहता है तो असंवैधानिक है. उन्होंने कहा कि वे इस मामले में हाइकोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे. क्योंकि पालिका ने जो मानचित्र पहले स्वीकृत किए थे उनका रिकॉर्ड उनके पास होना आवयश्यक है. क्योंकि कभी भी जिसको जरूरत हो वह अपने मानचित्र के दस्तावेज नगर पालिका से मांग सकता है.
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पालिका के अधिशासी अभियंता श्याम सुंदर प्रसाद ने कहा कि जिला प्रशासन ने डीडीए लागू होने से पहले की 1256 फाइलें मांगी गई थी. जिसके बाद स्वीकृत भवन मानचित्रों के 29 बंडल और 1256 बंद पत्रावलियों डीडीए को सुपुर्द कर दी है.
इधर, मामले को लेकर जिलाधिकारी नितिन सिंह भदौरिया ने कहा कि उन्होंने कई बार पालिका से पुराने भवन मानचित्रों को डीडीए कार्यालय में जमा करने के आदेश दिए थे. जिला विकास प्राधिकरण लागू होने के बाद अब भवन के मानचित्र डीडीए कार्यालय से ही स्वीकृत किये जाते है. इसलिए सभी प्रकार के भवन के रिकॉर्ड अब डीडीए कार्यालय में उपलब्ध होने चाहिए.