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ऐतिहासिक बग्वाली मेले का हुआ आगाज, इस बार ये चीजें होंगी खास
बग्वालीपोखर का ऐतिहासिक मेला शुरू हो चुका है. इस मेले में विधायक महेश नेगी ने 'लोक प्रकृति' संस्था की विवरण पुस्तिका का लोकार्पण किया.
बग्वालीपोखर के ऐतिहासिक मेले का रंगारंग आगाज
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Published : Oct 29, 2019, 10:33 PM IST
द्वाराहाट: बग्वालीपोखर के ऐतिहासिक मेले की शुरुआत हो चुकी है, जिसका शुभारंभ क्षेत्रीय विधायक महेश नेगी ने दीप प्रज्ज्वलित करके किया. इस मेले में रंगारंग और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जायेंगे. इस दौरान वीर शहीदों को श्रद्धांजलि भी अर्पित की गई.
बग्वालीपोखर का ऐतिहासिक मेला शुरू हो चुका है. इस मेले में विधायक महेश नेगी ने 'लोक प्रकृति' संस्था की विवरण पुस्तिका का लोकार्पण किया. इस दौरान विधायक ने कहा कि लोक 'प्रकृति संस्था' ने क्षेत्र में एक अच्छी पहल की है. इससे लोक संस्कृति के संरक्षण के साथ ही पुरानी धरोहरों को सहेजने में काफी मदद मिलेगी. उन्होंने इसके लिए संस्था के अध्यक्ष डॉ. दीपक मेहता के प्रयासों की भी सराहना की.
बग्वालीपोखर के ऐतिहासिक मेले का रंगारंग आगाज ये भी पढ़ें: रुड़की शराब कांड: जांच आयोग ने तैयारी की रिपोर्ट, 30 अक्टूबर को सौंपी जा सकती है रिपोर्ट
वहीं, पूर्व विधायक पुष्पेश त्रिपाठी ने कहा कि इस पौराणिक मेले में नई पीढ़ी के युवा कुछ नए प्रयोगों के साथ मेले को बेहतर बनाने का प्रयास कर रहे हैं, जिसके लिए क्षेत्र के युवा बधाई के पात्र हैं. मेले में स्वास्थ्य विभाग की ओर से चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करवाई गई. जिसमें डॉ. ललित पंत, वरिष्ठ फार्मासिस्ट गोविंद मेहता सहित स्वास्थ्य विभाग की पूरी टीम मौजूद है.
द्वाराहाट: बग्वालीपोखर के ऐतिहासिक मेले की शुरुआत हो चुकी है, जिसका शुभारंभ क्षेत्रीय विधायक महेश नेगी ने दीप प्रज्ज्वलित करके किया. इस मेले में रंगारंग और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जायेंगे. इस दौरान वीर शहीदों को श्रद्धांजलि भी अर्पित की गई.
बग्वालीपोखर का ऐतिहासिक मेला शुरू हो चुका है. इस मेले में विधायक महेश नेगी ने 'लोक प्रकृति' संस्था की विवरण पुस्तिका का लोकार्पण किया. इस दौरान विधायक ने कहा कि लोक 'प्रकृति संस्था' ने क्षेत्र में एक अच्छी पहल की है. इससे लोक संस्कृति के संरक्षण के साथ ही पुरानी धरोहरों को सहेजने में काफी मदद मिलेगी. उन्होंने इसके लिए संस्था के अध्यक्ष डॉ. दीपक मेहता के प्रयासों की भी सराहना की.
बग्वालीपोखर के ऐतिहासिक मेले का रंगारंग आगाज ये भी पढ़ें: रुड़की शराब कांड: जांच आयोग ने तैयारी की रिपोर्ट, 30 अक्टूबर को सौंपी जा सकती है रिपोर्ट
वहीं, पूर्व विधायक पुष्पेश त्रिपाठी ने कहा कि इस पौराणिक मेले में नई पीढ़ी के युवा कुछ नए प्रयोगों के साथ मेले को बेहतर बनाने का प्रयास कर रहे हैं, जिसके लिए क्षेत्र के युवा बधाई के पात्र हैं. मेले में स्वास्थ्य विभाग की ओर से चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करवाई गई. जिसमें डॉ. ललित पंत, वरिष्ठ फार्मासिस्ट गोविंद मेहता सहित स्वास्थ्य विभाग की पूरी टीम मौजूद है.
Intro:*ऐतिहासिक बग्वाली मेले का हुआ आगाज़*
*लोक प्रकृति की विवरण पुस्तिका का क्षेत्रीय विधायक महेश नेगी ने किया लोकार्पण*
बग्वालीपोखर (द्धाराहाट) बग्वालीपोखर के ऐतिहासिक मेले का क्षेत्रीय विधायक महेश नेगी ने दीप प्रज्ज्वलित कर शुभारम्भ किया। इसके साथ ही रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आगाज़ हो गया। दीप प्रज्ज्वलन के बाद वीर शहीदों को श्रद्धांजलि दी गई। भण्डर गांव से पधान और थोकदार परिवारों के नेतृत्व में ओढ़ा भेंटने की रस्म अदा की गई।
*मेले में विधायक द्वारा 'लोक प्रकृति' संस्था की विवरण पुस्तिका का लोकार्पण भी किया गया। उन्होंने कहा कि लोक प्रकृति संस्था ने क्षेत्र में एक अच्छी पहल की है। इससे लोक संस्कृति के संरक्षण के साथ ही पुरानी धरोहरों को सहेजने में मदद मिलेगी। उन्होंने इसके लिए संस्था के अध्यक्ष डॉ दीपक मेहता के प्रयासों की भी सराहना की।*
पूर्व विधायक पुष्पेश त्रिपाठी ने मेले में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाते हुए कहा कि इस पौराणिक मेले में नई पीढ़ी के युवा कुछ नए प्रयोगों के साथ मेले को बेहतर बनाने का प्रयास कर रहे हैं जिसके लिए क्षेत्र के युवा बधाई के पात्र हैं।
मेले में संस्कृति विभाग, सूचना एवं प्रसारण विभाग के सौजन्य से मल्लिका लोक कला समिति, हिमाद्री नेट, श्रीराम कला केंद्र, हिमालयन लोक कला केंद्र आदि सांस्कृतिक टीमें मेले में कार्यक्रम प्रस्तुत कर रही हैं। इसके अलावा क्षेत्रीय कलाकारों एवं ज्ञानोदय शिक्षा केन्द्र बासुलीसेरा सहित विभिन्न विद्यालयों की सांस्कृतिक प्रस्तुतियां भी मेले में दी। नई उमंग संस्था द्वारा संचालित ज्ञानोदय के बच्चों ने एक नाटक प्रस्तुत कर सबका मन मोह लिया। दीक्षा मॉन्टेशरी स्कूल व जीजीआईसी बग्वालीपोखर के बच्चों ने भी रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किये। हिमाद्री नेट अल्मोड़ा की टीम ने शानदार छोलिया नृत्य प्रस्तुत किया। श्रीराम कला केंद्र अल्मोड़ा द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किये गए।
मेले में स्वास्थ्य विभाग की ओर से मेला परिसर में ही चिकित्सा की सुविधा उपलब्ध करवाई गई थी। जिसमें डॉ ललित पंत, वरिष्ठ फार्मासिस्ट गोविंद मेहता सहित स्वास्थ्य विभाग की पूरी टीम उपस्थित थी।
मेले में मेला समिति के अध्यक्ष सु. मेजर हरीश भंडारी, सचिव प्रमोद जोशी, कोषाध्यक्ष विनोद अधिकारी, उपाध्यक्ष रमेश नेगी, सांस्कृतिक सचिव डॉ दीपक मेहता, सन्तोष बिष्ट, पोखरम के निदेशक त्रिभुवन बिष्ट, जगत सिंह भण्डारी, जीवन अधिकारी, मोहन सिंह भण्डारी, कुंदन सिंह, लोकेश अधिकारी, वीरेंद्र सिंह, अजय नेगी, बलवीर भंडारी, अर्जुन बिष्ट, जीवन अधिकारी, शिवदत्त पांडे, भानू जोशी, डीडी जोशी, मनोज पांडे, मेला समिति के पूर्व अध्यक्ष हरीश भंडारी आदि लोग उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन डॉ सन्तोष बिष्ट और मोहन भंडारी ने किया।Body:*ऐतिहासिक बग्वाली मेले का हुआ आगाज़*
*लोक प्रकृति की विवरण पुस्तिका का क्षेत्रीय विधायक महेश नेगी ने किया लोकार्पण*
बग्वालीपोखर। बग्वालीपोखर के ऐतिहासिक मेले का क्षेत्रीय विधायक महेश नेगी ने दीप प्रज्ज्वलित कर शुभारम्भ किया। इसके साथ ही रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आगाज़ हो गया। दीप प्रज्ज्वलन के बाद वीर शहीदों को श्रद्धांजलि दी गई। भण्डर गांव से पधान और थोकदार परिवारों के नेतृत्व में ओढ़ा भेंटने की रस्म अदा की गई।
*मेले में विधायक द्वारा 'लोक प्रकृति' संस्था की विवरण पुस्तिका का लोकार्पण भी किया गया। उन्होंने कहा कि लोक प्रकृति संस्था ने क्षेत्र में एक अच्छी पहल की है। इससे लोक संस्कृति के संरक्षण के साथ ही पुरानी धरोहरों को सहेजने में मदद मिलेगी। उन्होंने इसके लिए संस्था के अध्यक्ष डॉ दीपक मेहता के प्रयासों की भी सराहना की।*
पूर्व विधायक पुष्पेश त्रिपाठी ने मेले में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाते हुए कहा कि इस पौराणिक मेले में नई पीढ़ी के युवा कुछ नए प्रयोगों के साथ मेले को बेहतर बनाने का प्रयास कर रहे हैं जिसके लिए क्षेत्र के युवा बधाई के पात्र हैं।
मेले में संस्कृति विभाग, सूचना एवं प्रसारण विभाग के सौजन्य से मल्लिका लोक कला समिति, हिमाद्री नेट, श्रीराम कला केंद्र, हिमालयन लोक कला केंद्र आदि सांस्कृतिक टीमें मेले में कार्यक्रम प्रस्तुत कर रही हैं। इसके अलावा क्षेत्रीय कलाकारों एवं ज्ञानोदय शिक्षा केन्द्र बासुलीसेरा सहित विभिन्न विद्यालयों की सांस्कृतिक प्रस्तुतियां भी मेले में दी। नई उमंग संस्था द्वारा संचालित ज्ञानोदय के बच्चों ने एक नाटक प्रस्तुत कर सबका मन मोह लिया। दीक्षा मॉन्टेशरी स्कूल व जीजीआईसी बग्वालीपोखर के बच्चों ने भी रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किये। हिमाद्री नेट अल्मोड़ा की टीम ने शानदार छोलिया नृत्य प्रस्तुत किया। श्रीराम कला केंद्र अल्मोड़ा द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किये गए।
मेले में स्वास्थ्य विभाग की ओर से मेला परिसर में ही चिकित्सा की सुविधा उपलब्ध करवाई गई थी। जिसमें डॉ ललित पंत, वरिष्ठ फार्मासिस्ट गोविंद मेहता सहित स्वास्थ्य विभाग की पूरी टीम उपस्थित थी।
मेले में मेला समिति के अध्यक्ष सु. मेजर हरीश भंडारी, सचिव प्रमोद जोशी, कोषाध्यक्ष विनोद अधिकारी, उपाध्यक्ष रमेश नेगी, सांस्कृतिक सचिव डॉ दीपक मेहता, सन्तोष बिष्ट, पोखरम के निदेशक त्रिभुवन बिष्ट, जगत सिंह भण्डारी, जीवन अधिकारी, मोहन सिंह भण्डारी, कुंदन सिंह, लोकेश अधिकारी, वीरेंद्र सिंह, अजय नेगी, बलवीर भंडारी, अर्जुन बिष्ट, जीवन अधिकारी, शिवदत्त पांडे, भानू जोशी, डीडी जोशी, मनोज पांडे, मेला समिति के पूर्व अध्यक्ष हरीश भंडारी आदि लोग उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन डॉ सन्तोष बिष्ट और मोहन भंडारी ने किया।Conclusion:*ऐतिहासिक बग्वाली मेले का हुआ आगाज़*
*लोक प्रकृति की विवरण पुस्तिका का क्षेत्रीय विधायक महेश नेगी ने किया लोकार्पण*
बग्वालीपोखर। बग्वालीपोखर के ऐतिहासिक मेले का क्षेत्रीय विधायक महेश नेगी ने दीप प्रज्ज्वलित कर शुभारम्भ किया। इसके साथ ही रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आगाज़ हो गया। दीप प्रज्ज्वलन के बाद वीर शहीदों को श्रद्धांजलि दी गई। भण्डर गांव से पधान और थोकदार परिवारों के नेतृत्व में ओढ़ा भेंटने की रस्म अदा की गई।
*मेले में विधायक द्वारा 'लोक प्रकृति' संस्था की विवरण पुस्तिका का लोकार्पण भी किया गया। उन्होंने कहा कि लोक प्रकृति संस्था ने क्षेत्र में एक अच्छी पहल की है। इससे लोक संस्कृति के संरक्षण के साथ ही पुरानी धरोहरों को सहेजने में मदद मिलेगी। उन्होंने इसके लिए संस्था के अध्यक्ष डॉ दीपक मेहता के प्रयासों की भी सराहना की।*
पूर्व विधायक पुष्पेश त्रिपाठी ने मेले में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाते हुए कहा कि इस पौराणिक मेले में नई पीढ़ी के युवा कुछ नए प्रयोगों के साथ मेले को बेहतर बनाने का प्रयास कर रहे हैं जिसके लिए क्षेत्र के युवा बधाई के पात्र हैं।
मेले में संस्कृति विभाग, सूचना एवं प्रसारण विभाग के सौजन्य से मल्लिका लोक कला समिति, हिमाद्री नेट, श्रीराम कला केंद्र, हिमालयन लोक कला केंद्र आदि सांस्कृतिक टीमें मेले में कार्यक्रम प्रस्तुत कर रही हैं। इसके अलावा क्षेत्रीय कलाकारों एवं ज्ञानोदय शिक्षा केन्द्र बासुलीसेरा सहित विभिन्न विद्यालयों की सांस्कृतिक प्रस्तुतियां भी मेले में दी। नई उमंग संस्था द्वारा संचालित ज्ञानोदय के बच्चों ने एक नाटक प्रस्तुत कर सबका मन मोह लिया। दीक्षा मॉन्टेशरी स्कूल व जीजीआईसी बग्वालीपोखर के बच्चों ने भी रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किये। हिमाद्री नेट अल्मोड़ा की टीम ने शानदार छोलिया नृत्य प्रस्तुत किया। श्रीराम कला केंद्र अल्मोड़ा द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किये गए।
मेले में स्वास्थ्य विभाग की ओर से मेला परिसर में ही चिकित्सा की सुविधा उपलब्ध करवाई गई थी। जिसमें डॉ ललित पंत, वरिष्ठ फार्मासिस्ट गोविंद मेहता सहित स्वास्थ्य विभाग की पूरी टीम उपस्थित थी।
पांडवयुगीन 'पोखर' यानि झीलनुमा तालाब, जहां महाभारत से लेकर कत्यूरकाल, फिर गुलाम भारत की रक्तरंजित गाथाएं अथाह गहरी हैं। द्वापर में पांडवों की तलाश में कौरवों का यहां डेरा डालना, फिर कुरुक्षेत्र का महायुद्ध, फिर कुमाऊं एवं गढ़वाल के शासकों के बीच घोर संग्राम से लाल हुई इस धरा पर डेढ़ सौ वर्ष पूर्व तक पोखर के चारों तरफ फैला मैदान रणभूमि बनता रहा। कालांतर में रक्तपात से बचने को भंडरगांव के लड़ाकों ने सांकेतिक बग्वाल (पाषाण युद्ध) शुरू की। तब पोखर में बड़े वजनी पत्थर उठा कर फेंक वीरता दर्शाने की नई परंपरा का आगाज किया, तो पांडवकालीन सभ्यता का गवाह इस क्षेत्र को नाम मिला बग्वालीपोखर। जहां, वीर रस पर आधारित सरंकार नृत्य को खास प्राथमिकता दी जाती है।
मौजूदा रंगभूमि बग्वालीपोखर सदियों पहले रणभूमि रही है। दंतकथा के अनुसार पांडवों को खोलने में नाकाम कौरवों की इस घाटी से वापसी के बाद कुरुक्षेत्र में महाभारत हुआ। कौरवों की मौजूदगी की गहरी छाप कहें या महज संयोग, कत्यूरकाल से लेकर चंदशासन तक कुमाऊं व गढ़वाल (मानसखंड व केदारखंड) के शासकों के बीच कई बार भयंकर युद्ध हुए।
साहित्यकार डॉ. जगत सिंह भंडारी लिखित किताब का हवाला देते हुए रंगकर्मी हरीश डौर्बी कहते हैं, कई बार रक्तरंजित इस रणभूमि पर भंडरगांव के लड़ाकों ने खूनी बग्वाल यानि लठ व पाषाण युद्ध की शुरूआत की। कालांतर में जागरूकता ही कहेंगे कि बेवजह खून न बहे, आपसी सौहार्द रहे, धड़ों में खुनी युद्ध न हो, इसके लिए तत्कालीन थोकदार ने डेढ़ सौ वर्ष पूर्व मैदान के बीचों बीच पोखर में विशालकाय पत्थर उठाकर फेंकने की परंपरा शुरू कराई। यह परंपरा भी लगभग सौ वर्ष पूर्व समाप्त हो गई।
खूनी बग्वाल से संस्कृति संरक्षण तक का सफर
बग्वाली मेले का इतिहास खासा पुराना है। तब मेले में भी खूनी बग्वाल (लठ व पाषाण युद्ध) की परंपरा थी। जानकारों की मानें तो 10वीं सदी में बग्वाली मेले की शुरूआत वीरता दर्शाने के लिए किया गया। मेले में रणबांकुरे रणकौशल का प्रदर्शन करते थे। तब भी अत्यधिक रक्तपात होता था। बाद में पोखर में प्रतीकात्मक रूप से पत्थर फेंकने की परंपरा चली। इससे पोखर पत्थरों से पट गया। यहां अब मैदान है, जहां शहीद स्मारक है। वर्तमान में रामलीला का मंचन कर मर्यादा पुरुषोत्तम राक के आदर्शो पर चलने का संदेश दिया जाता है। वहीं बग्वाली मेले के जरिये देवभूमि की सांस्कृतिक विरासत को जिंदा रखने का आह्वान भी।
मेले में मेला समिति के अध्यक्ष सु. मेजर हरीश भंडारी, सचिव प्रमोद जोशी, कोषाध्यक्ष विनोद अधिकारी, उपाध्यक्ष रमेश नेगी, सांस्कृतिक सचिव डॉ दीपक मेहता, सन्तोष बिष्ट, पोखरम के निदेशक त्रिभुवन बिष्ट, जगत सिंह भण्डारी, जीवन अधिकारी, मोहन सिंह भण्डारी, कुंदन सिंह, लोकेश अधिकारी, वीरेंद्र सिंह, अजय नेगी, बलवीर भंडारी, अर्जुन बिष्ट, जीवन अधिकारी, शिवदत्त पांडे, भानू जोशी, डीडी जोशी, मनोज पांडे, मेला समिति के पूर्व अध्यक्ष हरीश भंडारी आदि लोग उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन डॉ सन्तोष बिष्ट और मोहन भंडारी ने किया।