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पिथौरागढ़ में स्वास्थ्य सेवाओं की हालत 'नासाज', मरीजों का कैसे होगा इलाज ?

पिथौरागढ़ के सरकारी अस्पताल में महिलाओं के लिए अल्ट्रासाउंड कराना जंग जीतने से कम नहीं है.

पिथौरागढ़ में स्वास्थ्य सेवाओं की हालत 'नासाज'
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Published : Apr 18, 2019, 5:51 PM IST

पिथौरागढ़: सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी सरकार के गले की फांस बनी हुई है. जिला महिला अस्पताल में पटरी से उतरी स्वास्थ्य सेवाओं का खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ रहा है. जिले के सबसे बड़े महिला अस्पताल में अल्ट्रासाउंड मशीन लंबे समय से खराब पड़ी है. अस्पताल में रेडियोलॉजिस्ट जैसा महत्वपूर्ण पद तक स्वीकृत नहीं है. जिस कारण गर्भवती और बीमार महिलाओं को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

पिथौरागढ़ में स्वास्थ्य सेवाओं की हालत 'नासाज'

पढ़ें- बहुत देर हो जाएगी जबतक जागेंगे हम, फूलों की घाटी को तबतक बर्बाद कर देगा ये 'दानव'

स्वास्थ्य महकमे ने मरीजों को राहत देने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था तो की है, लेकिन वो नाकाफ़ी साबित हो रही है. पिथौरागढ़ के सरकारी अस्पताल में महिलाओं के लिए अल्ट्रासाउंड कराना जंग जीतने से कम नहीं है. जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में अल्ट्रासाउंड मशीन और रेडियोलॉजिस्ट न होने के कारण पूरा भार जिला महिला अस्पताल पर ही पड़ रहा है. इसके अवावा पड़ोसी देश नेपाल से भी गर्भवती महिलाएं यहां इलाज कराने के लिए आती हैं. लेकिन पिथौरागढ़ के महिला अस्तपाल में रेडियोलॉजिस्ट का एक पद तक स्वीकृत नहीं है.

रेडियोलॉजिस्ट के अभाव में हफ्ते में मात्र एक दिन अल्ट्रासाउंड के लिए कैम्प लगाया जाता है. जिसमें भारी तादाद में महिलाएं दूर-दूर से अल्ट्रासाउंड के लिए आती हैं. लेकिन ये कैम्प भीड़ के हिसाब से नाकाफ़ी साबित हो रहा है. मरीजों को बिना चैकअप के ही वापस लौटान पड़ता है.

पढ़ें- कैंची धाम आने से बदली थी एप्पल फाउंडर की किस्मत, कई सेलिब्रिटी भी हैं बाबा के भक्त

कई बार तो सुविधाओं के अभाव में जज्जा-बच्चा को हायर सेंटर हल्द्वानी के लिए रेफर करना पड़ता है. इन में से कई मरीज तो रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं. अस्पताल प्रबंधन कई बार स्वास्थ्य विभाग के आलाधिकारियों को अवगत करा चुका है, लेकिन हालत है की सुधरने का नाम ही नहीं ले रहे हैं.

पिथौरागढ़: सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी सरकार के गले की फांस बनी हुई है. जिला महिला अस्पताल में पटरी से उतरी स्वास्थ्य सेवाओं का खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ रहा है. जिले के सबसे बड़े महिला अस्पताल में अल्ट्रासाउंड मशीन लंबे समय से खराब पड़ी है. अस्पताल में रेडियोलॉजिस्ट जैसा महत्वपूर्ण पद तक स्वीकृत नहीं है. जिस कारण गर्भवती और बीमार महिलाओं को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

पिथौरागढ़ में स्वास्थ्य सेवाओं की हालत 'नासाज'

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स्वास्थ्य महकमे ने मरीजों को राहत देने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था तो की है, लेकिन वो नाकाफ़ी साबित हो रही है. पिथौरागढ़ के सरकारी अस्पताल में महिलाओं के लिए अल्ट्रासाउंड कराना जंग जीतने से कम नहीं है. जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में अल्ट्रासाउंड मशीन और रेडियोलॉजिस्ट न होने के कारण पूरा भार जिला महिला अस्पताल पर ही पड़ रहा है. इसके अवावा पड़ोसी देश नेपाल से भी गर्भवती महिलाएं यहां इलाज कराने के लिए आती हैं. लेकिन पिथौरागढ़ के महिला अस्तपाल में रेडियोलॉजिस्ट का एक पद तक स्वीकृत नहीं है.

रेडियोलॉजिस्ट के अभाव में हफ्ते में मात्र एक दिन अल्ट्रासाउंड के लिए कैम्प लगाया जाता है. जिसमें भारी तादाद में महिलाएं दूर-दूर से अल्ट्रासाउंड के लिए आती हैं. लेकिन ये कैम्प भीड़ के हिसाब से नाकाफ़ी साबित हो रहा है. मरीजों को बिना चैकअप के ही वापस लौटान पड़ता है.

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कई बार तो सुविधाओं के अभाव में जज्जा-बच्चा को हायर सेंटर हल्द्वानी के लिए रेफर करना पड़ता है. इन में से कई मरीज तो रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं. अस्पताल प्रबंधन कई बार स्वास्थ्य विभाग के आलाधिकारियों को अवगत करा चुका है, लेकिन हालत है की सुधरने का नाम ही नहीं ले रहे हैं.

Intro:पिथौरागढ़: जिला महिला अस्पताल में पटरी से उतरी स्वास्थ्य सेवाओं का खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ रहा है। जिले के एकमात्र बड़े महिला अस्पताल में अल्ट्रासाउंड मशीन लम्बे समय से खराब पड़ी है वही अस्पताल में रेडियोलॉजिस्ट जैसा महत्वपूर्ण पद तक स्वीकृत नही है। जिस कारण गर्भवती और बीमार महिलाओं को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। स्वास्थ्य महकमें ने लोगों को राहत देने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था तो की है जो एकदम नाकाफी साबित हो रही है। पिथौरागढ़ में महिलाओं के लिए अल्ट्रासाउंड कराना जंग जीतने से कम नही है। जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में अल्ट्रासाउंड मशीन और रेडियोलॉजिस्ट ना होने के कारण पूरा भार जिला महिला अस्पताल पर ही निर्भर रहता है। पड़ोसी मुल्क नेपाल की गर्भवती महिलाएं भी यहां इलाज के लिए आती है। मगर जिला महिला अस्पताल में भी रेडियोलॉजिस्ट का एक अदद पद तक स्वीकृत नही है। रेडियोलॉजिस्ट के अभाव में हफ्ते में मात्र एक दिन अल्ट्रासाउंड के लिए कैम्प लगाया जाता है । जिसमे भारी तादात में महिलाएं दूर-दूर से अल्ट्रासाउंड के लिए आती है। मगर कई मरीजों को बिना इलाज के ही बैरंग वापस लौटना पड़ता है। यही नही गंम्भीर स्थिति में जच्चा बच्चा दोनों को हायर सेंटर रैफर हल्द्वानी रैफर कर दिया जाता है। जिस कारण कई मौकों पर रास्ते मे ही जच्चा-बच्चा को अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है। स्वास्थ्य विभाग कई बार आलाधिकारियों को इन समस्याओं से रूबरू करा चुका है मगर हालात जस का तस बनी हुए है। Byte: गंगोत्री दताल, स्थानीय महिला Byte: उषा गुंज्याल, मुख्य चिकित्साधिकारी, पिथौरागढ़


Body:पिथौरागढ़: जिला महिला अस्पताल में पटरी से उतरी स्वास्थ्य सेवाओं का खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ रहा है। जिले के एकमात्र बड़े महिला अस्पताल में अल्ट्रासाउंड मशीन लम्बे समय से खराब पड़ी है वही अस्पताल में रेडियोलॉजिस्ट जैसा महत्वपूर्ण पद तक स्वीकृत नही है। जिस कारण गर्भवती और बीमार महिलाओं का इलाज स्वास्थ्य महकमें ने लोगों को राहत देने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था तो की है जो एकदम नाकाफी साबित हो रही है। पिथौरागढ़ में महिलाओं के लिए अल्ट्रासाउंड कराना जंग जीतने से कम नही है। जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में अल्ट्रासाउंड मशीन और रेडियोलॉजिस्ट ना होने के कारण पूरा भार जिला महिला अस्पताल पर ही निर्भर रहता है। पड़ोसी मुल्क नेपाल की गर्भवती महिलाएं भी यहां इलाज के लिए आती है। मगर जिला महिला अस्पताल में भी रेडियोलॉजिस्ट का एक अदद पद तक स्वीकृत नही है। रेडियोलॉजिस्ट के अभाव में हफ्ते में मात्र एक दिन अल्ट्रासाउंड के लिए कैम्प लगाया जाता है । जिसमे भारी तादात में महिलाएं दूर-दूर से अल्ट्रासाउंड के लिए आती है। मगर कई मरीजों को बिना इलाज के ही बैरंग वापस लौटना पड़ता है। यही नही गंम्भीर स्थिति में जच्चा बच्चा दोनों को हायर सेंटर रैफर हल्द्वानी रैफर कर दिया जाता है। जिस कारण कई मौकों पर रास्ते मे ही जच्चा-बच्चा को अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है। स्वास्थ्य विभाग कई बार आलाधिकारियों को इन समस्याओं से रूबरू करा चुका है मगर हालात जस का तस बनी हुए है। Byte: गंगोत्री दताल, स्थानीय महिला Byte: उषा गुंज्याल, मुख्य चिकित्साधिकारी, पिथौरागढ़


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