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जनश्री बीमा योजना घोटाला: 11 साल बाद पूरी हुई जांच, कई अधिकारी व कर्मचारी के खिलाफ मुकदमा दर्ज

जनश्री बीमा योजना घोटाला मामले में 11 साल बाद जांच पूरी होने के बाद काशीपुर कोतवाली में दर्जन भर से अधिक अधिकारी व कर्मचारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है.

जनश्री बीमा योजना घोटाला.
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Published : Jul 18, 2019, 8:37 PM IST

काशीपुर: जनश्री बीमा योजना घोटाला मामले में काशीपुर कोतवाली में दर्जन भर से अधिक अधिकारी व कर्मचारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है. जनश्री बीमा योजना घोटाले को लेकर साल 2008 में हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. जिसके 11 साल बाद 10 जुलाई 2019 को याचिका को लेकर समाज कल्याण विभाग के सचिव ने विभागीय निदेशक को मामले की जांच सौंपी. जिसमें पोस्ट ऑफिस, समाज कल्याण विभाग और बैंक के कई अधिकारियों व कर्मचारियों की संलिप्तता पायी गई.

जनश्री बीमा योजना घोटाला.

दरअसल, साल 2008 में राज्य बहुउद्देशीय वित्त एवं विकास निगम ने जनश्री बीमा योजना शुरू की थी. इसके तहत बीपीएल परिवार के किसी व्यक्ति की 60 साल की आयु से पहले स्वाभाविक मौत होने पर मृतक आश्रितों को 30 हजार और दुर्घटना में मौत होने पर 75 हजार रुपये का भुगतान करने का प्रावधान था. यह राशि मृतक के आश्रितों को उसकी मृत्यु के एक वर्ष की अवधि में देनी होती थी. एलआईसी इस राशि को मृतक आश्रितों के बैंक या डाकघर खातों में भेजता था. योजना में केंद्र और राज्य सरकार का बराबर अंशदान था.

पढ़ें: सामान की कीमत को लेकर भिड़े दुकानदार और पर्यटक, जमकर की मारपीट

वहीं, साल 2008 में ही जनश्री बीमा योजना में फर्जीवाड़ा होने का आरोप लगाते हुए फिरोजपुर निवासी रामकिशोर ने नैनीताल हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. इस याचिका के क्रम में सचिव समाज कल्याण ने 10 जुलाई 2019 को समाज कल्याण विभाग के निदेशक को इस मामले में जांच अधिकारी नामित किया था. निदेशक ने जांच पूरी करने के बाद सभी आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की संस्तुति की, जिसके बाद 13 आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है.

मामले की जानकारी देते हुए एएसपी जगदीश चंद्र ने बताया कि निदेशक की जांच में पाया गया कि एक ही गांव में कई व्यक्तियों ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर इस योजना का लाभ प्राप्त किया है. फर्जी आश्रितों के नाम बैंकों और डाकघरों में खाते खुलवाकर लाखों रुपये की रकम हड़प ली गई. बैंकों और डाकघरों के प्रबंधकों ने भी पड़ताल किए बगैर ही खाते खोल दिए. जिसकी जांच में दस्तावेजों पर मृतकों के आश्रितों के हस्ताक्षर, मृत्यु प्रमाणपत्र, परिवार रजिस्टर की नकलें भी फर्जी पाईं गईं. इस मामले में आवेदन पत्रों की जांच करने वाले कई अधिकारियों की भूमिका भी संदेहास्पद पाई गई, जिनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है.

अधिकारियों के नाम-

  • गिरवर सिंह, तत्कालीन बीडीओ फिरोजपुर
  • परमवीर सिंह, एडीओ (समाज कल्याण)
  • राजेंद्र कुमार, कनिष्ठ लिपिक राज्य बहुउद्देशीय वित्त एवं विकास निगम
  • प्रेम प्रकाश, पोस्ट मास्टर मुख्य डाकघर रुद्रपुर
  • बीसी पांडे, पोस्ट मास्टर प्रधान डाकघर काशीपुर
  • बीसी तिवारी, पोस्ट मास्टर कुंडेश्वरी
  • निर्मला देवी, पोस्ट मास्टर धनौरी
  • अंजू गुप्ता, पोस्ट मास्टर किला स्ट्रीट
  • अजय कुमार श्रीवास्तव, शाखा प्रबंधक बैंक ऑफ बड़ौदा काशीपुर
  • वीरेंद्र कुमार जोशी, शाखा प्रबंधक एसबीआई (एडीबी ब्रांच)
  • चंद्र प्रकाश घिल्डियाल, सहायक प्रशासनिक अधिकारी एलआईसी

काशीपुर: जनश्री बीमा योजना घोटाला मामले में काशीपुर कोतवाली में दर्जन भर से अधिक अधिकारी व कर्मचारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है. जनश्री बीमा योजना घोटाले को लेकर साल 2008 में हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. जिसके 11 साल बाद 10 जुलाई 2019 को याचिका को लेकर समाज कल्याण विभाग के सचिव ने विभागीय निदेशक को मामले की जांच सौंपी. जिसमें पोस्ट ऑफिस, समाज कल्याण विभाग और बैंक के कई अधिकारियों व कर्मचारियों की संलिप्तता पायी गई.

जनश्री बीमा योजना घोटाला.

दरअसल, साल 2008 में राज्य बहुउद्देशीय वित्त एवं विकास निगम ने जनश्री बीमा योजना शुरू की थी. इसके तहत बीपीएल परिवार के किसी व्यक्ति की 60 साल की आयु से पहले स्वाभाविक मौत होने पर मृतक आश्रितों को 30 हजार और दुर्घटना में मौत होने पर 75 हजार रुपये का भुगतान करने का प्रावधान था. यह राशि मृतक के आश्रितों को उसकी मृत्यु के एक वर्ष की अवधि में देनी होती थी. एलआईसी इस राशि को मृतक आश्रितों के बैंक या डाकघर खातों में भेजता था. योजना में केंद्र और राज्य सरकार का बराबर अंशदान था.

पढ़ें: सामान की कीमत को लेकर भिड़े दुकानदार और पर्यटक, जमकर की मारपीट

वहीं, साल 2008 में ही जनश्री बीमा योजना में फर्जीवाड़ा होने का आरोप लगाते हुए फिरोजपुर निवासी रामकिशोर ने नैनीताल हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. इस याचिका के क्रम में सचिव समाज कल्याण ने 10 जुलाई 2019 को समाज कल्याण विभाग के निदेशक को इस मामले में जांच अधिकारी नामित किया था. निदेशक ने जांच पूरी करने के बाद सभी आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की संस्तुति की, जिसके बाद 13 आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है.

मामले की जानकारी देते हुए एएसपी जगदीश चंद्र ने बताया कि निदेशक की जांच में पाया गया कि एक ही गांव में कई व्यक्तियों ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर इस योजना का लाभ प्राप्त किया है. फर्जी आश्रितों के नाम बैंकों और डाकघरों में खाते खुलवाकर लाखों रुपये की रकम हड़प ली गई. बैंकों और डाकघरों के प्रबंधकों ने भी पड़ताल किए बगैर ही खाते खोल दिए. जिसकी जांच में दस्तावेजों पर मृतकों के आश्रितों के हस्ताक्षर, मृत्यु प्रमाणपत्र, परिवार रजिस्टर की नकलें भी फर्जी पाईं गईं. इस मामले में आवेदन पत्रों की जांच करने वाले कई अधिकारियों की भूमिका भी संदेहास्पद पाई गई, जिनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है.

अधिकारियों के नाम-

  • गिरवर सिंह, तत्कालीन बीडीओ फिरोजपुर
  • परमवीर सिंह, एडीओ (समाज कल्याण)
  • राजेंद्र कुमार, कनिष्ठ लिपिक राज्य बहुउद्देशीय वित्त एवं विकास निगम
  • प्रेम प्रकाश, पोस्ट मास्टर मुख्य डाकघर रुद्रपुर
  • बीसी पांडे, पोस्ट मास्टर प्रधान डाकघर काशीपुर
  • बीसी तिवारी, पोस्ट मास्टर कुंडेश्वरी
  • निर्मला देवी, पोस्ट मास्टर धनौरी
  • अंजू गुप्ता, पोस्ट मास्टर किला स्ट्रीट
  • अजय कुमार श्रीवास्तव, शाखा प्रबंधक बैंक ऑफ बड़ौदा काशीपुर
  • वीरेंद्र कुमार जोशी, शाखा प्रबंधक एसबीआई (एडीबी ब्रांच)
  • चंद्र प्रकाश घिल्डियाल, सहायक प्रशासनिक अधिकारी एलआईसी
Intro:एंकर- काशीपुर में जीवित को मृत और मृत को जिंदा दिखाकर जनश्री बीमा योजना में कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर लाखों रुपये के घोटाले का मामला सामने में आया है। जिसके बाद हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका के आलोक में समाज कल्याण विभाग के सचिव ने विभागीय निदेशक को मामले की जांच सौंपी थी। निदेशक की एक सप्ताह की जांच में पोस्ट ऑफिस, समाज कल्याण विभाग, बैंक के कई अधिकारियों व कर्मचारियों की संलिप्तता प्रकाश में आई। एडीओ (समाज कल्याण) ललिता रानी की तरफ से काशीपुर कोतवाली में दर्जन भर से अधिक अधिकारियों व कर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है।
Body:वीओ- दरअसल वर्ष 2008 में राज्य बहुउद्देशीय वित्त एवं विकास निगम ने जनश्री बीमा योजना शुरू की थी। इसके तहत बीपीएल परिवार के किसी व्यक्ति की 60 साल की आयु से पहले स्वाभाविक मौत होने पर मृतक आश्रितों को 30 हजार और दुर्घटना में मौत होने पर 75 हजार रुपये का भुगतान करने का प्रावधान था। यह राशि मृतक के आश्रितों को उसकी मृत्यु के एक वर्ष की अवधि में देनी होती थी। एलआईसी इस राशि को मृतक आश्रितों के बैंक या डाकघर खातों में भेजता था। योजना में केंद्र और राज्य सरकार का बराबर अंशदान था।
वीओ- वर्ष 2008 में जनश्री बीमा योजना में फर्जीवाड़ा होने का आरोप लगाते हुए फिरोजपुर निवासी रामकिशोर ने नैनीताल हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। इस याचिका के क्रम में सचिव समाज कल्याण ने 10 जुलाई 2019 को समाज कल्याण विभाग के निदेशक को इस मामले में जांच अधिकारी नामित किया था। निदेशक ने जांच पूरी करने के बाद सभी आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की संस्तुति की जिसके बाद 13 आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है।
निदेशक की जांच में पाया गया कि एक ही गांव में कई व्यक्तियों ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर इस योजना का लाभ प्राप्त कर लिया। फर्जी आश्रितों के नाम बैंकों और डाकघरों में खाते खुलवाकर लाखों रुपये की रकम हड़प ली गई। बैंकों और डाकघरों के प्रबंधकों ने भी पड़ताल किए बगैर ही खाते खोल दिए। जांच में दस्तावेजों पर मृतकों के आश्रितों के हस्ताक्षर, मृत्यु प्रमाणपत्र, परिवार रजिस्टर की नकलें भी फर्जी पाईं गईं। इस मामले में आवेदन पत्रों की जांच करने वाले कई अधिकारियों की भूमिका भी संदेहास्पद पाई गई।
वीओ- जिनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है उनमें तत्कालीन वीडीओ फिरोजपुर गिरवर सिंह, एडीओ (समाज कल्याण) परमवीर सिंह, कनिष्ठ लिपिक राज्य बहुउद्देशीय वित्त एवं विकास निगम राजेंद्र कुमार, पोस्ट मास्टर मुख्य डाकघर रुद्रपुर प्रेम प्रकाश, पोस्ट मास्टर प्रधान डाकघर काशीपुर बीसी पांडे, पोस्ट मास्टर कुंडेश्वरी बीसी तिवारी, पोस्ट मास्टर धनौरी निर्मला देवी, पोस्ट मास्टर किला स्ट्रीट अंजू गुप्ता, शाखा प्रबंधक बैंक ऑफ बड़ौदा (बॉब) काशीपुर अजय कुमार श्रीवास्तव, शाखा प्रबंधक एसबीआई (एडीबी ब्रांच) वीरेंद्र कुमार जोशी, सहायक प्रशासनिक अधिकारी एलआईसी चंद्र प्रकाश घिल्डियाल, रामवती शामिल हैं !
बाइट- डॉ. जगदीश चंद्र,एएसपी Conclusion:
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