देहरादून: उत्तराखंड की प्रसिद्ध चारधाम यात्रा का देश और दुनिया के श्रद्धालुओं को बेसब्री से इंतजार रहता है. इस बार की चारधाम यात्रा की तिथियां घोषित हो चुकी हैं. पिछले दो साल कोरोना के कारण चारधाम यात्रा वो रंग नहीं जमा पाई जिसके लिए वो जानी जाती है. इस बार उम्मीद है कि बड़ी संख्या में श्रद्धालु उत्तराखंड की चारधाम यात्रा पर आकर देव दर्शन करेंगे.
3 मई को खुलेंगे गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट: इस साल यानी 2022 में उत्तराखंड की चारधाम यात्रा 3 मई से शुरू होगी. 3 मई को अक्षय तृतीया के दिन मां यमुनोत्री और मां गंगोत्री के कपाट श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए खुलेंगे. चारधाम में से दो धाम यमुनोत्री और गंगोत्री उत्तरकाशी जिले में स्थित हैं.
6 मई को खुलेंगे केदारनाथ धाम के कपाट: द्वादश ज्योतिर्लिंगों में एक केदारनाथ धाम के कपाट इस बार 6 मई को खुलेंगे. रुद्रप्रयाग जिले में स्थित केदारनाथ धाम 2013 में आई आपदा में सिसक उठा था. उसके बाद 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केदारनाथ का पुनर्निर्माण कार्य शुरू कराया. अब केदारनाथ अपनी पहली वाली रंगत में लौट आया है.
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8 मई को खुलेंगे बदरीनाथ धाम के कपाट: देश के चारधाम में से एक बदरीनाथ धाम के कपाट इस बार 8 मई को खुलेंगे. अलकनंदा नदी के तट पर स्थित बदरीनाथ धाम को मोक्षधाम भी कहा जाता है. भगवान विष्णु के इस धाम को लेकर श्रद्धालुओं में अगाध श्रद्धा है.
केदारनाथ धाम के कपाट खुलने से पहले ये होगा: केदारनाथ धाम के कपाट खोलने की तिथि एवं मुहूर्त के साथ बाबा की पंचमुखी उत्सव डोली के केदारनाथ प्रस्थान का कार्यक्रम भी घोषित कर दिया गया है. उत्सव डोली दो मई को ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ से केदारनाथ धाम के लिए प्रस्थान करेगी. धाम के रावल भीमाशंकर लिंग ने बताया कि एक मई को ओंकारेश्वर मंदिर में केदारनाथ धाम के रक्षक भुकुंट भैरव (भैरवनाथ) की पूजा होगी.
अब हम आपको इन चारों धामों के बारे में सिलसलेवार बताते हैं. साथ ही ये भी बताते हैं कि उत्तराखंड के इन चारों धामों यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बदरीनाथ तक कैसे पहुंचा जा सकता है और ये किस जिले में पड़ते हैं.
उत्तरकाशी जिले में है यमुनोत्री धाम: यमुनोत्री धाम भारत के उत्तराखंड राज्य के उत्तरकाशी जिले में गढ़वाल क्षेत्र के पश्चिमी हिमालय में स्थित एक तीर्थ स्थल है. यमुनोत्री धाम की ऊंचाई समुद्र तल से लगभग 3,293 मीटर है. यमुनोत्री धाम यमुना की विशाल पर्वत चोटियों, ग्लेशियरों और खूबसूरत पानी के साथ साथ पर्यटकों को आमंत्रित करता है. यमुना भारत की दूसरी सबसे पवित्र नदी मानी जाती है. उत्तराखंड राज्य में स्थित छोटे चार धामों में से एक नाम यमुनोत्री का है जबकि अन्य तीन बदरीनाथ, केदारनाथ और गंगोत्री हैं. वेदों के अनुसार देवी यमुना को सूर्य की बेटी और यम देव की जुड़वां बहन माना जाता है.
कैसे पहुंचें यमुनोत्री धाम? : यहां पहुंचने का सबसे अच्छा रास्ता बड़कोट और देहरादून से होकर निकलता है. इसके बाद धरासू से यमुनोत्री की तरफ बड़कोट फिर जानकी चट्टी तक बस द्वारा यात्रा होती है. जानकी चट्टी से 6 किलोमीटर पैदल चलकर यमुनोत्री पहुंचा जाता है. जानकी चट्टी से पिठ्टू, खच्चर या पालकी के जरिए यमुनोत्री मंदिर तक पहुंच सकते हैं.
हवाई मार्ग से: गंगोत्री जाने के लिए निकटतम हवाई अड्डा जौलीग्रांट, देहरादून है. यहां से आप उत्तरकाशी के लिए उड़ान भर सकते हैं. चारधाम यात्रा के दौरान निजी हवाई सेवा कंपनियां भी चारों धामों के लिए उड़ान भरती हैं. इन उड़ानों से सबसे ज्यादा आसानी केदारनाथ धाम जाने वाले तीर्थ यात्रियों को होती है.
ट्रेन द्वारा: केवल ऋषिकेश तक रेलवे की सुविधा है. इसके बाद आपको निजी टैक्सियों या बसों का लाभ उठाना होगा. आपको हरिद्वार या ऋषिकेश से साझा जीप या इसी तरह के वाहन मिल जाएंगे. इनोवा, टवेरा, क्वालिस, स्कॉर्पियो जैसे एसयूवी या एमयूवी की सुविधा हर समय उपलब्ध है. निकटतम रेलवे स्टेशन हरिद्वार, देहरादून, कोटद्वार और काठगोदाम हैं.
सड़क मार्ग से: यमुनोत्री जाने के लिए सबसे अच्छा मार्ग देहरादून और बड़कोट है. अगर आप हरिद्वार-ऋषिकेश से आ रहे हैं तो यमुनोत्री के लिए रास्ता धरासू द्विभाजन बिंदु अलग होता है. यमुनोत्री हरिद्वार, देहरादून, चंबा, टिहरी, बड़कोट, हनुमान चट्टी और जानकी चट्टी से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है.
उत्तरकाशी जिले में है गंगोत्री धाम: गंगोत्री उत्तराखंड के हिमालय क्षेत्र में 3048 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. गंगोत्री उत्तरकाशी जिले के उत्तरी भाग में स्थित है और भारत-तिब्बत सीमा के बहुत करीब है. यह देहरादून से लगभग 300 किमी, ऋषिकेश से 250 किमी और उत्तरकाशी से 105 किमी दूर है.
कैसे पहुंचें गंगोत्री धाम? : हवाई मार्ग से: गंगोत्री से निकटतम हवाई अड्डा जौलीग्रांट है, जो ऋषिकेश से सिर्फ 26 किमी दूर स्थित है. हवाई अड्डे से, यात्रियों को गंगोत्री पहुंचने के लिए टैक्सी या बस सेवा लेनी होगी.
ट्रेन द्वारा: गंगोत्री धाम से सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है. ये गंगोत्री धाम से लगभग 249 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. यहां से कैब के द्वारा या फिर बस द्वारा ही गंगोत्री धाम पहुंचा जा सकता है. ऋषिकेश फास्ट ट्रेनों से नहीं जुड़ा है और कोटद्वार में ट्रेनों की संख्या बहुत कम है. इस प्रकार यदि आप ट्रेन से गंगोत्री आ रहे हैं तो हरिद्वार सबसे अच्छा रेलवे स्टेशन है. हरिद्वार भारत के सभी भागों से कई ट्रेनों द्वारा जुड़ा हुआ है.
सड़क मार्ग से: उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के अधिकांश प्रमुख शहरों से सड़क मार्ग द्वारा बहुत आसानी से गंगोत्री धाम पहुंचा जा सकता है. गंगोत्री धाम दिल्ली से 452 किलोमीटर और ऋषिकेश से 229 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.
केदारनाथ धाम रुद्रप्रयाग जिले में है: केदारनाथ धाम उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है. यह उत्तराखंड के चार धामों में से एक है. केदारनाथ, केदारनाथ घाटी में समुद्र तल से 3584 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. यह एक हिंदू मंदिर है जो भगवान शिव को समर्पित है. केदारनाथ में मंदाकिनी नदी बहती है.
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केदारनाथ धाम कैसे पहुंचें? सड़क मार्ग से: केदारनाथ, चंडीगढ़ से (387 किमी), दिल्ली से (458 किमी), नागपुर से (1421 किमी), बैंगलोर से (2484 किमी) या ऋषिकेश (189 किमी) जैसे प्रमुख शहरों से सड़क मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है. आप हरिद्वार, कोटद्वार या देहरादून तक रेल से यात्रा कर सकते हैं. देहरादून से पर हवाई यात्रा सेवा भी उपलब्ध है.
दिल्ली से केदारनाथ सड़क मार्ग द्वारा: दिल्ली से लगभग हर आधे घंटे में हरिद्वार के लिए बसें जाती हैं. सड़क मार्ग से केदारनाथ पहुंचने में करीब 8 घंटे लगते हैं. ट्रेन से हरिद्वार या ऋषिकेश तक भी जा सकते हैं. ये यात्रा 4-6 घंटे लेगी. हरिद्वार से आप सीधे केदारनाथ जा सकते हैं. जीप से आप 9-10 घंटे में गौरीकुंड पहुंच सकते हैं. ये ध्यान जरूर रखें कि ऋषिकेश से गौरीकुंड तक रात 8 बजे से सुबह 4 बजे तक यात्रा मार्ग बंद रहते हैं.
सड़क मार्ग से हरिद्वार से केदारनाथ: हरिद्वार से रोजाना सुबह गौरीकुंड के लिए बस सेवा चलती है. हरिद्वार रेलवे स्टेशन के सामने GMOUL (गढ़वाल मोटर्स ओनर्स यूनियन लिमिटेड) के कार्यालय से बस की एडवांस बुकिंग की जा सकती है.
ट्रेन द्वारा: केदारनाथ के लिए दिल्ली से निकटतम रेलवे स्टेशन कोटद्वार, हरिद्वार, ऋषिकेश और देहरादून हैं. इन स्टेशनों से आप बस, जीप और टैक्सी से केदारनाथ के लिए जा सकते हैं. अगर आप सड़क मार्ग से केदारनाथ जा रहे हैं तो आपको करीब 17 किलोमीटर की चढ़ाई चढ़नी पड़ेगी.
चमोली जिले में है बदरीनाथ धाम: बदरीनाथ अथवा बदरीनारायण मंदिर उत्तराखण्ड के चमोली जनपद में स्थित है. अलकनंदा नदी के तट पर स्थित यह हिन्दू मन्दिर मोक्ष धाम कहलाता है. यह हिंदू देवता विष्णु को समर्पित मंदिर है. यह स्थान हिंदू धर्म में वर्णित सर्वाधिक पवित्र स्थानों, चार धामों में से एक प्राचीन मंदिर है जिसका निर्माण 7वीं-9वीं सदी में होने के प्रमाण मिलते हैं. मन्दिर के नाम पर ही इसके इर्द-गिर्द बसे नगर को भी बदरीनाथ ही कहा जाता है. भौगोलिक दृष्टि से यह स्थान हिमालय पर्वतमाला के ऊंचे शिखरों के मध्य, गढ़वाल क्षेत्र में, समुद्र तल से 3133 मीटर या 10,289 फीट की ऊंचाई पर स्थित है.
कैसे पहुंचें बदरीनाथ? हवाई मार्ग से: जौलीग्रांट हवाई अड्डा बदरीनाथ का निकटतम हवाई अड्डा है जो 314 किमी की दूरी पर स्थित है. जौलीग्रांट हवाई अड्डा रोजाना उड़ानों के साथ दिल्ली से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है. बदरीनाथ से इस हवाई अड्डे तक अच्छी सड़क बनी हुई है. यहां से बदरीनाथ के लिए टैक्सी उपलब्ध होती है.
रेल द्वारा: बदरीनाथ का निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है. ऋषिकेश रेलवे स्टेशन NH58 के पास है. ऋषिकेश के लिए ट्रेनें अक्सर चलती हैं और बदरीनाथ-ऋषिकेश बस सेवा से अच्छी तरह जुड़ा है. ऋषिकेश से बदरीनाथ के लिए बस और टैक्सी दोनों साधन उपलब्ध हैं.
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सड़क मार्ग द्वारा: बदरकीनाथ उत्तराखंड के प्रमुख स्थलों के साथ मोटर मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है. आईएसबीटी कश्मीरी गेट से हरिद्वार, ऋषिकेश और श्रीनगर के लिए बसें उपलब्ध हैं. उत्तराखंड के प्रमुख स्थलों जैसे देहरादून, हरिद्वार, ऋषिकेश, पौड़ी, रुद्रप्रयाग, कर्णप्रयाग, ऊखीमठ, श्रीनगर, चमोली आदि से बदरीनाथ के लिए बसें और टैक्सी आसानी से उपलब्ध हैं.