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राष्ट्रीय संरक्षित क्षेत्रों में निर्धारित बफर जोन पर वन विभाग ने लिया बड़ा निर्णय - National Park

उत्तराखंड में राष्ट्रीय पार्कों के जरिए वन्यजीवों को संरक्षित किया जा रहा है.उत्तराखंड वन महकमा अब इन संरक्षित पार्कों से कई बफर जोन और संवेदनशील जोन को समाप्त करने की तैयारी कर रहा है.

विभाग ने लिया बड़ा निर्णय.
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Published : Jul 21, 2019, 7:57 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड के राष्ट्रीय संरक्षित क्षेत्रों में निर्धारित बफर जोन और सेंसेटिव जोन पर बड़ा फैसला लिया गया है. इन्हें समाप्त के लिए वन विभाग स्टेट वाइल्ड लाइफ बोर्ड में प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रहा है. स्टेट वाइल्डलाइफ बोर्ड में रखे जाने वाले इस प्रस्ताव में संरक्षित क्षेत्रों के कई बफर जोन और संवेदनशील जो को समाप्त किये जाने की पैरवी की जाएगी.

विभाग ने लिया बड़ा निर्णय.

उत्तराखंड में राष्ट्रीय पार्कों के जरिए वन्यजीवों को संरक्षित किया जा रहा है. प्रदेश के 6 राष्ट्रीय पार्कों में कई दुर्लभ वन्यजीव संरक्षित किये जा रहे हैं. इसमें कॉर्बेट नेशनल पार्क, राजाजी नेशनल पार्क, गोविंद नेशनल पार्क, फूलों की घाटी, नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क और गंगोत्री राष्ट्रीय पार्क शामिल हैं. खास बात यह है कि उत्तराखंड वन महकमा अब इन संरक्षित पार्कों से कई बफर जोन और संवेदनशील जोन को समाप्त करने की तैयारी कर रहा है.

पढ़ें-जब दुकान से एक साथ निकले 15 कोबरा तो हर कोई रह गया दंग, देखें वीडियो

इसके लिए वन महकमे ने बकायदा एक प्रस्ताव भी तैयार कर लिया है. जिसे अब स्टेट वाइल्डलाइफ बोर्ड की बैठक में रखा जाएगा. वन मंत्री हरक सिंह रावत ने बताया कि निर्धारित राष्ट्रीय पार्कों में बफर जोन और संवेदनशील जोन को समाप्त करने के लिए वन विभाग गंभीर है. उन्होंने बताया कि इसका प्रस्ताव बोर्ड की बैठक में में रखा जाएगा. जिसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी.

पढ़ें-कैबिनेट में लिए गए फैसलों की होगी मॉनिटरिंग: सीएम त्रिवेंद्र
बता दें कि उत्तराखंड का कुल क्षेत्रफल 53483 वर्ग किलोमीटर है. इसमें 71% वन भूभाग है. ऐसे में संरक्षित क्षेत्रों के नियम और वन भूमि को लेकर विशेष कानून उत्तराखंड के लोगों के लिए परेशानी बनते रहे हैं. वन मंत्री हरक सिंह रावत की मानें तो उत्तराखंड में संरक्षित पार्क आम जन आंदोलन की वजह बनने लगे हैं. खासतौर पर गढ़वाल क्षेत्र में 6 राष्ट्रीय पार्कों का क्षेत्र होने के चलते आम लोगों को विशेष कानूनों से खासी दिक्कतें हो रही हैं

देहरादून: उत्तराखंड के राष्ट्रीय संरक्षित क्षेत्रों में निर्धारित बफर जोन और सेंसेटिव जोन पर बड़ा फैसला लिया गया है. इन्हें समाप्त के लिए वन विभाग स्टेट वाइल्ड लाइफ बोर्ड में प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रहा है. स्टेट वाइल्डलाइफ बोर्ड में रखे जाने वाले इस प्रस्ताव में संरक्षित क्षेत्रों के कई बफर जोन और संवेदनशील जो को समाप्त किये जाने की पैरवी की जाएगी.

विभाग ने लिया बड़ा निर्णय.

उत्तराखंड में राष्ट्रीय पार्कों के जरिए वन्यजीवों को संरक्षित किया जा रहा है. प्रदेश के 6 राष्ट्रीय पार्कों में कई दुर्लभ वन्यजीव संरक्षित किये जा रहे हैं. इसमें कॉर्बेट नेशनल पार्क, राजाजी नेशनल पार्क, गोविंद नेशनल पार्क, फूलों की घाटी, नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क और गंगोत्री राष्ट्रीय पार्क शामिल हैं. खास बात यह है कि उत्तराखंड वन महकमा अब इन संरक्षित पार्कों से कई बफर जोन और संवेदनशील जोन को समाप्त करने की तैयारी कर रहा है.

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इसके लिए वन महकमे ने बकायदा एक प्रस्ताव भी तैयार कर लिया है. जिसे अब स्टेट वाइल्डलाइफ बोर्ड की बैठक में रखा जाएगा. वन मंत्री हरक सिंह रावत ने बताया कि निर्धारित राष्ट्रीय पार्कों में बफर जोन और संवेदनशील जोन को समाप्त करने के लिए वन विभाग गंभीर है. उन्होंने बताया कि इसका प्रस्ताव बोर्ड की बैठक में में रखा जाएगा. जिसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी.

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बता दें कि उत्तराखंड का कुल क्षेत्रफल 53483 वर्ग किलोमीटर है. इसमें 71% वन भूभाग है. ऐसे में संरक्षित क्षेत्रों के नियम और वन भूमि को लेकर विशेष कानून उत्तराखंड के लोगों के लिए परेशानी बनते रहे हैं. वन मंत्री हरक सिंह रावत की मानें तो उत्तराखंड में संरक्षित पार्क आम जन आंदोलन की वजह बनने लगे हैं. खासतौर पर गढ़वाल क्षेत्र में 6 राष्ट्रीय पार्कों का क्षेत्र होने के चलते आम लोगों को विशेष कानूनों से खासी दिक्कतें हो रही हैं

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Summary- उत्तराखंड के राष्ट्रीय संरक्षित क्षेत्रों में निर्धारित बफर जोन और सेंसेटिव जोन पर 1 महीने बड़ा निर्णय लेते हुए इन्हें समाप्त करने का निर्णय लिया है.. इसके लिए वन महकमा स्टेट वाइल्डलाइफ बोर्ड में प्रस्ताव लाने जा रहा है। 


उत्तराखंड में वन्यजीवों के संरक्षण के लिए संरक्षित किए गए राष्ट्रीय पार्कों और उद्यान को लेकर वन महकमा जल्द एक प्रस्ताव लाने जा रहा है.. स्टेट वाइल्डलाइफ बोर्ड में रखे जाने वाले इस प्रस्ताव में संरक्षित क्षेत्रों के कई बफर जोन और संवेदनशील ज़ोन को समाप्त किये जाने की पैरवी की जाएगी।




Body:उत्तराखंड में राष्ट्रीय पार्कों के जरिए वन्यजीवों को संरक्षित किया जा रहा है। प्रदेश के कुल 6 राष्ट्रीय पार्कों में कई दुर्लभ वन्यजीव संरक्षित किये जा रहे है...इसमें कॉर्बेट नेशनल पार्क, राजाजी नेशनल पार्क, गोविंद नेशनल पार्क, फूलों की घाटी, नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क और गंगोत्री राष्ट्रीय पार्क शामिल है। खास बात यह है कि उत्तराखंड वन महकमा अब इन संरक्षित पार्कों से कई बफर जोन और संवेदनशील जोन को समाप्त करने की तैयारी कर रहा है। इसके लिए बकायदा वन महकमे ने एक प्रस्ताव भी तैयार कर लिया है... जिसे अब स्टेट वाइल्डलाइफ बोर्ड की बैठक में रखा जाएगा... वन मंत्री हरक सिंह रावत ने बताया कि निर्धारित राष्ट्रीय पार्कों में बफर जोन और संवेदनशील जोन को विड्रो करने के लिए महकमा गंभीर है और इसे बोर्ड की बैठक में प्रस्ताव के जरिए रखा जाएगा।


बाइट हरक सिंह रावत वन मंत्री उत्तराखंड


इसे टेक्स्ट के रूप में चलाया जा सकता है


आपको बता दें कि कॉर्बेट नेशनल पार्क का विस्तार नैनीताल और पौड़ी जिले तक है इसका कुल क्षेत्रफल 520.82 वर्ग किलोमीटर तक फैला हुआ है। 


नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क चमोली जिले में है जो कुल 624 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में विस्तारित है।


गोविंद नेशनल पार्क का कुल क्षेत्रफल 472 वर्ग किलोमीटर है... जहां उत्तरकाशी स्थित पार्क में भूरा भालू, कस्तूरी मृग जैसे कई वन्यजीवों को संरक्षित किया जा रहा है। 


राजाजी नेशनल पार्क हरिद्वार, पौड़ी और देहरादून जिले तक है इस का कुल क्षेत्रफल 820.42 वर्ग किलोमीटर है।


फूलों की घाटी जो विश्व धरोहर के रूप में भी शामिल की गई है इसका कुल क्षेत्रफल 87.5 वर्ग किलोमीटर है और यहां हजारों किस्म के फूलों और दुर्लभ जीवों को संरक्षित किया जा रहा है। 


उत्तराखंड का कुल क्षेत्रफल 53483 वर्ग किलोमीटर है इसमें 71% वन भूभाग है... ऐसे में संरक्षित क्षेत्रों के नियम और वन भूमि को लेकर विशेष कानून उत्तराखंड के लोगों के लिए परेशानी बनते रहे हैं। वन मंत्री हरक सिंह रावत की मानें तो उत्तराखंड में संरक्षित पार्क आम जन आंदोलन की वजह बनने लगे हैं खासतौर पर गढ़वाल क्षेत्र में 6 राष्ट्रीय पार्कों का क्षेत्र होने के चलते आम लोगों को विशेष कानूनों से खासी दिक्कत हो रही है और अब लोग आंदोलन की राह पकड़ने लगे हैं।


बाइट हरक सिंह रावत वन मंत्री उत्तराखंड




Conclusion:पर्यावरण संरक्षण के लिए वनों का संरक्षण जरूरी है लेकिन यह भी जरूरी है कि वनों के संरक्षण के लिए बनाए गए कानूनों का आम लोगों पर बुरा असर न पड़े। 

पीटीसी नवीन उनियाल देहरादून
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