देहरादून: उत्तराखंड के राष्ट्रीय संरक्षित क्षेत्रों में निर्धारित बफर जोन और सेंसेटिव जोन पर बड़ा फैसला लिया गया है. इन्हें समाप्त के लिए वन विभाग स्टेट वाइल्ड लाइफ बोर्ड में प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रहा है. स्टेट वाइल्डलाइफ बोर्ड में रखे जाने वाले इस प्रस्ताव में संरक्षित क्षेत्रों के कई बफर जोन और संवेदनशील जो को समाप्त किये जाने की पैरवी की जाएगी.
उत्तराखंड में राष्ट्रीय पार्कों के जरिए वन्यजीवों को संरक्षित किया जा रहा है. प्रदेश के 6 राष्ट्रीय पार्कों में कई दुर्लभ वन्यजीव संरक्षित किये जा रहे हैं. इसमें कॉर्बेट नेशनल पार्क, राजाजी नेशनल पार्क, गोविंद नेशनल पार्क, फूलों की घाटी, नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क और गंगोत्री राष्ट्रीय पार्क शामिल हैं. खास बात यह है कि उत्तराखंड वन महकमा अब इन संरक्षित पार्कों से कई बफर जोन और संवेदनशील जोन को समाप्त करने की तैयारी कर रहा है.
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इसके लिए वन महकमे ने बकायदा एक प्रस्ताव भी तैयार कर लिया है. जिसे अब स्टेट वाइल्डलाइफ बोर्ड की बैठक में रखा जाएगा. वन मंत्री हरक सिंह रावत ने बताया कि निर्धारित राष्ट्रीय पार्कों में बफर जोन और संवेदनशील जोन को समाप्त करने के लिए वन विभाग गंभीर है. उन्होंने बताया कि इसका प्रस्ताव बोर्ड की बैठक में में रखा जाएगा. जिसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी.
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बता दें कि उत्तराखंड का कुल क्षेत्रफल 53483 वर्ग किलोमीटर है. इसमें 71% वन भूभाग है. ऐसे में संरक्षित क्षेत्रों के नियम और वन भूमि को लेकर विशेष कानून उत्तराखंड के लोगों के लिए परेशानी बनते रहे हैं. वन मंत्री हरक सिंह रावत की मानें तो उत्तराखंड में संरक्षित पार्क आम जन आंदोलन की वजह बनने लगे हैं. खासतौर पर गढ़वाल क्षेत्र में 6 राष्ट्रीय पार्कों का क्षेत्र होने के चलते आम लोगों को विशेष कानूनों से खासी दिक्कतें हो रही हैं