हैदराबाद : साल 2021 में भारत की राजनीति में कई ऐसी घटनाएं हुईं, जिसने सबको चौंका दिया. पॉलिटिकल बयानबाजी और रस्साकशी से अलग इन घटनाओं ने जता दिया कि भारत के राजनीतिक दल अब हमेशा इलेक्शन मोड में रहने लगे हैं. चुनाव के मद्देनजर सभी दल 2021 में कैलकुलेशन बैठाने में रहे. कई मुख्यमंत्रियों का पत्ता साफ हो गया, कई नए चेहरे अचानक से पॉलिटिक्स के केंद्र बन गए.
उत्तराखंड : त्रिवेंद्र सिंह रावत की विदाई, पांच महीने में दो नए सीएम मिले : मार्च से शुरू हुई जब त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस्तीफा दे दिया और 10 मार्च को तीरथ सिंह रावत मुख्यमंत्री बने. हालांकि तीरथ सिंह रावत को भी 2 जुलाई को इस्तीफा देना पड़ा. विधानसभा चुनाव से पहले पुष्कर सिंह धामी को भाजपा ने मुख्यमंत्री बनाया. इस तरह उत्तराखंड को पांच महीने में दो नए सीएम मिले. मार्च 2022 में उत्तराखंड में चुनाव होने हैं.
5 राज्यों के विधानसभा चुनाव, वेस्ट बंगाल में ममता बाहुबली, BJP के खाते में सिर्फ दो राज्य : मई में पांच राज्यों के हुए विधानसभा चुनाव के नतीजे आए. पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी दो तिहाई से अधिक सीटें जीतकर तीसरी बार मुख्यमंत्री बनीं. सरकार बनाने का दावा कर रही बीजेपी को सिर्फ 77 सीटें मिलीं. बाद में उसके कई विधायक टीएमसी में शामिल हो गए. बंगाल में तो कांग्रेस का सफाया हो गया.
तमिलनाडु में डीएमके दस साल बाद फिर दोबारा सत्ता में लौटी और एम के स्टालिन पहली बार मुख्यमंत्री बने. पलानीस्वामी के नेतृत्व वाली एआईडीएमके को 75 सीटें मिलीं. एआईडीएमके एनडीए गठबंधन का हिस्सा है.
केरल में कांग्रेस नेतृत्व वाले यूडीएफ को करारा झटका लगा. 95 सीटें जीतकर एलडीएफ के नेता पिनाराई विजयन लगातार दूसरी बार चीफ मिनिस्टर बने. यहां बीजेपी का खाता भी नहीं खुला.
असम में बीजेपी दोबारा बहुमत के साथ सत्ता में लौटी मगर जीत के बाद सीएम का चेहरा बदल गया. बीजेपी ने सर्वानंद सोनोवाल की जगह हिमंत विस्वसरमा को मुख्यमंत्री बनाया.
पांडिचेरी में बीजेपी एनडीए के खूंटे के साथ 16 सीटें जीतकर सत्ता में आई. यहां बीजेपी ने ऑल इंडिया एनआर कांग्रेस All-India NR Congress (AINRC) के साथ गठबंधन किया था. ऑल इंडिया एनआर कांग्रेस के एन रंगास्वामी (N. Rangaswamy) मुख्यमंत्री बने.
जून में एनडीए में बड़ा फेरबदल हुआ. लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के नेता रामबिलास पासवान के निधन के बाद पार्टी में विवाद हुआ. रामबिलास पासवान के भाई पशुपति पारस ने अन्य चार सांसदों के साथ मिलकर उनके बेटे चिराग पासवान को नेता पद से हटा दिया. इससे पहले बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान चिराग ने एनडीए से हटकर अपने प्रत्याशी उतारे थे.
जुलाई में मोदी 2.0 के कैबिनेट में चिर प्रतीक्षित विस्तार हुआ. ज्योतिरादित्य सिंधिया, मनसुख मंडाविया समेत कुल 43 लोग मंत्रिमंडल में शामिल किए गए, इनमें 7 महिलाएं हैं. 7 राज्यमंत्रियों को प्रमोट कर कैबिनेट मंत्री बनाया गया. इससे पहले रविशंकर प्रसाद, प्रकाश जावडेकर, डॉ. हर्षवर्धन, सदानंद गौड़ा और बाबुल सुप्रीयो जैसे 12 दिग्गजों की मंत्रिमंडल से छुट्टी कर दी गई.
बीजेपी ने जुलाई में अचानक तीन और राज्यों के मुख्यमंत्री बदल दिए. गुजरात में विजय रूपाणी की जगह भूपेंद्र पटेल को जिम्मेदारी दी गई. कर्नाटक में बसवराज बोम्मई ने बी एस येदियुरप्पा की जगह ली.
अक्टूबर आते-आते पंजाब में सत्ताधारी कांग्रेस में खलबली बढ़ गई. नवजोत सिंह सिद्धू के बगावती तेवर के बाद पार्टी ने कैप्टन अमरिंदर सिंह से इस्तीफा ले लिया. फिर चरणजीत सिंह चन्नी पंजाब के पहले दलित मुख्यमंत्री बने . हालांकि इसके बाद भी पंजाब कांग्रेस में काफी घमासान हुआ. कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पंजाब लोक कांग्रेस नाम की पार्टी बना ली है. वह विधानसभा चुनाव में बीजेपी के साथ गठबंधन करेंगे.
वैसे तो किसान आंदोलन गैर राजनीतिक था. मगर आंदोलन का राजनीतिक असर इसे वर्ष 2021 का सबसे बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम बना देता है. नवंबर में एक साल से चल रहा किसान आंदोलन तीन कृषि बिल संसद में निरस्त होने के बाद खत्म हो गया.
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