श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर के शोपियां जिले के पिंजोरा में हुए एनकाउंटर से कुछ देर बाद ईटीवी भारत के संवाददाता शाहिद ताक ने उस घर के मालिक तारिक अहमद पाल से बात की थी, जहां आतंकी छुपे हुए थे. मुठभेड़ के बाद तारिक से ईटीवी भारत ने बातचीत की और बातचीत के कुछ घंटों के बाद ही आतंकियों ने तारिक का घर से अपहरण कर लिया और बाद में उसकी हत्या कर दी. उसका शव पास के ही एक बाग में मिला. तारिक के परिवार में पत्नी और दो बेटियां हैं.
ईटीवी भारत के संवाददाता ने मृतक के जिंदा होने और उसके शव दोनों की तस्वीरों को अपने कैमरे में कैद किया. तारिक जब जिंदा थे, तो उनकी सात वर्षीय बेटी मेहरुन्निसा बारी-बारी से अपने पिता को पकड़े हुए थी. मुठभेढ़ के बाद तबाह हुए घर में सात वर्षीय बेटी मेहरुन्निसा अपने पिता का मोबाइल हाथ में लिए मलबे को देख रही है. वह मलबा, जो कल तक उसका घर था.
उसने कुछ समय पहले ही तबाह हुए घर की सीढ़ी से उतरने के लिए अपने पिता की उंगली पकड़ी थी, लेकिन उसे क्या पता था कि यह पल उसके पिता के साथ आखिरी पल होंगे.
शोपियां पुलिस जिला मुख्यालय से 1.5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित पिंजोरा गांव में मेहरुन्निसा के घर को आठ और नौ जून की रात सेना और जम्मू-कश्मीर पुलिस के जवानों ने घेर लिया.
एनकाउंटर के समय मेहरुन्निसा अपने परिवार के साथ नहीं थी, वह घर से पास अपने ननिहाल गई थी. घर को घेरने के तुरंत बाद सुरक्षा बलों और आतंकियों के बीच फायरिंग शुरू हो गई.
घर में हिजबुल मुजाहिदीन के चार आतंकवादी छिपे हुए थे, जिसमें हिजबुल जिला कमांडर उमर धोबी भी शामिल था. वह उसी गांव के मूल निवासी थे.
आतंकियों और सुरक्षा बलों के बीच गोलीबारी शुरू हुई. इस दौरान सेना ने गोलियों और मोर्टार के गोले से घर को निशाना बनाया. कुछ ही देर में घर ढह गया और घर के अंदर छिपे आतंकी मारे गए.
गोलीबारी के कुछ घंटों बाद, मेहरुन्निसा का परिवार मुठभेड़ स्थल पर पहुंच गया. उसके बाद पुलिस ने मेहरुन्निसा और उसके परिवार को तबाह हुए घर को देखने की अनुमति दी.
मरने से पहले मेहरुन्निसा के 32 वर्षीय पिता तारिक मुठभेड़ स्थल पर टहल रहे थे. उसी समय ईटीवी भारत संवाददाता शाहिद ताक ने उन्हें कैमरे पर कैद किया. इस दौरान उन्होंने बताया किस तरह उन्होंने 12 साल तक मेहनत करने के बाद घर बनाया था. कुछ ही घंटों में वह मलबे में तब्दील हो गया, लेकिन यह कहानी का अंत नहीं था.
तारिक द्वारा ईटीवी भारत से बात करने के तीन घंटे बाद ही कुछ अज्ञात बंदूकधारियों (संदिग्ध आतंकी) उन्हें बाहर बुलाया. ग्रामीणों का कहना है कि बंदूकधारी उसे गांव के आसपास के बागों की ओर ले गए और अगली सुबह वहां उनका शव मिला.
ग्रामीणों का कहना है कि इस दौरान कोई गोली नहीं चली लेकिन उनके शरीर पर मारपीट और चोट के निशान थे. शव के पास ऊनी लबादा (फेरान) और बेल्ट मिला.
कोई नहीं जानता कि किसने तारिक की हत्या की, लेकिन तारिक अहमद पॉल की कहानी कश्मीर में संघर्ष की कहानी को दर्शाती है, जहां आम लोगों को कहीं भी किसी भी समय मार दिया जाता है.
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