हास्य कवियों की महफिल में 'धरे गए नेताजी'
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विधानसभा चुनाव के सियासी समर को पार करने के लिए नेताजी कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे. वर्तमान में बड़े-बड़े दावों और वायदों पर दांव खेले जा रहे हैं. कोई विकास का दंभ भर रहा है तो कोई नेताजी के विकास को अपना बता रहा है. कोई सरयू कैनाल परियोजना को अपना बता कर काम का तमगा हासिल कर रहा है तो कोई उसका उद्घाटन कर अपने काम के कसीदे गढ़ रहा है. मगर इन सबके बीच पिस रही है तो बस जनता. नेताजी के दिखाए सब्जबाग में खोई जनता आखिरकार विधानसभा के चुनावों को लेकर तैयार है, और तैयार है एक नई इबारत गढ़ने के लिए. आज धरे गए नेताजी की इस कड़ी में गोरखपुर की सरजमी से सुनिए हास्य व्यंग्य कवियों से जनता के मन की बात.