चैत्र नवरात्र अष्टमी : मां मंगला गौरी के दर्शन को उमड़ी भीड़, जानिए किसने की थी स्थापना - अष्टमी तिथि को मां गौरी के दर्शन
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वाराणसी : चैत्र नवरात्र के अष्टमी तिथि को मां गौरी के दर्शन पूजन का विधान है. काशी में मां गौरी अन्नपूर्णा देवी के नाम से पूजी जाती हैं. जिले के बालाजी घाट पर मां मंगला गौरी का मंदिर स्थापित है. आज सुबह से ही लोग मां का दर्शन पूजन कर रहे हैं. मां के दर्शन पूजन से सभी प्रकार की मनोकामना पूर्ण होती है. सकरी गलियों में स्थित मां का यह प्राचीन मंदिर आज भक्तों के जयकारों से गूंज उठा है. मंगला गौरी के साथ मां गौरी जो अन्नपूर्णा रूप में काशी में विराजमान हैं, उनका भी दर्शन पूजन सुबह से किया जा रहा है. अन्नपूर्णा मंदिर काशी विश्वनाथ मंदिर के रेड जोन में स्थित है.
मंगला गौरी मंदिर की मान्यता है कि एक निश्चित तिथि शुभ दिन से पांच मंगलवार, सात मंगलवार और 14 मंगलवार दर्शन करने से कुमकुम अर्चन करने से सोना दान करने और अभिषेक करने से सभी युवक-युवतियों को सौभाग्य प्राप्ति होती है. विवाह संपन्न होता है. मंगल का दोष भी खत्म हो जाता है.
महंत राजेंद्र उपाध्याय ने बताया कि आनंदवन और कटिबंध की चोटी पर मां मंगला गौरी का मंदिर स्थापित है. इस स्थान पर भगवान सूर्य ने तपस्या की. उनके पसीने से किरणा नदी निकली हैं. नीचे घाट पंचगंगा तीर्थ (गंगा, यमुना, किरणा, धूतपापा, सरस्वती) ऊपर भगवान सूर्य द्वारा स्थापित मां मंगला गौरी विराजमान हैं. चैत्र नवरात्र के आठवें दिन मां मंगला गौरी का दर्शन होता है. सौभाग्य और मंगल की प्रधान देवी हैं, इसीलिए भक्त अपने सौभाग्य और मंगल की कामना करते हैं.
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