ETV Bharat / sukhibhava

मासिक चक्र अनियमित: पीसीओडी हो सकता हैं कारण

बदलती जीवन शैली का शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ रहा हैं. खास तौर पर महिलाओं के मासिक चक्र में अनियमितता और अत्यधिक दर्द जैसी समस्या देखी जा रही है, जो कि पीसीओडी का कारण बनती है. परिणाम स्वरूप महिलाओं के अण्डाशय में हार्मोनल बदलाव के कारण गांठ बनने लगता है और उन्हें अन्य समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है. आजकल ये समस्या महिलाओं के साथ-साथ छोटी उम्र की लड़कियों में भी देखा जा रहा है.

PCOD
पीसीओडी की समस्या
author img

By

Published : Jul 29, 2020, 5:32 PM IST

Updated : Jul 30, 2020, 9:26 AM IST

क्या आपका मासिक चक्र अनियमित है और आपको इस दौरान बहुत अधिक दर्द का सामना करना पड़ता है या फिर आपके चेहरे तथा शरीर के अन्य हिस्सों पर अचानक बाल उगने लगें हैं. यदि हां, तो सावधान हो जायें, कहीं आप पीसीओडी के शिकार तो नहीं है!

क्या है पीसीओडी

पीसीओडी क्या है तथा महिलाओं के शरीर पर इसके क्या प्रभाव होते हैं. इस बारे में जब सुखीभवा टीम ने डॉ. रेणुका गुप्ता से बात की, तो उन्होंने बताया कि पीसीओडी यानि पॉली सिस्टिक ओवरी डिसऑर्डर वर्तमान समय में महिलाओं में पायी जाने वाली प्रमुख समस्याओं में से एक है. यह मेटाबोलिक, हार्मोनल और साइको सोशल बीमारी है, जिससे भारत में हर दस से एक स्त्री पीड़ित है.

इस बीमारी में महिलाओं के शरीर में एंड्रोजन हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है. परिणाम स्वरूप ओवरी यानि अण्डाशय में सिस्ट बनने लगती है. इस सिस्ट यानि गांठों के कारण महिलाओं के शरीर में बड़े स्तर पर हार्मोनल बदलाव होने लगते है. जिससे मासिक चक्र तथा गर्भाधान दोनों में ही परेशानियां होने लगती हैं. पीसीओडी के चलते महिलाओं को बांझपन, मासिक चक्र में अनियमितता, चेहरे सहित शरीर के अन्य हिस्सों पर ज्यादा बालों का उगना, मोटापा तथा तनाव जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है.

डॉ. गुप्ता बताती हैं कि पहले के समय में व्यस्क महिलाओं में ही यह समस्या देखने में आती थी, लेकिन अब छोटी उम्र की लड़कियों में भी ये समस्याएं आम तौर पर देखने सुनने में आ जाती है. राहत वाली बात यह है कि यदि आप लक्षणों को प्रारंभिक समय में पकड़ लेते हैं, तो इस समस्याओं पर काफी हद तक काबू किया जा सकता है.

क्या है कारण

डॉ. गुप्ता बताती हैं कि दौड़ती भागती जीवन शैली में स्वास्थ्य का ध्यान न रखना, खाने पीने तथा सोने व जागने में अनुशासन का न होना, और सबसे बड़ी बात तनाव का होना पीसीओडी के मुख्य कारणों में से एक है. इसके अलावा कुछ मामलों में यह एक वंशानुगत बीमारी के तौर पर भी सामने आई है.

लक्षण और प्रभाव

महिलाओं के मासिक चक्र में अनियमितता, चेहरे तथा शरीर के अन्य हिस्सों पर बालों का उगना, मासिक के समय हद से ज्यादा दर्द होना और अत्याधिक रक्तस्त्राव होना या फिर बहुत ही कम रक्तस्त्राव होना पीसीओडी के मुख्य लक्षणों में से एक है. इस समस्या के ज्यादा बढ़ने पर महिलाओं को बांझपन, हद से ज्यादा तनाव और मोटापा जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है.

क्या करें

पीसीओडी से पीड़ित महिलाओं और लड़कियों के लिए जरूरी है कि वे एक स्वस्थ और अनुशासित जीवन शैली जियें. पौष्टिक आहार खाएं, व्यायाम करें और भरपूर पानी पियें. डॉ. गुप्ता बताती है कि कई बार महिलाएं इंटरनेट या लोगों की बातें सुनकर अपने लक्षणों का मिलान करने लगती हैं और बगैर चिकित्सीय सलाह के स्वयं से दवाईयां लेने लगती है, जो गलत है. लक्षण समझ में आते ही सबसे पहले चिकित्सक से सलाह लें और उनकी बताई गई दवाईयों का ही सेवन करें.

क्या आपका मासिक चक्र अनियमित है और आपको इस दौरान बहुत अधिक दर्द का सामना करना पड़ता है या फिर आपके चेहरे तथा शरीर के अन्य हिस्सों पर अचानक बाल उगने लगें हैं. यदि हां, तो सावधान हो जायें, कहीं आप पीसीओडी के शिकार तो नहीं है!

क्या है पीसीओडी

पीसीओडी क्या है तथा महिलाओं के शरीर पर इसके क्या प्रभाव होते हैं. इस बारे में जब सुखीभवा टीम ने डॉ. रेणुका गुप्ता से बात की, तो उन्होंने बताया कि पीसीओडी यानि पॉली सिस्टिक ओवरी डिसऑर्डर वर्तमान समय में महिलाओं में पायी जाने वाली प्रमुख समस्याओं में से एक है. यह मेटाबोलिक, हार्मोनल और साइको सोशल बीमारी है, जिससे भारत में हर दस से एक स्त्री पीड़ित है.

इस बीमारी में महिलाओं के शरीर में एंड्रोजन हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है. परिणाम स्वरूप ओवरी यानि अण्डाशय में सिस्ट बनने लगती है. इस सिस्ट यानि गांठों के कारण महिलाओं के शरीर में बड़े स्तर पर हार्मोनल बदलाव होने लगते है. जिससे मासिक चक्र तथा गर्भाधान दोनों में ही परेशानियां होने लगती हैं. पीसीओडी के चलते महिलाओं को बांझपन, मासिक चक्र में अनियमितता, चेहरे सहित शरीर के अन्य हिस्सों पर ज्यादा बालों का उगना, मोटापा तथा तनाव जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है.

डॉ. गुप्ता बताती हैं कि पहले के समय में व्यस्क महिलाओं में ही यह समस्या देखने में आती थी, लेकिन अब छोटी उम्र की लड़कियों में भी ये समस्याएं आम तौर पर देखने सुनने में आ जाती है. राहत वाली बात यह है कि यदि आप लक्षणों को प्रारंभिक समय में पकड़ लेते हैं, तो इस समस्याओं पर काफी हद तक काबू किया जा सकता है.

क्या है कारण

डॉ. गुप्ता बताती हैं कि दौड़ती भागती जीवन शैली में स्वास्थ्य का ध्यान न रखना, खाने पीने तथा सोने व जागने में अनुशासन का न होना, और सबसे बड़ी बात तनाव का होना पीसीओडी के मुख्य कारणों में से एक है. इसके अलावा कुछ मामलों में यह एक वंशानुगत बीमारी के तौर पर भी सामने आई है.

लक्षण और प्रभाव

महिलाओं के मासिक चक्र में अनियमितता, चेहरे तथा शरीर के अन्य हिस्सों पर बालों का उगना, मासिक के समय हद से ज्यादा दर्द होना और अत्याधिक रक्तस्त्राव होना या फिर बहुत ही कम रक्तस्त्राव होना पीसीओडी के मुख्य लक्षणों में से एक है. इस समस्या के ज्यादा बढ़ने पर महिलाओं को बांझपन, हद से ज्यादा तनाव और मोटापा जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है.

क्या करें

पीसीओडी से पीड़ित महिलाओं और लड़कियों के लिए जरूरी है कि वे एक स्वस्थ और अनुशासित जीवन शैली जियें. पौष्टिक आहार खाएं, व्यायाम करें और भरपूर पानी पियें. डॉ. गुप्ता बताती है कि कई बार महिलाएं इंटरनेट या लोगों की बातें सुनकर अपने लक्षणों का मिलान करने लगती हैं और बगैर चिकित्सीय सलाह के स्वयं से दवाईयां लेने लगती है, जो गलत है. लक्षण समझ में आते ही सबसे पहले चिकित्सक से सलाह लें और उनकी बताई गई दवाईयों का ही सेवन करें.

Last Updated : Jul 30, 2020, 9:26 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.