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यहां सिर्फ संक्रांति को नहीं हर दिन पकती है खिचड़ी, भक्त प्रसाद पाकर होते हैं निहाल

मकर संक्राति का पर्व पूरे देश में धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है. भक्त गंगा में डूबकी लगा खिचड़ी का दान कर पुण्य कमा रहे है. ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे है काशी के ऐसे मंदिर के बारे में, जहां सिर्फ खिचड़ी पर ही नहीं बल्कि साल के 365 दिन खिचड़ी का प्रसाद भक्तों में वितरीत होता है.

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Published : Jan 14, 2020, 10:16 AM IST

Updated : Jan 14, 2020, 10:30 AM IST

खिचड़ी बाबा
खिचड़ी बाबा

वाराणसी: देश में मकर संक्रांति का त्योहार बडे़ ही धूमधाम के साथ 15 जनवरी को मनाया जाएगा, लेकिन आज 14 जनवरी होने की वजह से बहुत से लोग संक्रांति का मान कर रहे हैं. मान्यता है कि संक्रांति के दिन खिचड़ी दान करना और खिचड़ी खाना बेहद फलदाई होता है. हम आज आपको बताने जा रहे हैं काशी में एक ऐसा मंदिर है, जहां खिचड़ी के पकवान को साल भर वितरण कर भूखों की भूख मिटाई जाती है. यह मंदिर खिचड़ी बाबा के नाम से जाना जाता है. यहां पर सिर्फ खिचड़ी वाले दिन ही नहीं बल्कि साल के 365 दिन खिचड़ी ही खाई जाती है.

काशी का खिचड़ी बाबा मंदिर.

मकर संक्रांति को खिचड़ी के नाम से भी जाना जाता है और धर्मनगरी काशी से तो इसका रिश्ता बेहद पुराना है. यहां काशी विश्वनाथ मार्ग अर्थात विश्वनाथ गली के मुख्य गेट के सामने डेढ़सी पुल पर खिचड़ी बाबा का मंदिर स्थित है. यहां पर हर दिन लोगों को खिचड़ी खिलाई जाती है. खिचड़ी का पर्व यहां हर रोज मनाया जाता है. निशुल्क भूखों को खिचड़ी का वितरण कर इस मंदिर की पुरानी परंपरा का निर्वहन आज भी किया जा रहा है. इस मंदिर से जुड़े भक्त हर रोज यहां पर खिचड़ी दान करके पुण्य के भागी बनते हैं.

पढ़ें- आजमगढ़: शाम होते ही बड़ा गणेश मंदिर पर उमड़ा भक्तों का मेला

मंदिर के पुजारी संजय महाराज ने बताया कि हम लोग तो सिर्फ माध्यम हैं. यहां लोग आते हैं और बाबा के प्रसाद के रूप में खिचड़ी ग्रहण करते हैं. उन्होंने बताया कि यह उनकी चौथी पीढ़ी है, जो बाबा की सेवा कर रही है. संजय महाराज की माने तो खिचड़ी बाबा की मूर्ति के ऊपर 70 संत पुरुषों की मूर्तियां लगी हैं. यह सभी खिचड़ी बाबा के शिष्य रहे हैं.

मंदिर में खिचड़ी वितरण के लिए भक्तों की लंबी लिस्ट बनी रहती है. अलग दिन अलग लोग यहां पर खिचड़ी और इसे बनाने की सामग्री दान में करते हैं, ताकि साल भर तक यह निशुल्क भंडारा चलता रहे. इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि जो कुछ भी कोई सच्चे मन से मांगता है और खिचड़ी दान कर लोगों का पेट भरता है और खिचड़ी का प्रसाद ग्रहण करता है उसकी हर मन्नत पूरी होती है.

वाराणसी: देश में मकर संक्रांति का त्योहार बडे़ ही धूमधाम के साथ 15 जनवरी को मनाया जाएगा, लेकिन आज 14 जनवरी होने की वजह से बहुत से लोग संक्रांति का मान कर रहे हैं. मान्यता है कि संक्रांति के दिन खिचड़ी दान करना और खिचड़ी खाना बेहद फलदाई होता है. हम आज आपको बताने जा रहे हैं काशी में एक ऐसा मंदिर है, जहां खिचड़ी के पकवान को साल भर वितरण कर भूखों की भूख मिटाई जाती है. यह मंदिर खिचड़ी बाबा के नाम से जाना जाता है. यहां पर सिर्फ खिचड़ी वाले दिन ही नहीं बल्कि साल के 365 दिन खिचड़ी ही खाई जाती है.

काशी का खिचड़ी बाबा मंदिर.

मकर संक्रांति को खिचड़ी के नाम से भी जाना जाता है और धर्मनगरी काशी से तो इसका रिश्ता बेहद पुराना है. यहां काशी विश्वनाथ मार्ग अर्थात विश्वनाथ गली के मुख्य गेट के सामने डेढ़सी पुल पर खिचड़ी बाबा का मंदिर स्थित है. यहां पर हर दिन लोगों को खिचड़ी खिलाई जाती है. खिचड़ी का पर्व यहां हर रोज मनाया जाता है. निशुल्क भूखों को खिचड़ी का वितरण कर इस मंदिर की पुरानी परंपरा का निर्वहन आज भी किया जा रहा है. इस मंदिर से जुड़े भक्त हर रोज यहां पर खिचड़ी दान करके पुण्य के भागी बनते हैं.

पढ़ें- आजमगढ़: शाम होते ही बड़ा गणेश मंदिर पर उमड़ा भक्तों का मेला

मंदिर के पुजारी संजय महाराज ने बताया कि हम लोग तो सिर्फ माध्यम हैं. यहां लोग आते हैं और बाबा के प्रसाद के रूप में खिचड़ी ग्रहण करते हैं. उन्होंने बताया कि यह उनकी चौथी पीढ़ी है, जो बाबा की सेवा कर रही है. संजय महाराज की माने तो खिचड़ी बाबा की मूर्ति के ऊपर 70 संत पुरुषों की मूर्तियां लगी हैं. यह सभी खिचड़ी बाबा के शिष्य रहे हैं.

मंदिर में खिचड़ी वितरण के लिए भक्तों की लंबी लिस्ट बनी रहती है. अलग दिन अलग लोग यहां पर खिचड़ी और इसे बनाने की सामग्री दान में करते हैं, ताकि साल भर तक यह निशुल्क भंडारा चलता रहे. इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि जो कुछ भी कोई सच्चे मन से मांगता है और खिचड़ी दान कर लोगों का पेट भरता है और खिचड़ी का प्रसाद ग्रहण करता है उसकी हर मन्नत पूरी होती है.

Intro:स्पेशल स्टोरी

वाराणसी: देश में मकर संक्रांति का त्यौहार कल बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाएगा लेकिन आज भी 14 जनवरी होने की वजह से बहुत से लोग संक्रांति का मांग कर रहे हैं. मान्यता है कि संक्रांति के दिन खिचड़ी दान करना और खिचड़ी खाना बेहद फलदाई होता है लोग अपने घरों में खिचड़ी बनाकर खुद भी खाते हो परिवारजनों को भी खिलाते हैं, लेकिन धर्म नगरी वाराणसी में किस तरह से दान पुण्य कर खिचड़ी के पकवान को साल भर वितरण कर भूतों की भूख मिटाई जाती है. यह हम आज आपको बताने जा रहे हैं बनारस में एक ऐसा मंदिर है. जिसे खिचड़ी बाबा के नाम से जाना जाता है और यहां पर सिर्फ खिचड़ी वाले दिन ही नहीं बल्कि साल के 365 दिन खिचड़ी ही खाई जाती है.


Body:वीओ-01 मकर संक्रांति को खिचड़ी के नाम से भी जाना जाता है और धर्मनगरी वाराणसी से तो इसका रिश्ता बेहद पुराना है. यहां काशी विश्वनाथ मार्ग अर्थात विश्वनाथ गली के मुख्य गेट के सामने डेढसी पुल पर स्थित खिचड़ी बाबा के मंदिर पर हर दिन खिचड़ी लोगों को खिलाई जाती है. यहां हर रोज भीड़ का आलम यह होता है कि खिचड़ी का पर्व जैसे यहां हर रोज मन रहा है. निशुल्क भूखों को खिचड़ी का वितरण कर इस मंदिर की पुरानी परंपरा का निर्वहन आज भी किया जा रहा है और यहां से जुड़े भक्त हर रोज यहां पर खिचड़ी दान में करके पुण्य के भागी बनते हैं.


Conclusion:वीओ-02 इस मंदिर के पुजारी संजय महाराज ने बताया कि हम लोग तो सिर्फ माध्यम है यहां लोग आते हैं और बाबा के प्रसाद के रूप में खिचड़ी ग्रहण करते हैं. उन्होंने बताया कि यह उनकी चौथी पीढ़ी है जो बाबा की सेवा कर रही है. संजय महाराज की मानें तो खिचड़ी बाबा की मूर्ति के ऊपर 70 संत पुरुषों की मूर्तियां लगी हैं. यह सभी खिचड़ी बाबा के शिष्य रहे हैं. यही नहीं मंदिर में खिचड़ी वितरण के लिए भक्तों की लंबी लिस्ट बनी रहती है. अलग-अलग दिन अलग-अलग लोग यहां पर खिचड़ी और इसे बनाने की सामग्री दान में करते हैं ताकि साल भर तक यह निशुल्क भंडारा चलता रहे संजय महाराज का कहना है कि इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि जो कुछ भी कोई सच्चे मन से मांगता है और खिचड़ी दान कर लोगों का पेट भरता है और खिचड़ी का प्रसाद ग्रहण करता है उसकी हर मन्नत पूरी होती है.

बाईट- संजय महाराज, पुजारी खिचड़ी बाबा मंदिर
बाईट- डॉ रंजन मुखर्जी, भक्त

गोपाल मिश्र

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Last Updated : Jan 14, 2020, 10:30 AM IST
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