वाराणसी: देश में मकर संक्रांति का त्योहार बडे़ ही धूमधाम के साथ 15 जनवरी को मनाया जाएगा, लेकिन आज 14 जनवरी होने की वजह से बहुत से लोग संक्रांति का मान कर रहे हैं. मान्यता है कि संक्रांति के दिन खिचड़ी दान करना और खिचड़ी खाना बेहद फलदाई होता है. हम आज आपको बताने जा रहे हैं काशी में एक ऐसा मंदिर है, जहां खिचड़ी के पकवान को साल भर वितरण कर भूखों की भूख मिटाई जाती है. यह मंदिर खिचड़ी बाबा के नाम से जाना जाता है. यहां पर सिर्फ खिचड़ी वाले दिन ही नहीं बल्कि साल के 365 दिन खिचड़ी ही खाई जाती है.
मकर संक्रांति को खिचड़ी के नाम से भी जाना जाता है और धर्मनगरी काशी से तो इसका रिश्ता बेहद पुराना है. यहां काशी विश्वनाथ मार्ग अर्थात विश्वनाथ गली के मुख्य गेट के सामने डेढ़सी पुल पर खिचड़ी बाबा का मंदिर स्थित है. यहां पर हर दिन लोगों को खिचड़ी खिलाई जाती है. खिचड़ी का पर्व यहां हर रोज मनाया जाता है. निशुल्क भूखों को खिचड़ी का वितरण कर इस मंदिर की पुरानी परंपरा का निर्वहन आज भी किया जा रहा है. इस मंदिर से जुड़े भक्त हर रोज यहां पर खिचड़ी दान करके पुण्य के भागी बनते हैं.
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मंदिर के पुजारी संजय महाराज ने बताया कि हम लोग तो सिर्फ माध्यम हैं. यहां लोग आते हैं और बाबा के प्रसाद के रूप में खिचड़ी ग्रहण करते हैं. उन्होंने बताया कि यह उनकी चौथी पीढ़ी है, जो बाबा की सेवा कर रही है. संजय महाराज की माने तो खिचड़ी बाबा की मूर्ति के ऊपर 70 संत पुरुषों की मूर्तियां लगी हैं. यह सभी खिचड़ी बाबा के शिष्य रहे हैं.
मंदिर में खिचड़ी वितरण के लिए भक्तों की लंबी लिस्ट बनी रहती है. अलग दिन अलग लोग यहां पर खिचड़ी और इसे बनाने की सामग्री दान में करते हैं, ताकि साल भर तक यह निशुल्क भंडारा चलता रहे. इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि जो कुछ भी कोई सच्चे मन से मांगता है और खिचड़ी दान कर लोगों का पेट भरता है और खिचड़ी का प्रसाद ग्रहण करता है उसकी हर मन्नत पूरी होती है.