वाराणसी: काशी हिंदू विश्वविद्यालय के सरदार वल्लभभाई पटेल छात्रावास में दीवार चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था. इस प्रतियोगिता का विषय 'सामाजिक पुनर्निर्माता के रूप में महात्मा गांधी' था. प्रतियोगिता में बीएचयू महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ और अन्य कॉलेजों के करीब 40 छात्र-छात्राओं ने भाग लिया. दो दिवसीय पेंटिंग प्रतियोगिता का समापन रविवार को हुआ.
गांधी जी की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में भारत सरकार द्वारा किए जा रहे कार्यक्रमों की श्रृंखला में इस प्रतियोगिता का आयोजन मानव संसाधन विकास मंत्रालय की इकाई अभिकल्प नवप्रवर्तन केंद्र काशी हिंदू विश्वविद्यालय द्वारा सरदार वल्लभभाई पटेल छात्रावास के सहयोग से किया जा रहा है. छात्रा पूर्णिमा ने बताया कि यह टॉपिक बहुत ही दमखम वाला है. गांधीजी की विचारधारा कहीं न कहीं बहुत ही जरूरी है. भारत की वर्तमान स्थिति की सहायता करने के लिए और देश को आगे बढ़ाने के लिए गांधी जी के सपनों का देश के लिए वह सब चीजें जरूरी थीं, जो गांधीजी कहते थे, सोचते थे. इसलिए आज के युवाओं को गांधी को पढ़ना और गांधी को जानना बहुत जरूरी है.
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इस प्रतियोगिता का उद्देश्य गांधी के विचार उनके जीवन संदेश से विद्यार्थियों को पुनः परिचित कराना है. प्रतियोगिता का विषय ऐसा है, जिसमें गांधी के सामाजिक जीवन के विविध आयाम, प्रतिभागी कलाकारों की कलाकृतियों के माध्यम से सामने आएंगी. इस तरह के आयोजन से छात्रावास के अंतर वासियों को न सिर्फ प्रेरणा मिलती है, बल्कि विश्वविद्यालय स्तर पर शोध के विविध आयाम विस्तार हो पाते हैं. अगर हम स्वच्छता की बात करें तो हमने देखा है सार्वजनिक स्थलों पर लोग गुटखा पान थूकते रहते हैं, गंदगी फैलाते रहते हैं. अगर 10 छात्रों के मन में भी यह अभाव आया कि हमें ऐसा नहीं करना चाहिए तो यह पेंटिंग प्रदर्शनी सार्थक होगी.
डॉ. धीरेंद्र राय, असिस्टेंट प्रोफेसर, बीएचयू