वाराणसी: दीपावली की शुरुआत धनतेरस (dhanteras 2022) से होती है और धनतेरस पर ही भगवान धन्वंतरि जिन्हें आरोग्य का देवता कहा जाता है, उनकी जयंती (dhanwantri jayanti 2022) भी मनाई जाती है. इस दिन वैद्य समुदाय के लोग भगवान धन्वंतरि की पूजा करते हैं. धन्वंतरि जयंती के मौके पर हम आपको काशी के एक ऐसे कुएं के बारे में बताएंगे, जिसका पानी पीने मात्र से शरीर में व्याप्त सभी रोगों का नाश होता है. वहीं, धन्वंतरि जयंती के दिन इस कुएं का विशेष महत्व होता है. आइए जानते है इस कुएं के बारे में...
धन्वंतरि कथा के मुताबिक बनारस के महामृत्युंजय मंदिर परिसर में स्थित धन्वंतरि कूप (Dhanwantri well in Varanasi) लोगों को आज भी स्वास्थ्य और सौभाग्य का आशीर्वाद दे रहा है. सबसे बड़ी बात यह है कि महज इस स्थान का पानी पीने मात्र से शरीर में व्याप्त समस्त रोगों का नाश होता है. मान्यता है कि देवताओं के वैद्य भगवान धन्वंतरि ने काशी में धनतेरस के दिन ही महामृत्युंजय मंदिर में स्थापित कुएं में अपनी समस्त औषधियों को डाल दिया था. भगवान धन्वंतरि ने यह प्रयास हर किसी को स्वस्थ रखने के उद्देश्य से किया गया था. सबसे बड़ी बात यह है कि धरती पर इस कुएं की मौजूदगी मां गंगा के पृथ्वी पर आने से पहले बताई जाती है. मान्यता के अनुसार, भगवान धन्वंतरि काशी के राज वैद्य के रूप में पूजे जाते हैं. काशी के राजपरिवार में उनको पुत्र के रूप में मान्यता मिली हुई है.
जानकार बताते हैं कि काशी का यह कुआं अपने आप में बेहद खास है. महामृत्युंजय मंदिर परिसर में एक कुआ और 8 घाट है. प्रत्येक घाट से निकलने वाले पानी का स्वाद अलग है. यहां के पानी का नियमित सेवन करने से शरीर में व्याप्त रोगों का नाश होता है. कूप की देखरेख करने वाले सूर्य कुमार रस्तोगी बताते है कि पेट में मौजूद किसी भी तरह के रोग से मुक्ति पाने के लिए यदि 41 दिनों तक नियमित रूप से सुबह सूर्य उदय के समय इस जल का सेवन किया जाए, तो पेट में व्याप्त सभी बीमारियों का नाश हो जाता है. मंदिर में आने वाले भक्त दर्शन-पूजन के बाद इस कुएं के पानी का सेवन करते है.
लोगों का कहना है कि इस कुएं के पानी से स्नान करने पर चर्म रोग की बीमारी खत्म हो जाती है. इसलिए इसे अमृत कूप के नाम से भी जाना जाता है. महामृत्युंजय परिसर मंदिर में स्थापित इस कुएं की प्राचीन मान्यता है कि भगवान धन्वंतरि ने यहां कई वर्षों तक तपस्या की. यहां से देवलोक जाते समय उन्होंने अपनी सारी औषधियों की पोटली इस कुएं में डाल दी. जिसके बाद इसका पानी औषधीय युक्त हो गया. आज भी इन औषधियों का फायदा लोगों को मिलता है.
नोट- यह खबर मान्यता पर आधारित है. ईटीवी भारत इस खबर की पुष्टि नहीं करता है.
यह भी पढ़ें: Dhanteras 2022: त्योहार में बर्तनों का चढ़ा बाजार, शादी-विवाह के सीजन से भी अच्छी बिक्री की उम्मीद