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ओशो का संदेश देने वाराणसी पहुंचे स्वामी शैलेंद्र सरस्वती, शिव को बताया वैज्ञानिक स्वरुप - सद्गुरु स्वामी शैलेंद्र सरस्वती

दो दिवसीय शिविर को संबोधित करने और ओशो का संदेश लेकर वाराणसी पहुंचे स्वामी शैलेंद्र ने शिव को एक वैज्ञानिक स्वरूप बताया और कहा कि वह आधुनिक वैज्ञानिक हैं. उन्होंने कहा यह एक विज्ञान है, जो प्रैक्टिस करने से ही होगा और ध्यान के लिए प्रैक्टिस बहुत जरूरी है.

स्वामी शैलेंद्र सरस्वती
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Published : Oct 17, 2021, 10:57 PM IST

वाराणसी: ओशो के संदेश को प्रसारित करने के लिए स्वामी शैलेंद्र धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी पहुंचे. उन्होंने काशी में दो दिवसीय शिविर को संबोधित किया, जहां देश के कोने-कोने से भक्तों का तांता लगा रहा. शिविर के समापन सत्र में भक्तों को संबोधित करते हुए स्वामी शैलेंद्र ने शिव को एक वैज्ञानिक स्वरूप बताया और कहा कि वह आधुनिक वैज्ञानिक हैं.

सद्गुरु शैलेंद्र सरस्वती ने बताया कि वह भगवान शिव की नगरी में ओशो का संदेश लेकर आया हूं. ओशो ने भगवान शिव के 2 ग्रंथों पर विवेचना की है. पहला ग्रंथ है शिव सूत्र और दूसरा है विज्ञान धारा ग्रंथ, जिसमें भगवान शिव ने पार्वती को ध्यान की 112 विधि बताई हैं. जिसमें ओशो का कहना है कि 112 विधि परम है. इससे अधिक विधि कोई ध्यान की नहीं हो सकती है. अकेले भगवान शिव ने ध्यान विज्ञान डेवलप किया है. यह बहुत आश्चर्य की बात है कि हजारों वर्ष बीत गए, इसमें अब तक कुछ नया नहीं जोड़ा जा सका है.

स्वामी शैलेंद्र सरस्वती

सद्गुरु शैलेंद्र सरस्वती ने आगे बताया कि पहले दिन का शिविर हो चुका है और आज दूसरा दिन है. उन्होंने कहा हमसे ज्यादा से ज्यादा लोग जुड़ें और ओशो की बातों को समझें. विभिन्न स्थानों पर जाकर ओशो द्वारा जो शिव की बात कही गई है उसे जगह-जगह प्रसारित कर रहे हैं. उन्होंने कहा यह एक विज्ञान है, जो प्रैक्टिस करने से ही होगा और ध्यान के लिए प्रैक्टिस बहुत जरूरी है.

सद्गुरु स्वामी शैलेंद्र सरस्वती ने कहा आज का युवा गांव की तरफ तो है लेकिन वह वापस आएगा क्योंकि आज का युवा बहुत ही समझदार है. उसको अपने भविष्य के बारे में पता है. पहले युवा होने से पहले ही विवाह कर दिया जाता था और वह युवा होने से पहले ही एक वृद्ध हो जाता था लेकिन, आज का युवा पढ़ाई-लिखाई के साथ सारी चीजें जानता है. कुछ युवा भटकाव की तरफ जा रहे लेकिन, वह भी एक निश्चित समय पर वापस आ जाए.

वाराणसी: ओशो के संदेश को प्रसारित करने के लिए स्वामी शैलेंद्र धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी पहुंचे. उन्होंने काशी में दो दिवसीय शिविर को संबोधित किया, जहां देश के कोने-कोने से भक्तों का तांता लगा रहा. शिविर के समापन सत्र में भक्तों को संबोधित करते हुए स्वामी शैलेंद्र ने शिव को एक वैज्ञानिक स्वरूप बताया और कहा कि वह आधुनिक वैज्ञानिक हैं.

सद्गुरु शैलेंद्र सरस्वती ने बताया कि वह भगवान शिव की नगरी में ओशो का संदेश लेकर आया हूं. ओशो ने भगवान शिव के 2 ग्रंथों पर विवेचना की है. पहला ग्रंथ है शिव सूत्र और दूसरा है विज्ञान धारा ग्रंथ, जिसमें भगवान शिव ने पार्वती को ध्यान की 112 विधि बताई हैं. जिसमें ओशो का कहना है कि 112 विधि परम है. इससे अधिक विधि कोई ध्यान की नहीं हो सकती है. अकेले भगवान शिव ने ध्यान विज्ञान डेवलप किया है. यह बहुत आश्चर्य की बात है कि हजारों वर्ष बीत गए, इसमें अब तक कुछ नया नहीं जोड़ा जा सका है.

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सद्गुरु शैलेंद्र सरस्वती ने आगे बताया कि पहले दिन का शिविर हो चुका है और आज दूसरा दिन है. उन्होंने कहा हमसे ज्यादा से ज्यादा लोग जुड़ें और ओशो की बातों को समझें. विभिन्न स्थानों पर जाकर ओशो द्वारा जो शिव की बात कही गई है उसे जगह-जगह प्रसारित कर रहे हैं. उन्होंने कहा यह एक विज्ञान है, जो प्रैक्टिस करने से ही होगा और ध्यान के लिए प्रैक्टिस बहुत जरूरी है.

सद्गुरु स्वामी शैलेंद्र सरस्वती ने कहा आज का युवा गांव की तरफ तो है लेकिन वह वापस आएगा क्योंकि आज का युवा बहुत ही समझदार है. उसको अपने भविष्य के बारे में पता है. पहले युवा होने से पहले ही विवाह कर दिया जाता था और वह युवा होने से पहले ही एक वृद्ध हो जाता था लेकिन, आज का युवा पढ़ाई-लिखाई के साथ सारी चीजें जानता है. कुछ युवा भटकाव की तरफ जा रहे लेकिन, वह भी एक निश्चित समय पर वापस आ जाए.

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