वाराणसी: कोरोना के बाद हर व्यवसाय गति पकड़ रहा है, लेकिन बुनकर और बुनकरी का काम बेपटरी ही नजर आ रहा है. इससे एक बड़ा तबका आज भी प्रभावित है. अनलॉक होने के बाद बुनकरों और गद्दीदारों की उम्मीदे जगी थीं, लेकिन अब एक बार फिर कोरोना की बढ़ती रफ्तार ने उम्मीद को निराशा में तब्दील कर दिया है. इससे काशी के बुनकर बेहद हताश हैं.
ऑर्डर की डिलीवरी नहीं ले रहीं पार्टियां
वाराणसी के हैंडलूम का सामान देश ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी निर्यात किया जाता है. इन दिनों महामारी के कारण विदेशों से मिले ऑर्डर की डिलीवरी पार्टी नहीं ले रही हैं. इसके कारण बुनकर बेहद परेशान हैं. उनके सामने रोजी-रोटी का संकट मंडरा रहा है. ईटीवी भारत ने वर्तमान में उपजी परिस्थितियों को लेकर बुनकर और पावरलूम मालिकों से बातचीत कर वास्तविकता जानी.
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भुखमरी के कगार पर हैं कारीगर
बुनकर मोहम्मद शाहिद ने बताया कि कोरोना के बाद हमारे सामने भुखमरी जैसे हालात हो गए हैं. पहले विदेश माल जाता था तो हमारे पास रोजगार के मुकम्मल साधन थे, लेकिन इन दिनों विदेशों से ऑर्डर नहीं आ रहा है. इसकी वजह से हमें अलग-अलग जगह पर काम करना पड़ रहा है. बहुत मुश्किल से परिवार की रोजी-रोटी चल रही है. हमें उम्मीद है कि आने वाले दिनों में विदेशी व्यापारी माल मंगाएंगे तो हमारी जिंदगी पटरी पर आएगी.
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माल लेने से पार्टियां कर चुकी हैं इनकार
गद्दीदार अबुल हसन ने बताया कि हमारे यहां हैंडलूम के बने कुशन कवर, टेलीफोन मैट, दुपट्टा इत्यादि सामानों की विदेशों में सप्लाई होती थी. यहां से माल दुबई और अन्य देशों में जाता था, लेकिन कोरोना की वजह से लगे लॉकडाउन के दौरान जो आर्डर मिले थे, वो भी जस के तस पड़े हुए हैं. ऑर्डर देने वाली पार्टियां माल लेने से इनकार कर रही चुकी हैं. इससे लाखों रुपये का नुकसान हो रहा है. उनका कहना है कि जब हालात सुधरेंगे तो डिलीवरी होगी. हम सभी उम्मीद पर जिंदा हैं कि आज नहीं तो कल हालात बेहतर होंगे और फिर से हमारा व्यापार सही दिशा में चलने लगेगा.