वाराणसी: शब-ए-बरात के पर्व पर मुस्लिम सामज के लोगों ने सारी रात जागकर अल्लाह की इबादत की. इस दिन घरों में फातिहा पढ़ी जाती है. वहीं, मगरिब के बाद देर रात लोगों ने कब्रिस्तानों में अपने सगे संबंधियों की कब्र पर जाकर दुआएं मांगी. इस दौरान शहर के प्रमुख कब्रिस्तानों में साफ सफाई कर लाइट की व्यवस्था भी की गई थी. वहीं, मस्जिदों के साथ मजारों को भी सजाया गया था. माह-ए-रमजान से 15 दिन पहले मुस्लिम शब-ए-बरात मनाते है.
वहीं, शब-ए-बरात के दिन ही होलिका दहन किया गया. गंगा जमुनी तहज़ीब के शहर बनारस में जहां एक ओर होलिका दहन हुआ. वहीं दूसरी ओर मुस्लिम समाज के लोगों ने मजारों पर जाकर फातिहा पढ़ी और कब्रिस्तानों में दुआएं मांगी. हर कोई शांति और सौहार्दपूर्ण वातावरण में अपने अपने पर्व को मनाते दिखाई दिया.वहीं, कहा जाता है जो शब-ए-बरात में इबादत करता है, उनके सारे गुनाह माफ हो जाते हैं. इसलिए लोग शब-ए-बारात में रात भर जागकर अल्लाह की इबादत करते हैं और अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं. इस रात को पुरुष मस्जिद में और महिलाएं घरों में इबादत करती है. शब-ए-बरात के दिन लोग पिछले दिनों हुई गलतियों और गुनाहों की माफी मांगते है.