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Varanasi News:शब-ए-बारात पर सारी रात हुई इबादत, लोगों ने मज़ारों पर पढ़ा फातिहा

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Published : Mar 8, 2023, 10:40 PM IST

वाराणसी में शब-ए-बारात की रात लोगों ने मजारों पर फातिहा पढ़ा. वहीं, मौलाना अब्दुल बातिन नोमानी लोगों से शहर में शांति बनाए रखने की अपील करते हुए कहा कि शब-ए- बरात और होली एक दिन है. सभी एक दूसरे के धर्मों का सम्मान करते हुए त्योहार मनाए.

लोगों ने मज़ारों पर पढ़ा फातिहा
लोगों ने मज़ारों पर पढ़ा फातिहा

वाराणसी: शब-ए-बरात के पर्व पर मुस्लिम सामज के लोगों ने सारी रात जागकर अल्लाह की इबादत की. इस दिन घरों में फातिहा पढ़ी जाती है. वहीं, मगरिब के बाद देर रात लोगों ने कब्रिस्तानों में अपने सगे संबंधियों की कब्र पर जाकर दुआएं मांगी. इस दौरान शहर के प्रमुख कब्रिस्तानों में साफ सफाई कर लाइट की व्यवस्था भी की गई थी. वहीं, मस्जिदों के साथ मजारों को भी सजाया गया था. माह-ए-रमजान से 15 दिन पहले मुस्लिम शब-ए-बरात मनाते है.

लोगों ने मज़ारों पर पढ़ा फातिहा
लोगों ने मज़ारों पर पढ़ा फातिहा

वहीं, शब-ए-बरात के दिन ही होलिका दहन किया गया. गंगा जमुनी तहज़ीब के शहर बनारस में जहां एक ओर होलिका दहन हुआ. वहीं दूसरी ओर मुस्लिम समाज के लोगों ने मजारों पर जाकर फातिहा पढ़ी और कब्रिस्तानों में दुआएं मांगी. हर कोई शांति और सौहार्दपूर्ण वातावरण में अपने अपने पर्व को मनाते दिखाई दिया.वहीं, कहा जाता है जो शब-ए-बरात में इबादत करता है, उनके सारे गुनाह माफ हो जाते हैं. इसलिए लोग शब-ए-बारात में रात भर जागकर अल्लाह की इबादत करते हैं और अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं. इस रात को पुरुष मस्जिद में और महिलाएं घरों में इबादत करती है. शब-ए-बरात के दिन लोग पिछले दिनों हुई गलतियों और गुनाहों की माफी मांगते है.

शब-ए-बारात पर मजारों पर फातिहा पढ़ते लोग
शब-ए-बारात पर मजारों पर फातिहा पढ़ते लोग
शब-ए-बरात पर घरों को विशेष रूप से सजाते हैं. घरों में लजीज पकवान जैसे, बिरयानी, कोरमा, हलवा आदि बनाया जाता है और इबादत के बाद गरीबों में बांटा जाता है. वहीं, मुफ़्ती बनारस मौलाना अब्दुल बातिन नोमानी ने लोगों से अपील की है कि शब-ए- बरात और होली एक दिन है. शहर के लोगों से अपील है कि एक दूसरे के धर्मों का सम्मान करते हुए त्योहार मनाए. ऐसा कोई काम ना करें जिससे दूसरे की भावना को ठेस पहुंचे. बनारस शांति का शहर है इस परंपरा को कायम रखा जाए.
लोगों ने मज़ारों पर पढ़ा फातिहा
लोगों ने मज़ारों पर पढ़ा फातिहा
यह भी पढ़ें:एक तरफ शब-ए-बारात की दुआ तो दूसरी ओर होली के रंग, कुछ ऐसी बिखेरी काशी ने छटा

वाराणसी: शब-ए-बरात के पर्व पर मुस्लिम सामज के लोगों ने सारी रात जागकर अल्लाह की इबादत की. इस दिन घरों में फातिहा पढ़ी जाती है. वहीं, मगरिब के बाद देर रात लोगों ने कब्रिस्तानों में अपने सगे संबंधियों की कब्र पर जाकर दुआएं मांगी. इस दौरान शहर के प्रमुख कब्रिस्तानों में साफ सफाई कर लाइट की व्यवस्था भी की गई थी. वहीं, मस्जिदों के साथ मजारों को भी सजाया गया था. माह-ए-रमजान से 15 दिन पहले मुस्लिम शब-ए-बरात मनाते है.

लोगों ने मज़ारों पर पढ़ा फातिहा
लोगों ने मज़ारों पर पढ़ा फातिहा

वहीं, शब-ए-बरात के दिन ही होलिका दहन किया गया. गंगा जमुनी तहज़ीब के शहर बनारस में जहां एक ओर होलिका दहन हुआ. वहीं दूसरी ओर मुस्लिम समाज के लोगों ने मजारों पर जाकर फातिहा पढ़ी और कब्रिस्तानों में दुआएं मांगी. हर कोई शांति और सौहार्दपूर्ण वातावरण में अपने अपने पर्व को मनाते दिखाई दिया.वहीं, कहा जाता है जो शब-ए-बरात में इबादत करता है, उनके सारे गुनाह माफ हो जाते हैं. इसलिए लोग शब-ए-बारात में रात भर जागकर अल्लाह की इबादत करते हैं और अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं. इस रात को पुरुष मस्जिद में और महिलाएं घरों में इबादत करती है. शब-ए-बरात के दिन लोग पिछले दिनों हुई गलतियों और गुनाहों की माफी मांगते है.

शब-ए-बारात पर मजारों पर फातिहा पढ़ते लोग
शब-ए-बारात पर मजारों पर फातिहा पढ़ते लोग
शब-ए-बरात पर घरों को विशेष रूप से सजाते हैं. घरों में लजीज पकवान जैसे, बिरयानी, कोरमा, हलवा आदि बनाया जाता है और इबादत के बाद गरीबों में बांटा जाता है. वहीं, मुफ़्ती बनारस मौलाना अब्दुल बातिन नोमानी ने लोगों से अपील की है कि शब-ए- बरात और होली एक दिन है. शहर के लोगों से अपील है कि एक दूसरे के धर्मों का सम्मान करते हुए त्योहार मनाए. ऐसा कोई काम ना करें जिससे दूसरे की भावना को ठेस पहुंचे. बनारस शांति का शहर है इस परंपरा को कायम रखा जाए.
लोगों ने मज़ारों पर पढ़ा फातिहा
लोगों ने मज़ारों पर पढ़ा फातिहा
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