नई दिल्ली: भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाले सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने नौ वकीलों को बॉम्बे हाईकोर्ट में न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने की सिफारिश की है. कॉलेजियम में जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस बीआर गवई भी शामिल हैं.
24 सितंबर को जारी प्रस्ताव में कॉलेजियम ने बॉम्बे हाईकोर्ट में न्यायाधीशों के रूप में नियुक्ति के लिए जिन वकीलों के नामों की सिफारिश की है, उनके नाम हैं- प्रकाश मेहता, प्रफुल्ल सुरेंद्रकुमार खुबलकर, अश्विन दामोदर भोबे, रोहित वासुदेव जोशी, अद्वैत महेंद्र सेठना, राजेश सुधाकर दातार, सचिन शिवाजीराव देशमुख, गौतम अश्विन अंखड और महेंद्र माधवराव नेरलीकर.
एक अलग प्रस्ताव में कॉलेजियम ने सिफारिश की कि जस्टिस नरेंद्र जी को 10 अक्टूबर 2024 को जस्टिस रितु बाहरी की सेवानिवृत्ति के बाद उत्तराखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया जाए.
आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में जज हैं जस्टिस नरेंद्र जी
जस्टिस नरेंद्र जी को 02 जनवरी 2015 को कर्नाटक हाईकोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था. 30 अक्टूबर 2023 को उन्हें आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में भेजा गया था और तब से वे वहीं कार्यरत हैं. वह अपने मूल हाईकोर्ट में सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश हैं और अन्य पिछड़ा वर्ग से हैं. हाईकोर्ट के न्यायाधीश के रूप में अपनी पदोन्नति से पहले उन्होंने कर्नाटक हाईकोर्ट में प्रैक्टिस की.
कॉलेजियम ने प्रस्ताव में कहा, वह कर्नाटक और आंध्र प्रदेश के उच्च न्यायालयों के न्यायिक और प्रशासनिक पक्षों पर काफी अनुभव रखने वाले अनुभवी न्यायाधीश हैं. वर्तमान में कर्नाटक हाईकोर्ट में उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों में कोई प्रतिनिधित्व नहीं है. कॉलेजियम का विचार है कि जस्टिस नरेंद्र जी उत्तराखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त होने के लिए योग्य हैं.
दो न्यायिक अधिकारियों को पटना हाईकोर्ट में जज नियुक्ति करने की सिफारिश
एक अलग प्रस्ताव में सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने पटना हाईकोर्ट में न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिए दो न्यायिक अधिकारियों के नामों की भी सिफारिश की. कॉलेजियम के प्रस्ताव में कहा गया, कॉलेजियम ने न्यायिक अधिकारियों शशि भूषण प्रसाद सिंह और अशोक कुमार पांडे को पटना हाईकोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने की सिफारिश करने का संकल्प लिया है. मौजूदा प्रथा के अनुसार उनकी परस्पर वरिष्ठता तय की जानी चाहिए."
यह भी पढ़ें- 'धोखाधड़ी खत्म होनी चाहिए', सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की पंजाब सरकार की याचिका