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अनाथ हो गए बनारस के 79 गांव, वजह जान हैरान रह जाएंगे आप - दस्तावेज नगर निगम को ट्रांसफर

यूपी के वाराणसी में ग्रामीण क्षेत्र के 79 गांवों को नगर निकाय से जोड़ने की कवायद चल रही है. इस दिशा में अधिकांश कार्य हो भी चुका है. वहीं इन गांवों के लोग अब परेशान हैं. लगभग 8,000 से ज्यादा की आबादी वाले इस ग्रामीण इलाके में रहने वाले लोग अब यह समझ नहीं पा रहे हैं कि वह अपनी समस्याओं का रोना लेकर जाएं तो जाएं कहां.

79 गांवों के लोग परेशान.
79 गांवों के लोग परेशान.
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Published : Nov 16, 2020, 7:50 PM IST

वाराणसी: सरकारी योजनाओं का लाभ अधिक से अधिक लोगों को मिले इसलिए सरकार अब ग्राम पंचायतों को नगर निगम में जोड़कर इनका विकास करने के मूड में है. इसके लिए सरकार की तरफ से कई जिलों में ग्राम पंचायतों में शामिल होने वाले कई गांवों को नगर निगम सीमा से जोड़ने की कवायद चल रही है. प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में भी 79 ऐसे गांव हैं, जिनको नगर निकाय से जोड़ने का आदेश पारित हो चुका है. कैबिनेट की मंजूरी के बाद इन 79 गांवों के दस्तावेज नगर निगम को ट्रांसफर किए जाने की कवायद चल रही है. इतना ही नहीं खाते से लेकर अन्य सभी चीजें लगभग ट्रांसफर की भी जा चुकी हैं, लेकिन इन सबके बावजूद इस गांवों में रहने वाले लोगों के हालत बद से बदतर होते जा रहे हैं.

79 गांवों के लोग परेशान.

बनारस में शहरी सीमा से सटे लहरतारा गांव की स्थिति बेहद खराब है. शहर से बेहद नजदीक होने के बाद भी लगभग 8,000 से ज्यादा की आबादी वाले इस ग्रामीण इलाके में रहने वाले लोग अब यह समझ नहीं पा रहे कि वह अपनी समस्याओं का रोना लेकर जाएं तो जाएं कहां.

1 अक्टूबर से हो चुका है लागू
दरअसल, वाराणसी में 79 गांव के दस्तावेज, बैंक खाते और सभी कुछ नगर निगम को ट्रांसफर करने की कवायद 1 अक्टूबर से शुरू हो गई है. अब तक लगभग सभी दस्तावेज ट्रांसफर हो भी चुके हैं. कैबिनेट की मंजूरी के बाद इन गांवों में रहने वाले लोगों को ग्राम पंचायत स्तर से मिलने वाली सुविधाएं बंद कर दी गई हैं और नगर निगम ने अब तक इसे स्वीकृति नहीं दी है, जिसके बाद हालात यह हैं कि सफाई व्यवस्था से लेकर जल निकासी और जन्म मृत्यु प्रमाण पत्र से लेकर अन्य कई कागजी कार्रवाइयों के लिए लोगों को इधर-उधर भटकना पड़ रहा है.

ग्रामीण हैं परेशान
अब इन गांवों के लोग इसलिए परेशान हैं कि वह अपनी समस्याओं को लेकर कहां जाएं. इस इलाके के लोगों की सुनवाई काशी विद्यापीठ ब्लॉक पर पहले तो हो जाती थी लेकिन अब शहर में शामिल गांवों के दस्तावेज को नगर निगम में जमा करा दिए जाने के बाद ब्लॉक पर किसी की सुनवाई नहीं हो रही है. ग्रामीण जल निकासी की समस्या से लेकर साफ-सफाई की छोटी मोटी दिक्कतों को लेकर इधर-उधर भटक रहे हैं. सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि बजट कहां से रिलीज होगा, कहां से इसका विकास होगा और इन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की समस्याओं का निराकरण कैसे होगा. इस बारे में बताने वाला कोई नहीं है.

अधिकारी बोले जल्द दूर होगी दिक्कतें
इस बारे में जब जिला विकास अधिकारी से बातचीत की गई तो उनका कहना है कि हाल ही में यह कवायद पूरी हुई है. इसे लेकर दस्तावेज की कार्यवाही पूरी की जा रही है. नगर निगम सीमा में जुड़ने के बाद इन क्षेत्रों का विकास होगा, कुछ दिन की दिक्कतें हैं जो जल्द दूर हो जाएंगी और क्षेत्र के लोगों को नगरीय क्षेत्र में मिलने वाली तमाम सुविधाएं मिलने लगेंगी.

वाराणसी: सरकारी योजनाओं का लाभ अधिक से अधिक लोगों को मिले इसलिए सरकार अब ग्राम पंचायतों को नगर निगम में जोड़कर इनका विकास करने के मूड में है. इसके लिए सरकार की तरफ से कई जिलों में ग्राम पंचायतों में शामिल होने वाले कई गांवों को नगर निगम सीमा से जोड़ने की कवायद चल रही है. प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में भी 79 ऐसे गांव हैं, जिनको नगर निकाय से जोड़ने का आदेश पारित हो चुका है. कैबिनेट की मंजूरी के बाद इन 79 गांवों के दस्तावेज नगर निगम को ट्रांसफर किए जाने की कवायद चल रही है. इतना ही नहीं खाते से लेकर अन्य सभी चीजें लगभग ट्रांसफर की भी जा चुकी हैं, लेकिन इन सबके बावजूद इस गांवों में रहने वाले लोगों के हालत बद से बदतर होते जा रहे हैं.

79 गांवों के लोग परेशान.

बनारस में शहरी सीमा से सटे लहरतारा गांव की स्थिति बेहद खराब है. शहर से बेहद नजदीक होने के बाद भी लगभग 8,000 से ज्यादा की आबादी वाले इस ग्रामीण इलाके में रहने वाले लोग अब यह समझ नहीं पा रहे कि वह अपनी समस्याओं का रोना लेकर जाएं तो जाएं कहां.

1 अक्टूबर से हो चुका है लागू
दरअसल, वाराणसी में 79 गांव के दस्तावेज, बैंक खाते और सभी कुछ नगर निगम को ट्रांसफर करने की कवायद 1 अक्टूबर से शुरू हो गई है. अब तक लगभग सभी दस्तावेज ट्रांसफर हो भी चुके हैं. कैबिनेट की मंजूरी के बाद इन गांवों में रहने वाले लोगों को ग्राम पंचायत स्तर से मिलने वाली सुविधाएं बंद कर दी गई हैं और नगर निगम ने अब तक इसे स्वीकृति नहीं दी है, जिसके बाद हालात यह हैं कि सफाई व्यवस्था से लेकर जल निकासी और जन्म मृत्यु प्रमाण पत्र से लेकर अन्य कई कागजी कार्रवाइयों के लिए लोगों को इधर-उधर भटकना पड़ रहा है.

ग्रामीण हैं परेशान
अब इन गांवों के लोग इसलिए परेशान हैं कि वह अपनी समस्याओं को लेकर कहां जाएं. इस इलाके के लोगों की सुनवाई काशी विद्यापीठ ब्लॉक पर पहले तो हो जाती थी लेकिन अब शहर में शामिल गांवों के दस्तावेज को नगर निगम में जमा करा दिए जाने के बाद ब्लॉक पर किसी की सुनवाई नहीं हो रही है. ग्रामीण जल निकासी की समस्या से लेकर साफ-सफाई की छोटी मोटी दिक्कतों को लेकर इधर-उधर भटक रहे हैं. सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि बजट कहां से रिलीज होगा, कहां से इसका विकास होगा और इन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की समस्याओं का निराकरण कैसे होगा. इस बारे में बताने वाला कोई नहीं है.

अधिकारी बोले जल्द दूर होगी दिक्कतें
इस बारे में जब जिला विकास अधिकारी से बातचीत की गई तो उनका कहना है कि हाल ही में यह कवायद पूरी हुई है. इसे लेकर दस्तावेज की कार्यवाही पूरी की जा रही है. नगर निगम सीमा में जुड़ने के बाद इन क्षेत्रों का विकास होगा, कुछ दिन की दिक्कतें हैं जो जल्द दूर हो जाएंगी और क्षेत्र के लोगों को नगरीय क्षेत्र में मिलने वाली तमाम सुविधाएं मिलने लगेंगी.

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