वाराणसीः लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वाले की कभी हार नहीं होती....ये लाइन बनारस की बेटी शुबुही नाज़ पर सटीक बैठती हैं. उन्होंने अपनी जिंदगी के संघर्ष से कभी हार नहीं मानी, बल्कि हर चुनौती का डटकर सामना किया. आज वह देश की महिलाओं के लिए एक नजीर बन गई हैं. शुबुही बनारस की एक सामान्य महिला थी, जिन्होंने अपने बेटे से प्रेरणा ली और आज महिला उद्यमी के रूप में जानी जाती हैं.
उन्होंने 2022 में मछली पालन की शुरुआत की अब वो एक बेस्ट इनलैंड फार्मर के रूप में जानी जाती हैं. महज दो साल में वह मछली पालन के काम को 40 लाख रुपए के टर्नओवर तक ले गई हैं. वह हर महीने लाखों की मछली बेचती हैं. हम सबने पढ़ा है मछली जल की रानी है, लेकिन शुबुही नाज के लिए वही मछली सफलता, समृद्धि की कहानी भी है.
काशी हिंदू विश्वविद्यालय से की पढ़ाईः वह बनारस के चौक इलाके के रहने वाली है. उनकी उम्र लगभग 53 साल है.उन्होंने काशी हिंदू विश्वविद्यालय से अपने ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की. 1994 में उनकी शादी हुई.शादी के बाद उनको एक बेटा हुआ,उनके जीवन में सब कुछ ठीक चल रहा था लेकिन 1997 में अचानक उनकी कहानी बदल गई जब शादी के ठीक 3 साल बाद बीमारी के वजह से उनके पति की मौत हो गई. इसके बाद वह अपने मायके आ गई और एक सिंगल मदर के रूप में अपने बेटे का पालन पोषण करने लगी.
उन्हें शुरू से ही फैशन डिजाइनिंग का शौक है, इसलिए उन्होंने फैशन डिजाइनिंग में पढ़ाई की और एक बुटीक का संचालन करने लगी. जीवन के चुनौतियों को परीक्षा की तरफ पर किया और अपने बेटे को पढ़ाया लिखाया उनका बेटा फ़िशरी फार्मिंग में मास्टर करके सिविल सर्विस की तैयारी कर रहा है. बेटे के ही प्रेरणा से उन्होंने इन लैंड फार्मिंग की शुरुआत की. 2022 में छोटी सी जमीन से कारोबार की शुरुआत की. उनके मछली पालन का कारोबार छह बीघे तक पहुंच गया है.
बेटे से प्रेरणा मिलीः शुबुही बताती हैं कि उन्हें यह प्रेरणा उनके बेटे से मिली है. वह बताती है कि मां बच्चों को आगे बढ़ती है, लेकिन मेरे बेटे ने मुझे आगे बढ़ाया है. मैं एक सिंगल मदर हूं. मेरा बेटा और हम एक दोस्त की तरह रहते हैं. वह मेरे लिए प्रेरणा भी है और मेरा मार्गदर्शक भी. उसके साथ से मैंने मछली पालन का काम 2022 में शुरू किया. शुरू में इस काम को करने में दिक्कत जरूर आई, लेकिन मन में मैंने ठान लिया था कि मुझे अपने बेटे के लिए कुछ करना है. महिलाओं के लिए कुछ करना है. जिसके बाद मैंने इस काम को करना शुरू किया, वर्तमान समय में मेरे पास लगभग 6 बीघा में अलग-अलग टैंकर और 6 तालाब है, जहां पर मछली पालन का काम करती हूं. इसमें हम एक लाख तक मछलियों को पालते हैं फिर उनसे ब्रीडिंग करते हैं और उसके बाद ऐसे बाजार में बेचते हैं.
नई टैंक तकनीक इस्तेमाल कर रहींः उन्होंने बताया कि, हमने इस काम में नई तकनीक का प्रयोग किया है. मेरे बेटे ने मुझे मछली पालन के परंपरागत तरीके से हटकर एक नई तरीके के मछली पालन के बारे में बताया। जिसमें कम जगह में कैसे इस उद्यम को और बेहतर बनाया जा सकता है. मैंने 25×25 के लगभग 5 टैंक बना रखे हैं, इसमें 25-25 हजार मछलियों का हम पालन करते हैं. इसको आरएस टैंक कहा जाता है. जिसके पास यदि बड़ा तालाब नहीं है वह इस तरीके के छोटे-छोटे टैंक बना करके उसमें मछलियां रख सकते हैं और उससे अपनी कारोबार को आगे बढ़ा सकते हैं. शुरू में दिक्कत जरूर होती है लेकिन उसके बाद धीरे-धीरे आप उस काम को कर सकते हैं इसमें ज्यादा मेहनत या ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं पड़ती है.
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40 लाख का है टर्नओवरः उन्होंने बताया कि मैंने 50 लाख के प्रोजेक्ट पर शुरुआत की थी जिसमें 30 लाख गवर्नमेंट की ओर से सब्सिडी मिली, 20 लाख रुपए मैंने इस बिजनेस में इन्वेस्ट किया और वर्तमान समय में 40 लाख रुपए के लगभग में हमारा सालाना टर्नओवर होता है. महीने की बात करें तो लगभग 3,00000 से ज्यादा महीने की कमाई होती है. वह कहती हैं कि यदि कोई भी महिला इस काम को करना चाहे तो वह सहजता के साथ कर सकती है.
इसके लिए सबसे पहले उन्हें विभाग से जाकर के मछली पालन के बारे में जानकारी लेनी होगी इसके बाद वह सरकार के सब्सिडी का लाभ ले सकती है. वह पहले बाद एक छोटा टैंक या छोटा तालाब बनाकर के उसमें 5 से 10000 मछलियों से शुरुआत कर सकती हैं. उसके बाद वह वहा उन्हें इनके रख रखाव की पूरी जानकारी मिल जाएग. तो आगे इसमें धीरे-धीरे मछलियों की संख्या और तालाबों की संख्या बढ़ाकर कारोबार को आगे ले जा सकती हैं. वर्तमान में मेरे पास 5 से 6 तालाब और आधा दर्जन के करीब आरएस टैंक है, जहां में मछलियों का पालन करती हूं.
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6 –6 महीने में होता है मछली पालनः वह कहती है कि यदि आपकी मछलियों की क्वालिटी अच्छी होगी तो आपको बाजार भी ढूंढने की जरूरत नहीं है पहले मैं मछलियां लेकर के बनारस के चौकाघाट में बेचा करती थी, लेकिन अब स्थिति यह हो गई है कि मेरे पास बनारस की अलग-अलग मंडियों के साथ भदोही, मिर्जापुर, गाजीपुर, जौनपुर,चंदौली में मछलियों से डिमांड होती हैं.
मै जिन प्रजाति की मछलियों का प्रयोग करती हूं, वह 6 महीने के अंदर ही तैयार हो जाती हैं. मैं छोटी मछलियों को कोलकाता से मंगवाती हूं. वह कहती हैं कि यदि मछलियों को बेहतर खाना दिया जाए तो यह मछलियां तीन से चार महीने में तैयार हो जाती हैं जिससे आप बेचकर मुनाफा कमा सकते हैं. हम 6 महीने में दो बार मछलियों के पैदावार करते हैं. इनमें यदि आप एक लाख मछली मंगाते हैं तो उनमें से लगभग 20 से 30000 मछलियां खराब हो जाती हैं,लेकिन 70000 मछलियां जो बचते हैं इनमें आप बेहतर पालन कर सकते हैं और मुनाफा कमा सकते हैं.
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