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यहां लड़कियां करती हैं दो-दो हाथ, मेडल के लिए करती हैं ऐसी प्रैक्टिस

नाग पंचमी (Nag Panchami) के दिन बनारस के प्राचीन अखाड़ों में कुश्ती के खेल का आयोजन किया जाता है. गुरु के सामने शिष्य अपनी कुश्ती का प्रदर्शन करते हैं. भदैनी के अस्सी क्षेत्र में गोस्वामी तुलसीदास अखाड़ा स्थित है. आज यहां लड़कियां दो-दो हाथ करती हैं.

वाराणसी में लड़कियों की कुश्ती.
वाराणसी में लड़कियों की कुश्ती.
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Published : Aug 13, 2021, 4:14 PM IST

Updated : Aug 13, 2021, 4:36 PM IST

वाराणसीः गोस्वामी तुलसीदास अखाड़ा प्राचीन मोहल्ला भदैनी अस्सी क्षेत्र में स्थित है. इस अखाड़े में कुश्ती लड़ कर युवा आज रेलवे, आर्मी, पुलिस सहित कई संस्थानों में कोच के रूप में कार्य कर रहे हैं. किसी जमाने में यहां के पहलवान कल्लू पहलवान राष्ट्रीय स्तर पर पहलवानी किया करते थे.

बनारस में दर्जन भर से ज्यादा अखाड़े आज भी शहर में मौजूद हैं. जिसमें लाल कुटिया अखाड़ा, महामृत्युंजय मंदिर अखाड़ा, गोस्वामी अखाड़ा प्रमुख हैं. यहां पर आज भी दंगल का आयोजन किया जाता है. ऐसे ही एक अखाड़ा है गोस्वामी तुलसीदास अखाड़ा. यहां युवकों के साथ युवतियां भी कुश्ती के दांव-पेंच सीखती हैं.

श्रीराम और हनुमान जी के अनन्य भक्त और श्री राम चरित्र मानस की रचना करने वाले गोस्वामी तुलसीदास ने अपने जीवन का बहुत समय काशी के तुलसी घाट पर बिताया. यहीं पर उन्होंने राम चरित्र मानस के कुछ अंश की रचना भी की. साथ ही यहीं पर एक अखाड़े का निर्माण किया. आज लगभग साढ़े 400 वर्ष बीत चुके हैं. गोस्वामी तुलसीदास द्वारा स्थापित अखाड़ा आज भी मौजूद है और लोग आस्था के साथ इस अखाड़े में आते हैं. कुश्ती-दंगल और जोड़ी फेरते हैं.

नाग पंचमी.

बनारस का अनोखा अखाड़ा

गोस्वामी तुलसीदास अखाड़े को बनारस का अनोखा अखाड़ा इसलिए कहा जाता है. क्योंकि यही वह अखाड़ा है जहां पहली बार लड़कियों को अखाड़े में जाने की अनुमति दी गई थी. यहीं से लड़कियों ने कुश्ती लड़ अंतरराष्ट्रीय लेवल तक अपनी पहचान बनाई. नाग पंचमी के दिन भी लड़कियों ने लड़कों के साथ और लड़कियों ने एक दूसरे से जमकर कुश्ती की. साल 2018 से महान संकट मोचन मंदिर स्वामी विशंभर नाथ मिश्र ने इस कुश्ती का प्रारंभ किया था.

इसे भी पढ़ें- वाराणसी में 450 साल पुराना अखाड़ा, यहां लड़कियां सीखती हैं कुश्ती के दांव पेंच

अखाड़ा बनाने का उद्देश्य

संकट मोचन मंदिर के महंत प्रोफेसर विश्वभर नाथ मिश्र ने बताया यह अखाड़ा स्वामी तुलसीदास द्वारा शुरू किया गया है. तुलसीदास ने अखाड़ों का निर्माण इसलिए कराया क्योंकि, उनका मानना था कि आदमी स्वस्थ रहेगा. तभी समाज के लिए सोच पाएगा और समाज का विकास कर पाएगा. तभी वह ईश्वर की उपासना भी कर सकता है. नाग पंचमी के दिन जो भी अखाड़े के पहलवान हैं और अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं.

नन्हा पहलवान.
नन्हा पहलवान.

अपेक्षा सिंह ने बताया कि, शुरू में यहां पर लड़कियों और महिलाओं को अलाउड नहीं था. लड़कियां हर क्षेत्र में अच्छा कार्य कर रही हैं, इसीलिए यहां के बड़े लोगों ने हम लोगों को कुश्ती खेलने के लिए अलाउड कर दिया. मैंने इसी अखाड़े से दो बार ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी खेल चुकी हूं. अंडर 23 स्टेट स्तर तक का भी सफर तय किया है.

अर्चना यादव ने बताया कि 1 साल से कुश्ती की प्रैक्टिस कर हैं. उन्हें कोट बनना है. उन्होंने कहा कि अखाड़े में लड़कियां लड़ती हैं यह देखकर अच्छा लगता है. हम लोग यहां पर प्रैक्टिस करते हैं. यहां पर किसी प्रकार की कोई रोक-टोक नहीं है.

वाराणसीः गोस्वामी तुलसीदास अखाड़ा प्राचीन मोहल्ला भदैनी अस्सी क्षेत्र में स्थित है. इस अखाड़े में कुश्ती लड़ कर युवा आज रेलवे, आर्मी, पुलिस सहित कई संस्थानों में कोच के रूप में कार्य कर रहे हैं. किसी जमाने में यहां के पहलवान कल्लू पहलवान राष्ट्रीय स्तर पर पहलवानी किया करते थे.

बनारस में दर्जन भर से ज्यादा अखाड़े आज भी शहर में मौजूद हैं. जिसमें लाल कुटिया अखाड़ा, महामृत्युंजय मंदिर अखाड़ा, गोस्वामी अखाड़ा प्रमुख हैं. यहां पर आज भी दंगल का आयोजन किया जाता है. ऐसे ही एक अखाड़ा है गोस्वामी तुलसीदास अखाड़ा. यहां युवकों के साथ युवतियां भी कुश्ती के दांव-पेंच सीखती हैं.

श्रीराम और हनुमान जी के अनन्य भक्त और श्री राम चरित्र मानस की रचना करने वाले गोस्वामी तुलसीदास ने अपने जीवन का बहुत समय काशी के तुलसी घाट पर बिताया. यहीं पर उन्होंने राम चरित्र मानस के कुछ अंश की रचना भी की. साथ ही यहीं पर एक अखाड़े का निर्माण किया. आज लगभग साढ़े 400 वर्ष बीत चुके हैं. गोस्वामी तुलसीदास द्वारा स्थापित अखाड़ा आज भी मौजूद है और लोग आस्था के साथ इस अखाड़े में आते हैं. कुश्ती-दंगल और जोड़ी फेरते हैं.

नाग पंचमी.

बनारस का अनोखा अखाड़ा

गोस्वामी तुलसीदास अखाड़े को बनारस का अनोखा अखाड़ा इसलिए कहा जाता है. क्योंकि यही वह अखाड़ा है जहां पहली बार लड़कियों को अखाड़े में जाने की अनुमति दी गई थी. यहीं से लड़कियों ने कुश्ती लड़ अंतरराष्ट्रीय लेवल तक अपनी पहचान बनाई. नाग पंचमी के दिन भी लड़कियों ने लड़कों के साथ और लड़कियों ने एक दूसरे से जमकर कुश्ती की. साल 2018 से महान संकट मोचन मंदिर स्वामी विशंभर नाथ मिश्र ने इस कुश्ती का प्रारंभ किया था.

इसे भी पढ़ें- वाराणसी में 450 साल पुराना अखाड़ा, यहां लड़कियां सीखती हैं कुश्ती के दांव पेंच

अखाड़ा बनाने का उद्देश्य

संकट मोचन मंदिर के महंत प्रोफेसर विश्वभर नाथ मिश्र ने बताया यह अखाड़ा स्वामी तुलसीदास द्वारा शुरू किया गया है. तुलसीदास ने अखाड़ों का निर्माण इसलिए कराया क्योंकि, उनका मानना था कि आदमी स्वस्थ रहेगा. तभी समाज के लिए सोच पाएगा और समाज का विकास कर पाएगा. तभी वह ईश्वर की उपासना भी कर सकता है. नाग पंचमी के दिन जो भी अखाड़े के पहलवान हैं और अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं.

नन्हा पहलवान.
नन्हा पहलवान.

अपेक्षा सिंह ने बताया कि, शुरू में यहां पर लड़कियों और महिलाओं को अलाउड नहीं था. लड़कियां हर क्षेत्र में अच्छा कार्य कर रही हैं, इसीलिए यहां के बड़े लोगों ने हम लोगों को कुश्ती खेलने के लिए अलाउड कर दिया. मैंने इसी अखाड़े से दो बार ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी खेल चुकी हूं. अंडर 23 स्टेट स्तर तक का भी सफर तय किया है.

अर्चना यादव ने बताया कि 1 साल से कुश्ती की प्रैक्टिस कर हैं. उन्हें कोट बनना है. उन्होंने कहा कि अखाड़े में लड़कियां लड़ती हैं यह देखकर अच्छा लगता है. हम लोग यहां पर प्रैक्टिस करते हैं. यहां पर किसी प्रकार की कोई रोक-टोक नहीं है.

Last Updated : Aug 13, 2021, 4:36 PM IST
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