वाराणसी: कहते हैं बेटियां घर की शान होती हैं, बेटियों से न सिर्फ घर सजता है बल्कि बेटियां पूरे परिवार का मान भी बढ़ाती हैं. काशी की एक बेटी ने अपना, अपने परिवार और पूरे देश का मान बढ़ाने का काम किया है. शिवांगी सिंह वाराणसी के फुलवरिया इलाके के रहने वाले कुमारेश्वर सिंह की बड़ी बेटी हैं. फ्लाइंग लेफ्टिनेंट शिवांगी भारतीय वायु सेना के सबसे खास और ताकतवर फाइटर जेट माना जाने वाला विमान राफेल उड़ाने वाली पहली महिला पायलट बनने जा रही हैं.
शिवांगी का सेलेक्शन भारतीय वायु सेना की राफेल स्क्वाड्रन में हुआ है और जल्द ही शिवांगी राफेल के साथ आसमान की बुलंदियों पर दिखाई देगी. शिवांगी के इस कदम के बाद परिवार में खुशी की लहर है. एक दूसरे को मिठाइयां खिलाई जा रही हैं. शिवांगी का परिवार बस इतना चाहता है कि चीन के साथ खराब हुए संबंधों के बीच उनकी बेटी जब देश की सेवा करने जा रही है तो मौका मिलते ही वह चीन को मुंहतोड़ जवाब भी दे.
राजस्थान में हुई थी पहली नियुक्ति
महिला लड़ाकू पायलट के दूसरे बैच में शामिल शिवांगी 2017 से भारतीय वायु सेना में कमीशन के बाद तैनात हैं. 2015 में भारतीय वायु सेना में चयन के बाद लगभग डेढ़ साल की ट्रेनिंग पूरी कर जब शिवांगी की पहली तैनाती हैदराबाद की एयरफोर्स एकेडमी में फ्लाइड कैडेट में ग्राउंड ड्यूटी ऑफिसर के तौर पर मिली. इसके बाद उन्हें सेना में कमीशन मिला तब उसकी नियुक्ति राजस्थान में फ्लाइंग लेफ्टिनेंट के तौर पर हुई. इसके बाद 2017 में इनको जल्द ही शिवांगी अंबाला में मौजूद भारतीय वायु सेना की 17 स्क्वाड्रन गोल्डन एरो में शामिल होंगी और राफेल उड़ाएंगी.
रह चुकी हैं नेशनल प्लेयर
शिवांगी की इस उपलब्धि के बाद परिवार में खुशी का माहौल है. शिवांगी की मां सीमा सिंह का कहना है उनकी बेटी किसी चीज में पीछे नहीं थी. उसने वॉलीबॉल और जैवलिन थ्रो में दो बार सिल्वर और एक बार गोल्ड मेडल हासिल किया. बेंगलुरु और देश के तमाम हिस्सों में नेशनल स्तर पर खेलने गई. शुरू से ही उसका झुकाव खेल की तरफ था.
चीन को दे मुंहतोड़ जवाब
सेना में तैनात शिवांगी के नाना कर्नल बीएन सिंह एक बार उसे अपने साथ एयरबेस और एवरेस्ट की चोटी दिखाने ले गए. एवरेस्ट और एयरबेस देखने के बाद शिवांगी का मन सेना की तरफ खिंचता चला गया. शिवांगी ने 2013 में एनसीसी ज्वाइन की और बीएचयू में 2013 से 2015 तक एनसीसी में रहते हुए उसने खुद को बेस्ट कैडेट साबित किया. इस दौरान 2015 में उसने दिल्ली में होने वाली गणतंत्र दिवस परेड में भी शिरकत की थी. शिवांगी की मां बताती हैं कि कक्षा 8 तक वाराणसी के एक कैथोलिक स्कूल में और फिर 4 साल दूसरे इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़ाई करने के बाद उसने अपनी बीएससी वाराणसी के ही एक प्राइवेट कॉलेज से कंप्लीट की. पढ़ाई पूरी करने के बाद उसने एनसीसी के जरिए अपने सपने को पूरा करने के लिए देश की सेवा करने के खातिर वायु सेना में जाने का मन बनाया. भाग्य ने उसका साथ दिया और 2015 में उसका चयन वायु सेना में हुआ.
जब इस मुश्किल घड़ी में जब चीन बार-बार भारत की तरफ आंख तरेर रहा है तो बेटी कुछ ऐसा करें जिससे चीन को मुकम्मल जवाब मिल सके. मेरी इच्छा बस इतनी है कि शिवांगी चीन को मुंहतोड़ जवाब दे, मेरी बेटी दुश्मनों के दांत खट्टे कर दे और पूरे परिवार सहित देश का नाम रोशन करें.
सीमा सिंह (शिवांगी की मां)
पहले से उड़ा रही हैं मिग और सुखोई जैसे विमान
शिवांगी के पिता भी बेहद खुश हैं. उनका कहना है कि उनकी बेटी राफेल उड़ाएगी, इससे बड़ी खुशी की बात और क्या हो सकती है. बेटी ने पूरे परिवार पूरे खानदान का सिर फक्र से ऊंचा कर दिया है. बीएचयू में नेशनल कैडेट कोर में 7 यूपी स्क्वाड्रन का हिस्सा रह चुकी शिवांगी पहले से ही मिग-21 बायसन और सुखोई-MKI जैसे आधुनिक विमान उड़ाने वाली पहली भारतीय महिला पायलट बन चुकी हैं और अब राफेल जैसे आधुनिक लड़ाकू विमान को उड़ा कर वह इतिहास रचने जा रही हैं. इससे शिवांगी का परिवार बेहद खुश है और अपनी बेटी की उपलब्धि पर फूला नहीं समा रहा है. शिवांगी का छोटा भाई भी अपनी बहन की इस उपलब्धि के बाद एनडीए ज्वाइन करने की तैयारी कर रहा है. अभी वह इंटर का छात्र है और जल्द ही वह भी सेना में जाने की बात कह रहा है.