वाराणसी: जहां देश में सद्भाव और सौहार्द के सामाजिक समरसता के तमाम उदाहरण मिल जाएंगे. वहीं जिले के चौखंभा इलाके के गोपाल मंदिर से सटी अनार वाली मस्जिद की बेचन बाबा 60 सालों से देख-रेख कर रहे हैं. मस्जिद के मुतवल्ली की भूमिका में बेचन बाबा ने भाईचारे की एक मिसाल पेश की है.
हिंदू समुदाय के लोगों से घिरा चौखंभा इलाका यहां मौजूद गोपाल मंदिर के लिए जाना जाता है, लेकिन गोपाल मंदिर की दीवार से सटी है अनार वाली मस्जिद. इस मस्जिद का इतिहास भी काफी पुराना है. मस्जिद के अंदर चार दुर्वेश हैं, जिनमें सैयद तारा शाह बाबा, मीरा शाह बाबा, अनार शहीद बाबा, चौखंबा बाबा के साथ 24 जिन्नात और 41 कुतुब के अलावा जिन्नातों का खेड़ा भी यहां मौजूद है. इस पवित्र स्थान पर जितनी शिद्दत से मुस्लिम समुदाय के लोग इबादत करते हैं, उतना ही हिंदुओं का भी जुड़ाव यहां से है.
पिता से मिली देख-रेख की प्रेरणा
इस पवित्र स्थान पर जितनी शिद्दत से मुस्लिम समुदाय के लोग इबादत करते हैं, उतना ही हिंदुओं का भी जुड़ाव यहां से है. मस्जिद के मुख्य द्वार पर ही प्लास्टिक लगाकर टीन शेड में अपना जीवन बिताने वाले बेचन बाबा ने पिता को देखकर मस्जिद में देख-रेख का काम करना शुरू कर दिया था.
यह भी पढ़ें: अयोध्याः सुरक्षा व्यवस्था पर केन्द्र की नजर, राज्य सरकार चौकस
बेटे भी कर रहे हैं सेवा
बेचन बाबा मस्जिद में होने वाले चांद की तारीख और अन्य मुख्य आयोजनों की जिम्मेदारी जहां बखूबी निभाते हैं. वहीं बेचन बाबा के बेटे भी अपने पिता के नक्शे कदम पर चलकर मस्जिद की पूरी तरह से देख-रेख करते हैं.
मस्जिद का काफी पुराना है इतिहास
इस मस्जिद का इतिहास भी काफी पुराना है. मस्जिद के अंदर चार दुर्वेश है, जिनमें सैयद तारा शाह बाबा, मीरा शाह बाबा, अनार शहीद बाबा, चौखंबा बाबा के साथ 24 जिन्नात और 41 कुतुब के अलावा जिन्नातों का खेड़ा भी यहां मौजूद है.