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वैश्विक महामारी ने बैंक कर्मचारी को बना दिया योग शिक्षक, फ्री में लोगों को सिखाते हैं योग

वाराणसी के बैंक कर्मी सुशील कुमार गुप्ता ने प्रयागराज और उसके बाद काशी हिंदू विश्वविद्यालय से योग में डिप्लोमा किया. सीखने के बाद अब लोगों को फ्री में योग सिखाते हैं.

वैश्विक महामारी ने बैंक कर्मचारी को बना दिया योग शिक्षक, फ्री में लोगों को सिखाते हैं योग
वैश्विक महामारी ने बैंक कर्मचारी को बना दिया योग शिक्षक, फ्री में लोगों को सिखाते हैं योग
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Published : May 23, 2021, 4:25 PM IST

वाराणसी : वैश्विक महामारी के दौर में बहुत कुछ बदलता दिख रहा है. अपने बदल रहे हैं और पराए अपने हो रहे हैं. बहुत से घरों में जहां लोग संक्रमित हैं, वहां लोग मदद तक करने को तैयार नहीं है. ऐसे में धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी एक बार फिर लोगों को एक मिसाल दे रही है. बैंक कर्मचारी सुशील कुमार गुप्ता पिछले एक वर्ष से लोगों को स्वस्थ रखने के लिए और उनकी सोच को बदलने के लिए ऑनलाइन लोगों को निःशुल्क योग सिखा रहे हैं.

वैश्विक महामारी ने बैंक कर्मचारी को बना दिया योग शिक्षक, फ्री में लोगों को सिखाते हैं योग

47 की आयु में योग से दिख रहे फिट

सुशील कुमार गुप्ता 47 वर्ष की आयु में भी योग कर खुद को फिट दिखा रहे हैं. वह एक बैंक में कार्य करते हैं. इस काम के साथ रविवार को लोगों को योग सिखाते हैं. इनका कहना है कि ये काफी व्यस्त रहते हैं लेकिन इस छोटी सी पहल से वह देश और समाज की सेवा कर पा रहे हैं.

यह भी पढ़ें : कोरोना महामारी ने बदल दिया अंतिम संस्कार का नियम, हिंदू-इसाई समुदाय अपना रहे ये तरीका

45 वर्ष की उम्र में सीखा योग

45 वर्ष की आयु में लोग जब खुद को थका मानते हैं. सुशील कुमार गुप्ता ने प्रयागराज और उसके बाद काशी हिंदू विश्वविद्यालय से योग में डिप्लोमा किया. सीखने के बाद अब लोगों को फ्री में योग सिखाते हैं. वैश्विक महामारी प्रारंभ होने से पहले ही लोगों को घाटों पर, गलियों में और पार्कों में जाकर फ्री में योग के फायदे बताते रहे और योगा सिखाते रहे. उनका मानना है कि केवल यही एक ऐसा माध्यम है जिससे व्यक्ति स्वस्थ और खुशहाल रह सकता है.

बैंक कर्मचारी बने योग शिक्षक

सुशील कुमार गुप्ता ने बताया वह पेशे से बैंक कर्मचारी हैं. शौक के चलते वह योग शिक्षक की भूमिका भी निभा रहे हैं. बताया कि जब उनके अंदर योग शिक्षा ग्रहण करने का जजबा जगा तो उन्होंने पतंजलि प्रयागराज और बीएचयू से योग की शिक्षा ग्रहण की. सुशील कुमार ने बताया पहले वह ऑफलाइन लोगों को योग सिखाते थे लेकिन पिछले साल मार्च में जब से वैश्विक महामारी शुरू हुई, तब से ऑनलाइन लोगों को योग की नि:शुल्क शिक्षा देते हैं. उसके साथ ही बैंक कर्मचारी के रूप में भी काम करते हैं. उनके यहां पत्रकार, वकील, बैंक कर्मचारी, डॉक्टर, बिजनेसमैन, शिक्षक, समाज वर्ग के अनेक लोग जुड़े हैं. एक दिन में ऑनलाइन लगभग 40 से 50 लोग जुड़ते हैं और योग करते हैं.

योग बढ़ाता है एकाग्रता

योग छात्र विजय सिंह ने बताया सुशील जी उन्हें फ्री में योग सिखाते हैं. इसके लिए व्हाट्सएप पर पहले से ही सूचना दे दी जाती है. योग से बहुत शांति मिलती है और पढ़ाई में भी मन लगता है. मन शांत और प्रसन्न रहता है. छात्रा कृष्णआर्थी ने बताया कि वह पिछले 2 साल से योगा कर रही हैं. लॉक डाउन लग जाने के बाद से उन लोगों ने योग को खासा महत्व देना शुरू किया. हफ्ते में एक बार रविवार को योग करती हैं. योग विद्यार्थी सुधांशु ने बताया लॉकडाउन में हम लोग अपने ही घरों में कैद हो गए हैं. इस दौरान फ्री में चल रही योग क्लास से फायदा है. इससे मस्तिष्क भी स्वस्थ रहता है और एकाग्रता बढ़ती है जिससे काम में मन भी लगता है. सिद्धार्थ ने बताया कि नियमित योग से काफी फायदा हुआ है.

वाराणसी : वैश्विक महामारी के दौर में बहुत कुछ बदलता दिख रहा है. अपने बदल रहे हैं और पराए अपने हो रहे हैं. बहुत से घरों में जहां लोग संक्रमित हैं, वहां लोग मदद तक करने को तैयार नहीं है. ऐसे में धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी एक बार फिर लोगों को एक मिसाल दे रही है. बैंक कर्मचारी सुशील कुमार गुप्ता पिछले एक वर्ष से लोगों को स्वस्थ रखने के लिए और उनकी सोच को बदलने के लिए ऑनलाइन लोगों को निःशुल्क योग सिखा रहे हैं.

वैश्विक महामारी ने बैंक कर्मचारी को बना दिया योग शिक्षक, फ्री में लोगों को सिखाते हैं योग

47 की आयु में योग से दिख रहे फिट

सुशील कुमार गुप्ता 47 वर्ष की आयु में भी योग कर खुद को फिट दिखा रहे हैं. वह एक बैंक में कार्य करते हैं. इस काम के साथ रविवार को लोगों को योग सिखाते हैं. इनका कहना है कि ये काफी व्यस्त रहते हैं लेकिन इस छोटी सी पहल से वह देश और समाज की सेवा कर पा रहे हैं.

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45 वर्ष की उम्र में सीखा योग

45 वर्ष की आयु में लोग जब खुद को थका मानते हैं. सुशील कुमार गुप्ता ने प्रयागराज और उसके बाद काशी हिंदू विश्वविद्यालय से योग में डिप्लोमा किया. सीखने के बाद अब लोगों को फ्री में योग सिखाते हैं. वैश्विक महामारी प्रारंभ होने से पहले ही लोगों को घाटों पर, गलियों में और पार्कों में जाकर फ्री में योग के फायदे बताते रहे और योगा सिखाते रहे. उनका मानना है कि केवल यही एक ऐसा माध्यम है जिससे व्यक्ति स्वस्थ और खुशहाल रह सकता है.

बैंक कर्मचारी बने योग शिक्षक

सुशील कुमार गुप्ता ने बताया वह पेशे से बैंक कर्मचारी हैं. शौक के चलते वह योग शिक्षक की भूमिका भी निभा रहे हैं. बताया कि जब उनके अंदर योग शिक्षा ग्रहण करने का जजबा जगा तो उन्होंने पतंजलि प्रयागराज और बीएचयू से योग की शिक्षा ग्रहण की. सुशील कुमार ने बताया पहले वह ऑफलाइन लोगों को योग सिखाते थे लेकिन पिछले साल मार्च में जब से वैश्विक महामारी शुरू हुई, तब से ऑनलाइन लोगों को योग की नि:शुल्क शिक्षा देते हैं. उसके साथ ही बैंक कर्मचारी के रूप में भी काम करते हैं. उनके यहां पत्रकार, वकील, बैंक कर्मचारी, डॉक्टर, बिजनेसमैन, शिक्षक, समाज वर्ग के अनेक लोग जुड़े हैं. एक दिन में ऑनलाइन लगभग 40 से 50 लोग जुड़ते हैं और योग करते हैं.

योग बढ़ाता है एकाग्रता

योग छात्र विजय सिंह ने बताया सुशील जी उन्हें फ्री में योग सिखाते हैं. इसके लिए व्हाट्सएप पर पहले से ही सूचना दे दी जाती है. योग से बहुत शांति मिलती है और पढ़ाई में भी मन लगता है. मन शांत और प्रसन्न रहता है. छात्रा कृष्णआर्थी ने बताया कि वह पिछले 2 साल से योगा कर रही हैं. लॉक डाउन लग जाने के बाद से उन लोगों ने योग को खासा महत्व देना शुरू किया. हफ्ते में एक बार रविवार को योग करती हैं. योग विद्यार्थी सुधांशु ने बताया लॉकडाउन में हम लोग अपने ही घरों में कैद हो गए हैं. इस दौरान फ्री में चल रही योग क्लास से फायदा है. इससे मस्तिष्क भी स्वस्थ रहता है और एकाग्रता बढ़ती है जिससे काम में मन भी लगता है. सिद्धार्थ ने बताया कि नियमित योग से काफी फायदा हुआ है.

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