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भारत में शैवाल विज्ञान के जनक के कार्यों को आगे बढ़ाने वाले BHU के पूर्व प्रोफेसर का निधन

भारत में शैवाल विज्ञान के जनक के कार्यों को आगे बढ़ाने वाले BHU के पूर्व प्रोफेसर सुरेश्वर प्रसाद सिंह का हृदय गति रुकने से निधन हो गया. वो 80 साल के थे. उनके अनेक उत्कृष्ट व उपयोगी शोधपत्र राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय शोध पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं.

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Published : Jul 13, 2020, 1:55 AM IST

sureshwar prasad singh passes away
BHU के पूर्व प्रोफेसर सुरेश्वर प्रसाद सिंह का निधन

वाराणसी: सर्व विद्या की राजधानी कहे जाने वाले काशी हिंदू विश्वविद्यालय के वनस्पति विभाग के पूर्व प्रोफेसर सुरेश्वर प्रसाद सिंह का निधन हो गया. वो 80 साल के थे. उनका निधन हृदय गति रुकने से हुआ है.

भारत में शैवाल विज्ञान के फादर कहे जाने वाले स्वर्गीय प्रोफेसर आर.एन. सिंह के शोध अन्य शोधों से हटकर थे. BHU के पूर्व प्रोफेसर सुरेश्वर प्रसाद सिंह उनकी अनुसंधान परम्परा को आगे बढ़ाए हुए थे. नीलहरित शैवाल जो वातावरण से सीधे नाइट्रोजन को सोखकर पौधों को उपलब्ध कराकर उत्पादकता को बढ़ा देते हैं. इस पर काफी गहराई से कार्य किए थे. उनके अनेक उत्कृष्ट व उपयोगी शोधपत्र राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय शोध पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं. अनेक शोध छात्र और छात्राएं देश विदेश में अनुसंधान और अध्यापन में संलग्न हैं. प्रो. आर. एन. सिंह के सम्मान में उनकी प्रयोगशाला का नाम प्रो. आर. एन. सिंह प्रयोगशाला रखा गया था.

बीएचयू प्रो. आर.के. अस्थाना ने बताया कि हाल के दिनों वे शैवाल से हाइड्रोजन ऊर्जा उत्पादन के अनुसंधान में भी काफी रुचि ले रहे थे. उनके निधन से वनस्पति विज्ञान सहित विज्ञान संस्थान और उनके छात्र छात्राओं, अध्यापकों और मित्रों में शोक की लहर व्याप्त है. प्रो. सिंह छात्र-छात्राओं, सहयोगियों और कर्मचारियों में काफी लोकप्रिय थे. वनस्पति विभाग के सभी कर्मचारियों, प्रोफेसरों शिक्षकों और छात्र छात्राओं में अपने गुरु के जाने का काफी शौक है. वो अपने पीछे एक भरा पूरा परिवार छोड़ गए.

वाराणसी: सर्व विद्या की राजधानी कहे जाने वाले काशी हिंदू विश्वविद्यालय के वनस्पति विभाग के पूर्व प्रोफेसर सुरेश्वर प्रसाद सिंह का निधन हो गया. वो 80 साल के थे. उनका निधन हृदय गति रुकने से हुआ है.

भारत में शैवाल विज्ञान के फादर कहे जाने वाले स्वर्गीय प्रोफेसर आर.एन. सिंह के शोध अन्य शोधों से हटकर थे. BHU के पूर्व प्रोफेसर सुरेश्वर प्रसाद सिंह उनकी अनुसंधान परम्परा को आगे बढ़ाए हुए थे. नीलहरित शैवाल जो वातावरण से सीधे नाइट्रोजन को सोखकर पौधों को उपलब्ध कराकर उत्पादकता को बढ़ा देते हैं. इस पर काफी गहराई से कार्य किए थे. उनके अनेक उत्कृष्ट व उपयोगी शोधपत्र राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय शोध पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं. अनेक शोध छात्र और छात्राएं देश विदेश में अनुसंधान और अध्यापन में संलग्न हैं. प्रो. आर. एन. सिंह के सम्मान में उनकी प्रयोगशाला का नाम प्रो. आर. एन. सिंह प्रयोगशाला रखा गया था.

बीएचयू प्रो. आर.के. अस्थाना ने बताया कि हाल के दिनों वे शैवाल से हाइड्रोजन ऊर्जा उत्पादन के अनुसंधान में भी काफी रुचि ले रहे थे. उनके निधन से वनस्पति विज्ञान सहित विज्ञान संस्थान और उनके छात्र छात्राओं, अध्यापकों और मित्रों में शोक की लहर व्याप्त है. प्रो. सिंह छात्र-छात्राओं, सहयोगियों और कर्मचारियों में काफी लोकप्रिय थे. वनस्पति विभाग के सभी कर्मचारियों, प्रोफेसरों शिक्षकों और छात्र छात्राओं में अपने गुरु के जाने का काफी शौक है. वो अपने पीछे एक भरा पूरा परिवार छोड़ गए.

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