वाराणसी : जिले के चिरईगांव विकास खंड के छितौनी गांव निवासी अभिलेखों में मृत संतोष मूरत सिंह जिंदा होने के लिए संघर्ष कर रहा है. वहीं, बीडीसी पद हेतु नामांकन के लिए पहले दिन तो भटकता रह गया, उसे कोई प्रस्तावक ही नहीं मिला. इसके बाद वह मायूस होकर वापस अपने घर को लौट गया कि दूसरे दिन शायद कोई प्रस्तावक मिल जायेगा.
'मैं जिंदा हूं' ने बीडीसी हेतु किया नामांकन
संतोष मूरत सिंह 'मैं जिंदा हूं' को अंततः प्रस्तावक गुरुवार को मिल ही गया. बीडीसी वार्ड संख्या 100 से बीडीसी प्रत्याशी के रूप में नामांकन कर पंचायत चुनाव कार्यक्रम में शामिल हो गया. बता दें कि 'मैं जिंदा हूं' बीडीसी प्रत्याशी हेतु नामांकन करने के लिए नामांकन फार्म खरीद कर प्रस्तावक की तलाश में गांव-गांव घूमकर सहयोग मांग रहा था. गुरुवार को जाल्हूपुर निवासी तूफानी ने प्रस्तावक के रूप में अपनी सहमति 'मैं जिंदा हूं' को प्रदान की. तब जाकर उनके नामांकन की प्रक्रिया पूरी हो गयी. संतोष ने कहा कि हमें न्याय के लिए हर स्तर पर संघर्ष करना पड़ रहा है. मैं प्रयास से पीछे नहीं हटूंगा.
युवा भी आएं आगे
संतोष मूरत सिंह की लड़ाई में वो अब अकेले नहीं हैं, बल्कि कई युवा अब उनका साथ देने के लिए आगे आए हैं. वाराणसी के रहने जितेंद्र बताते हैं कि जब से उन्हें संतोष के बारे में पता चला है तो अब वो उनके संघर्ष में उनके साथ हैं. संतोष दो दशक से सरकारी कागज में मृत हैं और उनकी जमीन पर पाटीदार वालों ने कब्जा कर रखा है. इनके जज्बे को देखते हुए हम आगे आकर इनकी मदद कर रहे हैं. इनके क्षेत्र में जाकर चुनाव के लिए प्रचार-प्रसार भी करेंगे.
लोकसभा और विधानसभा में भी नामांकन कर चुका
संतोष ने बताया कि वो लोकसभा और विधानसभा में भी नामांकन किया था, लेकिन वह हर बार रिजेक्ट हो गए. वह 2017 में विधानसभा चुनाव में वाराणसी से लड़ चुके हैं. सरकारें बदलती रहीं, अधिकारियों का ट्रांसफर होता रहा, अधिकारियों के आश्वासन भी मिलते रहे, बावजूद इसके वह अब तक सरकारी फाइलों में मृत ही हैं. संतोष का कहना है कि वह यह चुनाव इसलिए लड़ रहें हैं, क्योंकि उन्हें खुद को जिंदा साबित करना है.