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वाराणसी के लोगों में 25 प्रतिशत तक एंटीबॉडी तैयार, बीएचयू एक्सपर्ट टीम का दावा

बीएचयू के सीरो सर्वे में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. बीएचयू के एक्सपर्ट डॉक्टरों की टीम ने ये दावा किया है कि वाराणसी के लोगों में लगभग 25 फीसदी एंटीबॉडी तैयार हो गई है.

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Published : Sep 23, 2020, 12:16 PM IST

वाराणसी के लोगों में 25 प्रतिशत तक एंटीबॉडी तैयार
वाराणसी के लोगों में 25 प्रतिशत तक एंटीबॉडी तैयार

वाराणसी: पूरे विश्व में कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. इसे देखते हुए पूरे विश्व के साइंटिस्ट जल्द से जल्द कोरोना की वैक्सीन बनाने का प्रयास कर रहे हैं. ऐसे में भारत भी तमाम प्रयास कर रहा है. वाराणसी के काशी हिंदू विश्वविद्यालय के जंतु विज्ञान के एक्सपर्ट वैज्ञानिक टीम ने सीरो सर्वे कर यह दावा किया है कि जिले के लोगों में कोरोना से लड़ने वाली एंटीबॉडी तैयार हो गई है. इसका एक कारण है कि भारतीयों के अंदर जीनोम अच्छे ढंग से बना हुआ है. इसके अंदर यूनिक टाइप के म्यूटिशन हैं, जिसकी वजह से हमारे देश की डेथ रेट बहुत कम है.

वाराणसी के लोगों में 25 प्रतिशत तक एंटीबॉडी तैयार

बीएचयू के प्रोफेसर ज्ञानेश्वर चौबे की अगुवाई में एक्सपर्ट टीम ने वाराणसी में सीरो सर्वे के बाद यह पाया कि शहर में खुले में ज्यादा समय बिताने वाले लोगों में कोरोना एंटीबॉडी डेवलप हो गई है. 6 महीने तक वायरस से डरने की जरूरत नहीं है.

बाहर निकलने वाले लोगों में 25 प्रतिशत है एंटीबॉडी
टीम के सदस्य एवं बीएचयू शोध छात्र प्रज्ज्वल प्रताप सिंह ने बताया कि अभी हम लोग एंटीबॉडी टेस्टिंग कर रहे हैं. एक्सपोज्ज्ड और अनएक्सपोज्ज्ड हमारे पास दो कैटेगरी है. अनक्सपोज्ज्ड में वह लोग आते हैं, जो हाईली क्वॉरेंटाइन हैं. घर से कम बाहर निकल रहे हैं. ऑफिशियल वर्क ज्यादा कर रहे हैं. एक्सपोज्ज्ड में वह लोग शामिल हैं, जो घर से ज्यादा बाहर निकल रहे हैं. ज्यादा समय तक घर के बाहर रह रहे हैं. जैसे सब्जी बेचने वाले, रिक्शा चलाने वाले, ऑटो चलाने वाले, जो लेबर क्लास के हैं. हमारा जो टेस्ट है वह एंटीबॉडी टेस्ट बनारस में हो चुका है. इसके अलावा हम इस टेस्ट को जौनपुर, मिर्जापुर, सोनभद्र अन्य जिलों में कर रहे हैं. बनारस में सब्जी बेचने वाले, रिक्शा चलाने वाले, ऑटो चलाने वाले, उनके अंदर एंटीबॉडी 25 प्रतिशत है. जो लोग आइसोलेट हैं. घर से कम बाहर निकलते हैं. ऑफिशियल वर्क ज्यादा करते हैं, उनके अंदर एंटीबॉडी 8 प्रतिशत है.

यूपी और एमपी के 5 शहरों में चल रहा सीरो सर्वे
प्रोफेसर ज्ञानेश्वर चौबे ने बताया कि हमारी टीम ने शहर के अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग वर्ग के 200 सैंपल के जीरो टेस्ट के बाद यह आकलन किया है. जिसके अंदर एंटीबॉडी 25 प्रतिशत है. वो यदि अपने खान-पान को ठीक रख रहा है, तो यह एंटीबॉडी उन्हें शरीर में और भी लंबे समय तक मौजूद रहेगा. बीएचयू के एक्सपर्ट वैज्ञानिकों की टीम यूपी और एमपी के 5 शहरों में सर्वे का काम कर रही है. इसके अंदर अगर हम पूरे इंडिया को मैपिंग करे तो महाराष्ट्र में एंटीबॉडी 30 प्रतिशत पाया गया है.

वाराणसी: पूरे विश्व में कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. इसे देखते हुए पूरे विश्व के साइंटिस्ट जल्द से जल्द कोरोना की वैक्सीन बनाने का प्रयास कर रहे हैं. ऐसे में भारत भी तमाम प्रयास कर रहा है. वाराणसी के काशी हिंदू विश्वविद्यालय के जंतु विज्ञान के एक्सपर्ट वैज्ञानिक टीम ने सीरो सर्वे कर यह दावा किया है कि जिले के लोगों में कोरोना से लड़ने वाली एंटीबॉडी तैयार हो गई है. इसका एक कारण है कि भारतीयों के अंदर जीनोम अच्छे ढंग से बना हुआ है. इसके अंदर यूनिक टाइप के म्यूटिशन हैं, जिसकी वजह से हमारे देश की डेथ रेट बहुत कम है.

वाराणसी के लोगों में 25 प्रतिशत तक एंटीबॉडी तैयार

बीएचयू के प्रोफेसर ज्ञानेश्वर चौबे की अगुवाई में एक्सपर्ट टीम ने वाराणसी में सीरो सर्वे के बाद यह पाया कि शहर में खुले में ज्यादा समय बिताने वाले लोगों में कोरोना एंटीबॉडी डेवलप हो गई है. 6 महीने तक वायरस से डरने की जरूरत नहीं है.

बाहर निकलने वाले लोगों में 25 प्रतिशत है एंटीबॉडी
टीम के सदस्य एवं बीएचयू शोध छात्र प्रज्ज्वल प्रताप सिंह ने बताया कि अभी हम लोग एंटीबॉडी टेस्टिंग कर रहे हैं. एक्सपोज्ज्ड और अनएक्सपोज्ज्ड हमारे पास दो कैटेगरी है. अनक्सपोज्ज्ड में वह लोग आते हैं, जो हाईली क्वॉरेंटाइन हैं. घर से कम बाहर निकल रहे हैं. ऑफिशियल वर्क ज्यादा कर रहे हैं. एक्सपोज्ज्ड में वह लोग शामिल हैं, जो घर से ज्यादा बाहर निकल रहे हैं. ज्यादा समय तक घर के बाहर रह रहे हैं. जैसे सब्जी बेचने वाले, रिक्शा चलाने वाले, ऑटो चलाने वाले, जो लेबर क्लास के हैं. हमारा जो टेस्ट है वह एंटीबॉडी टेस्ट बनारस में हो चुका है. इसके अलावा हम इस टेस्ट को जौनपुर, मिर्जापुर, सोनभद्र अन्य जिलों में कर रहे हैं. बनारस में सब्जी बेचने वाले, रिक्शा चलाने वाले, ऑटो चलाने वाले, उनके अंदर एंटीबॉडी 25 प्रतिशत है. जो लोग आइसोलेट हैं. घर से कम बाहर निकलते हैं. ऑफिशियल वर्क ज्यादा करते हैं, उनके अंदर एंटीबॉडी 8 प्रतिशत है.

यूपी और एमपी के 5 शहरों में चल रहा सीरो सर्वे
प्रोफेसर ज्ञानेश्वर चौबे ने बताया कि हमारी टीम ने शहर के अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग वर्ग के 200 सैंपल के जीरो टेस्ट के बाद यह आकलन किया है. जिसके अंदर एंटीबॉडी 25 प्रतिशत है. वो यदि अपने खान-पान को ठीक रख रहा है, तो यह एंटीबॉडी उन्हें शरीर में और भी लंबे समय तक मौजूद रहेगा. बीएचयू के एक्सपर्ट वैज्ञानिकों की टीम यूपी और एमपी के 5 शहरों में सर्वे का काम कर रही है. इसके अंदर अगर हम पूरे इंडिया को मैपिंग करे तो महाराष्ट्र में एंटीबॉडी 30 प्रतिशत पाया गया है.

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