प्रयागराज : महाकुंभ के दौरान संगम में पुण्य की डुबकी लगाने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है. यह संख्या करोड़ों में पहुंच चुकी है. इसी बीच सनातन धर्म में आस्था रखने वाल कुछ लोग संतों के सानिध्य में जा रहे हैं. आईआईटी बाबा अभय सिंह के बाद एमबीए और पीएचडी के साथ मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट में 22 साल तक काम कर चुके डॉ. सचिन मिश्रा ने भी सनातन की राह पकड़ ली है. डॉ. सचिन अब श्री श्री श्री 1008 डॉ. सचिन्द्रनाथ महाराज के नाम से जाने जा रहे हैं.
डॉ. सचिन मिश्रा 22 साल तक कॉर्पोरेट इंडस्ट्री से जुड़कर देश के अलग-अलग हिस्सों में मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट का एक्सपर्ट बनकर अलग-अलग स्टेट की गवर्नमेंट के साथ काम किया. लोगों को वेस्ट मैनेजमेंट के प्रति जागरूक करने के साथ ही रोटरी और तमाम बड़ी संस्थाओं से जुड़कर समाज सेवा भी की. बहरहाल अब तमाम सामाजिक दायित्वों को निभाने के बाद उन्होंने संन्यास की राह पकड़ ली है. महाकुंभ में अपने गुरु से दीक्षा लेकर श्रीकुल पीठ के पीठाधीश्वर के तौर पर सनातन संस्कृति को मजबूत करने, प्रचार प्रसार करने का संकल्प लिया है.
डॉ. सचिन मिश्रा मूल रूप से वाराणसी के रहने वाले हैं. महाकुंभ में ब्रह्मराष्ट्र एकम की तरफ से श्रीकुल पीठ का पीठाधीश्वर नियुक्त किया गया है. उनके पट्टाभिषेक कार्यक्रम को संपन्न करने के बाद अब डॉ. सचिंद्रनाथ कुंभ में साधु संतों का आशीर्वाद लेते हुए सनातन धर्म के प्रचार प्रसार में जुटे हुए हैं.
![परिवार के साथ डॉ. सचिन.](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/04-02-2025/up-var-1-sanatani-manager-7200982_04022025114607_0402f_1738649767_1080.jpg)
डॉ. सचिन्द्रनाथ बताते हैं कि उन्होंने अपनी शिक्षा दीक्षा पूरी करने के बाद सनातन संस्कृति के साथ जुड़े रहना बेहतर समझा. हाल ही में उन्होंने श्री राम मंदिर के भव्य उद्घाटन के पहले श्री राम पदयात्रा का आयोजन किया, जो पूरे विश्व में उन जगहों तक पहुंची, जहां प्रभु श्री राम के चरण पड़े थे. भारत से शुरू हुई यात्रा श्रीलंका में पहुंचकर खत्म हुई. इसमें कई बड़े संतों ने भी हिस्सा लिया. इसके अतिरिक्त सामाजिक कार्यों में भी काफी सक्रिय रहे.
डाॅ. सचिन बताते हैं कि 22 साल तक कॉरपोरेट जगत से जुड़ा रहा और वेस्ट मैनेजमेंट एक्सपर्ट के तौर पर काम कर रहा था. वाराणसी और उत्तर प्रदेश के कई जिलों में बाॅयो मेडिकल और नॉर्मल कचरे को किस तरह से मैनेज करके उसका यूज किया जाए इस पर भी काम किया. इसके बाद उत्तर प्रदेश के अलावा बिहार, पश्चिम बंगाल, झारखंड, उड़ीसा और कई अन्य राज्यों के साथ मिलकर काम किया. हमने लगभग 15 साल तक इस पर काम करने के बाद एक अलग लेवल पर बाॅयो मेडिकल कचरे का निस्तारण शुरू किया.
डॉ. राजेंद्र नाथ बताते हैं कि उन्हें वेस्ट मैनेजमेंट के लिए राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर का अवार्ड मिल चुके हैं. हाल ही में जिलाधिकारी वाराणसी के द्वारा नगर निगम में किए जा रहे कार्यों के लिए भी उन्हें अवार्ड दिया गया. डाॅ. सचिन्द्रनाथ ने एमबीए के साथ एमएसडब्ल्यू और पत्रकारिता की भी डिग्री ले रखी है. इसके अलावा पीएचडी भी पूरी हो चुकी है. इसके अलावा हिंदी के प्रचार प्रसार में भी काफी योगदान दिया है और हिंदी प्रचार सम्मेलन प्रयागराज में प्रचार मंत्री के तौर पर भी नियुक्त हैं.
डॉ. सचिन्द्रनाथ के कहना है कि यह मेरा सौभाग्य है कि मुझे सनातन की सेवा का अवसर मिला. मेरे गुरुदेव दिवाकर जी महाराज मेरे सनातन के प्रति झुकाव पर लगातार नजर बनाए हुए थे. लगभग 12 सालों तक लगातार मैं इस दिशा में काम किया अलग-अलग समय पर मैंने अपने सनातनी होने का प्रमाण दिया और ईश्वर के प्रति समर्पित रहने के साथ जब तक ध्यान पर भी पूरा विश्वास रखा. जिसकी वजह से मुझे यह जिम्मेदारी मिली है. मैं एक गृहस्थ संत के रूप में जिम्मेदारी को निभा रहा हूं, मैंने अपना घर तो त्याग दिया है, लेकिन पारिवारिक जिम्मेदारियां भी मेरे ऊपर है जिनका निर्वहन मैं करूंगा.