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उन्नाव: अब मिट्टी के कारीगरों को नहीं उठानी होगी मिट्टी की समस्या

उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में कुम्हारों के लिए नि:शुल्क पट्टा देने के लिए सरकार ने निर्णय लिया है. सरकार ने ऐसा इसलिए किया है जिससे कि पॉलीथिन और थर्माकोल के प्रयोग से पर्यावरण प्रदूषित होने से बच सकें और इनका प्रयोग कम से कम किया जाए.

मिटटी के बर्तन
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Published : Aug 22, 2019, 11:42 PM IST


उन्नाव: पॉलीथिन और थर्माकोल पर प्रतिबंध के बाद पर्यावरण संरक्षण के लिए फिक्र मंद सरकार को चार दशक के बाद कुम्हारों के लिए सुध आई है. उन्हें अब मिट्टी निकालने के लिए ग्राम पंचायतों में निशुल्क में पट्टा दिया जाएगा. चकबंदी आयुक्त ने इसके लिए डीएम को निर्देशित दे दिया है. सरकार पहला पट्टा 10 साल के लिए देगी, उसके बाद पट्टा धारक का व्यवहार ठीक पाया जाता है तो उसे 5 साल के लिए और बढ़ा दिया जाएगा.

कुम्हारों को दिए जाएंगे नि:शुल्क पट्टा.

इसे भी पढ़ें:-उन्नाव: जिला प्रशासन ने मवेशियों के भरण पोषण के लिये शुरु की चंदा लेने की पहल

प्लास्टिक और थर्माकोल से बढ़ रहा पर्यावरण प्रदूषण-
तीज त्यौहार से लेकर सामान्य दिनों में काम आने वाले मिट्टी के बर्तन अब तकरीबन गायब हो रहे हैं. जिसका विपरीत असर पर्यावरण प्रदूषण और मानव जीवन पर भी पड़ रहा है. सरकारें पर्यावरण और प्रकृति के संरक्षण को लेकर गंभीर तो हैं लेकिन उठाए गए कदम न कामयाब साबित हो रहे हैं. खान-पान में अधिकतर प्रयोग की जा रही प्लास्टिक और थर्माकोल से बने दोने पत्तल पर्यावरण को घातक नुकसान पहुंचा रहे हैं.

सरकार उपलब्ध कराएगी कुम्हारों को नि:शुल्क पट्टा-
सरकार ने करीब चार दशक के बाद नि:शुल्क पट्टा देने का निर्णय लिया है. इस निर्णय के साथ को कुम्हारों के आर्थिक उन्नयन का रास्ता दिखाने के प्रयास शुरू हो चुकी हैं. माटीकला को बढ़ावा देने के लिए प्रशासन को निर्देश दिए गए हैं कि 23 दिसंबर 1993 को दिए गए शासनादेश का पालन कड़ाई से किया जाए. माटी कला से जुड़े कुम्हार जिले में करीब 500 हैं जिनके परिवार अनदेखी के इस दौर में भी हार नहीं माने हैं. बुजुर्गों से मिले पारंपरिक कार्य को छोड़ना नहीं चाहते हैं. वहीं सरकार के इस निर्णय से कुम्हारों के परिवारों में उम्मीद की किरण जगी है.वहीं ईटीवी से बात करते हुए माटी कला के कारीगरों ने बताया कि इससे हमलोगों को काफी उम्मीद जगी है. अब हम लोगों को माटी के लिए इधर-उधर भटकना नहीं पड़ेगा और सरकार के इस निर्णय से माटी कला के कारीगरों ने प्रशंसा भी की.


शासन से जिलाधिकारी को मिले निर्देश-
ईटीवी भारत से खास बातचीत में अपर जिला अधिकारी राकेश कुमार सिंह ने बताया कि शासन से हमलोगों को निर्देश मिले हैं कि सर्वे कराकर जो कुम्हार मिट्टी से बर्तन बनाते हैं, उन्हें कुम्हार कला के अंतर्गत इस योजना के तहत पट्टा दिया जाए. उन्होंने बताया कि मातहतों को आदेश दे दिया गया है कि वह जल्द से जल्द सर्वे करके रिपोर्ट दें, जिससे कि कुम्हारों को कुम्हार कला पट्टा का आवंटन किया जा सके.


उन्नाव: पॉलीथिन और थर्माकोल पर प्रतिबंध के बाद पर्यावरण संरक्षण के लिए फिक्र मंद सरकार को चार दशक के बाद कुम्हारों के लिए सुध आई है. उन्हें अब मिट्टी निकालने के लिए ग्राम पंचायतों में निशुल्क में पट्टा दिया जाएगा. चकबंदी आयुक्त ने इसके लिए डीएम को निर्देशित दे दिया है. सरकार पहला पट्टा 10 साल के लिए देगी, उसके बाद पट्टा धारक का व्यवहार ठीक पाया जाता है तो उसे 5 साल के लिए और बढ़ा दिया जाएगा.

कुम्हारों को दिए जाएंगे नि:शुल्क पट्टा.

इसे भी पढ़ें:-उन्नाव: जिला प्रशासन ने मवेशियों के भरण पोषण के लिये शुरु की चंदा लेने की पहल

प्लास्टिक और थर्माकोल से बढ़ रहा पर्यावरण प्रदूषण-
तीज त्यौहार से लेकर सामान्य दिनों में काम आने वाले मिट्टी के बर्तन अब तकरीबन गायब हो रहे हैं. जिसका विपरीत असर पर्यावरण प्रदूषण और मानव जीवन पर भी पड़ रहा है. सरकारें पर्यावरण और प्रकृति के संरक्षण को लेकर गंभीर तो हैं लेकिन उठाए गए कदम न कामयाब साबित हो रहे हैं. खान-पान में अधिकतर प्रयोग की जा रही प्लास्टिक और थर्माकोल से बने दोने पत्तल पर्यावरण को घातक नुकसान पहुंचा रहे हैं.

सरकार उपलब्ध कराएगी कुम्हारों को नि:शुल्क पट्टा-
सरकार ने करीब चार दशक के बाद नि:शुल्क पट्टा देने का निर्णय लिया है. इस निर्णय के साथ को कुम्हारों के आर्थिक उन्नयन का रास्ता दिखाने के प्रयास शुरू हो चुकी हैं. माटीकला को बढ़ावा देने के लिए प्रशासन को निर्देश दिए गए हैं कि 23 दिसंबर 1993 को दिए गए शासनादेश का पालन कड़ाई से किया जाए. माटी कला से जुड़े कुम्हार जिले में करीब 500 हैं जिनके परिवार अनदेखी के इस दौर में भी हार नहीं माने हैं. बुजुर्गों से मिले पारंपरिक कार्य को छोड़ना नहीं चाहते हैं. वहीं सरकार के इस निर्णय से कुम्हारों के परिवारों में उम्मीद की किरण जगी है.वहीं ईटीवी से बात करते हुए माटी कला के कारीगरों ने बताया कि इससे हमलोगों को काफी उम्मीद जगी है. अब हम लोगों को माटी के लिए इधर-उधर भटकना नहीं पड़ेगा और सरकार के इस निर्णय से माटी कला के कारीगरों ने प्रशंसा भी की.


शासन से जिलाधिकारी को मिले निर्देश-
ईटीवी भारत से खास बातचीत में अपर जिला अधिकारी राकेश कुमार सिंह ने बताया कि शासन से हमलोगों को निर्देश मिले हैं कि सर्वे कराकर जो कुम्हार मिट्टी से बर्तन बनाते हैं, उन्हें कुम्हार कला के अंतर्गत इस योजना के तहत पट्टा दिया जाए. उन्होंने बताया कि मातहतों को आदेश दे दिया गया है कि वह जल्द से जल्द सर्वे करके रिपोर्ट दें, जिससे कि कुम्हारों को कुम्हार कला पट्टा का आवंटन किया जा सके.

Intro:स्पेशल स्टोरी।

पॉलीथिन और थर्माकोल पर प्रतिबंध के बाद पर्यावरण संरक्षण के लिए फिक्र मंद सरकार को 4 दशक के बाद कुंभ कारों की सुध आई है अब उनको मिट्टी निकालने के लिए ग्राम पंचायतों में निशुल्क पट्टा दिया जाएगा चकबंदी आयुक्त ने इसके लिए डीएम को निर्देशित किया है। सरकार पहला पट्टा 10 साल के लिए देगी उसके बाद पट्टा धारक का व्यवहार ठीक पाया जाता है तो उसे 5 साल के लिए और बढ़ा दिया जाएगा।


Body:तीज त्यौहार से लेकर सामान्य दिनों में काम आने वाले मिट्टी के बर्तन अब तकरीबन गायब हो रहे हैं जिसका विपरीत असर पर्यावरण प्रदूषण और मानव जीवन पर भी पड़ रहा है सरकारें पर्यावरण और प्रकृति के संरक्षण को लेकर गंभीर तो हैं लेकिन उठाए गए कदम नाकाफी साबित हो रहे हैं खान-पान में अधिकतर प्रयोग की जा रही प्लास्टिक और थर्माकोल से बने दोने पत्तल पर्यावरण को घातक नुकसान पहुंचा रहे हैं देर से जागी सरकार ने इस बाबत करीब चार दशक के बाद निशुल्क पट्टा देने का निर्णय लिया है। इस निर्णय के साथ कुंभकारों को आर्थिक उन्नयन का रास्ता दिखाने के प्रयास शुरू हो चुके हैं माटीकला को बढ़ावा देने के लिए प्रशासन को निर्देश दिए गए हैं कि इस बाबत 23 दिसंबर 1993 के शासनादेश का पालन कड़ाई से किया जाए माटी कला से जुड़े कुंभकार समाज की संख्या जिले में करीब 500 हैं जिनके परिवार अनदेखी के इस दौर में भी हार नहीं माने हैं वह अपने बुजुर्गों से मिले पारंपरिक कार्य को छोड़ना नहीं चाहते हैं सरकार के इस निर्णय से इन कुंभकार परिवारों में उम्मीद की किरण जगी है।
वहीं ईटीवी से बात करते हुए माटी कला के कारीगरों ने बताना कि इससे हम लोगों को काफी उम्मीद जगी है अब हम लोगों को माटी के लिए इधर-उधर भटकना नहीं पड़ेगा सरकार के इस निर्णय को माटी कला के कारीगरों ने सराहा।


बाइट:--माटी कला के कारीगर


Conclusion:वहीं ईटीवी से खास बातचीत में उन्नाव के अपर जिला अधिकारी राकेश कुमार सिंह ने बताया कि शासन से हम लोगों को निर्देश मिले हैं कि सर्वे कराकर जो कुम्हार मिट्टी से बर्तन बनाते हैं उनको कुम्हार कला के अंतर्गत इस योजना के तहत पट्टा दिया जाएगा उन्होंने बताया कि उन्होंने अपने मातहतों को आदेश दिया है कि वह सर्वे कर रिपोर्ट दें जिसके बाद कुम्हारों को कुम्हार कला का पट्टा उनको आवंटित किया जाएगा।

बाइट:--राकेश कुमार सिंह अपर जिलाधिकारी उन्नाव।
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