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सोनभद्र: उम्भा के ग्रामीणों ने सुनाई पीड़ा, गांव में हुए कर्फ्यू जैसे हालात

उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में हुए खूनी संघर्ष के बाद पूरे गांव में तनाव जैसा माहौल बन गया है. यहां के ग्रामीणों का कहना है कि वह काफी परेशान हैं. न तो वह किसी से मिल पा रहे हैं और न ही उन्हें किसी से मिलने दिया जा रहा है.

पीड़ितों ने सुनाई पीड़ा.
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Published : Jul 20, 2019, 3:08 PM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:13 PM IST

सोनभद्र: जिले के घोरावल थाना क्षेत्र के उम्भा गांव में खूनी संघर्ष के बाद यहां के ग्रामीण काफी दहशत में हैं. पुलिस प्रशासन की ओर से किसी को भी पीड़ितों से मिलने के लिए जाने से मना कर दिया गया है. पीड़ितों के रिश्तेदारों से लेकर नेताओं तक को गांव में जाने से प्रतिबंधित कर दिया गया है. पूरे गांव में कर्फ्यू जैसा माहौल है, जिसको लेकर गांव में काफी तनाव का माहौल है.

पीड़ितों ने सुनाई पीड़ा.
उम्भा गांव के लोगों का कहना है कि गांव में इस तरह के हालात होने की वजह से वह न तो कहीं जा पा रहे हैं और न ही किसी को उनसे मिलने दिया जा रहा है. ग्रामीणों को जब प्रियंका गांधी के आने की सूचना मिली तो ग्रामीण काफी उत्साहित थे कि कोई तो उनका दर्द सुनने के लिए आ रहा है, लेकिन जब प्रियंका गांधी को मिर्जापुर में रोक लिया गया तो ग्रामीणों काफी उदास हो गए.

ग्रामीणों का कहना है कि उनके प्रतिनिधि तक उनसे मिलने के लिए नहीं पहुंचे, लेकिन अगर कोई मिलने के लिए आ रहा है तो उसे भी रोक दिया जा रहा है.

सोनभद्र: जिले के घोरावल थाना क्षेत्र के उम्भा गांव में खूनी संघर्ष के बाद यहां के ग्रामीण काफी दहशत में हैं. पुलिस प्रशासन की ओर से किसी को भी पीड़ितों से मिलने के लिए जाने से मना कर दिया गया है. पीड़ितों के रिश्तेदारों से लेकर नेताओं तक को गांव में जाने से प्रतिबंधित कर दिया गया है. पूरे गांव में कर्फ्यू जैसा माहौल है, जिसको लेकर गांव में काफी तनाव का माहौल है.

पीड़ितों ने सुनाई पीड़ा.
उम्भा गांव के लोगों का कहना है कि गांव में इस तरह के हालात होने की वजह से वह न तो कहीं जा पा रहे हैं और न ही किसी को उनसे मिलने दिया जा रहा है. ग्रामीणों को जब प्रियंका गांधी के आने की सूचना मिली तो ग्रामीण काफी उत्साहित थे कि कोई तो उनका दर्द सुनने के लिए आ रहा है, लेकिन जब प्रियंका गांधी को मिर्जापुर में रोक लिया गया तो ग्रामीणों काफी उदास हो गए.

ग्रामीणों का कहना है कि उनके प्रतिनिधि तक उनसे मिलने के लिए नहीं पहुंचे, लेकिन अगर कोई मिलने के लिए आ रहा है तो उसे भी रोक दिया जा रहा है.

Intro:सोनभद्र। यह वीडियो उस खौफनाक मंजर का है जिसमे चंद घंटों के अंदर गोलियों की तड़तड़ाहट के बाद लाशों के ढेर लग गये। जो लोग जिंदा बचे थे उनके समझ मे नही आ रहा था क्या करे।
मामला 17 जुलाई का है,घोरावल कोतवाली इलाके के उम्भा गांव का,जहाँ जमीन विवाद को लेकर चली गोलियों के बाद 10 लोगो की मौत हो गयी और 25 लोग घायल हो गए। गोली चलने के बाद परिजन शवो और घायलो के पास बिलखते-चीखते रहे है लेकिन घण्टो तक कोई प्रशासनिक सुविधा नहीँ पहुची।
सोनभद्र में 17 जुलाई को घोरावल कोतवाली इलाक़े के उम्भा गांव में भयानक गोलीकाण्ड की घटना होते ही सूबे की सरकार जागी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को जांच के आदेश दिए,शुक्रवार को जांच रिपोर्ट मिली है।
जिसके अनुसार 1955 में तत्कालीन तहसीलदार रॉबर्ट्सगंज द्वारा आदर्श कोऑपरेटिव सोसायटी के नाम जमीन कूटरचित ढंग से की गई थी, जो 1989 में एक प्रशानिक अधिकारी के नाम किया गया।जब प्रशासनिक अधिकारी जमीन पर कब्जा करने में असमर्थ रहे ,तो
उन्होंने 2017 मे यह भूमि मूर्तिया के ग्राम प्रधान यज्ञदत्त गुर्जर के नाम कर दिया।इस जमीन पर कई पुस्तो से वनवासी लोगों का कब्जा है।
अब मौत के तांडव के बाद सियासत तेज हो गयी है एक तरफ कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंकागांधी अनशन पर बैठी है तो वही दूसरी तरफ सपा।

Body:Vo1-वही आगे रिपोर्ट के अनुसार घटना के तह में जाएंगे तो पता चलता है कि कांग्रेस की सरकार ने आदर्श सोसायटी के नाम पर गावँ के लोगों की भूमि को हड़पने का काम किया गया था।फिर एक प्रशानिक अधिकारी के नाम किया गया। फिर ग्राम प्रधान का सहारा लेकर इसे बेचने का काम किया गया। यह पूरी तरह अवैधानिक है।1955 में कांग्रेस की सरकार थी। 1989 में भी काँग्रेस की सरकार थी। 2017 में उन लोगों ने यह भूमि बेचने का काम किया था।

अप्रैल 2019 में उपजिलाधिकारी को निलंबित करने का काम किया गया। उपनिरीक्षक को निलंबित किया गया। इसके साथ ही 1955, 1989 में ग्रामीण की जमीन को सोसायटी के नाम करना और फिर व्यक्ति के नाम करना। यह गंभीर है।
इस पूरे मामले में अपर मुख्य सचिव राजस्व की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी जांच के लिए गाठित की गया।जो 10 दिनों के अंदर अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपेगी।मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी को भी छोड़ा नहीं जाएगा। वह चाहे Conclusion:Vo2- वहीं इस पूरे घटनाक्रम के बाद ग्रामीण दहशत में है ,पुलिस प्रशासन द्वारा लगातार पीड़ितों के परिजनों को उनके रिश्तेदारों को नेताओं को गांव में जाने से प्रतिबंधित कर दिया है गांव में कर्फ्यू जैसा माहौल है। जिसको लेकर गांव में काफी परेशान है ।और वह कहीं आ जा नहीं पा रहे हैं ।जब ग्रामीणों को प्रियंका गांधी के आने की सूचना मिली तो ग्रामीण काफी उत्साहित थे कि 1980 में घोरावल के घुआस में इंदिरा गांधी आई थी और उसके बाद अब उनकी नातिन आ रही है लेकिन जब ग्रामीणों को यह जानकारी हुआ कि जिला प्रशासन द्वारा उनको रोक दिया गया है तो पीड़ितों में काफी मायूसी देखने को मिली।

Byte-ग्रामीण


चन्द्रकान्त मिश्रा
सोनभद्र
मो0 9450323031
Last Updated : Sep 17, 2020, 4:13 PM IST
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