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सोनभद्र में आज भी मौजूद है वीर लोरिक-मंजरी के प्रेम की निशानी, पढ़ें पूरी कहानी - fort of agor

यूपी के सोनभद्र जिले में वीर लोरिक के नाम से पत्थर की शिला मौजूद है. मान्यता है कि वीर लोरिक ने अपनी तलवार से इस पत्थर की शिला को दो भागों में काट दिया था. बताया जाता है कि यह पत्थर वीर 'लोरिक' और मंजरी के अटूट प्रेम की निशानी को बयां करता है.

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सोनभद्र में मौजूद वीर लोरिक पत्थर.
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Published : Jun 26, 2020, 2:34 PM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:13 PM IST

सोनभद्रः जिला मुख्यालय राबर्ट्सगंज से 6 किलोमीटर दूर वाराणसी शक्तिनगर राजमार्ग पर मारकुंडी घाटी स्थित है, जहां एक विशालकाय पत्थर मौजूद है. बताया जाता है कि यह पत्थर वर्षों से वीर 'लोरिक' की यादों को ताजा कर रहा है.

सोनभद्र में मौजूद वीर लोरिक पत्थर.

मारकुंडी घाटी में स्थित दो भागों में बंटा हुआ यह पत्थर वीर 'लोरिक' और मंजरी के अटूट प्रेम की निशानी को बयां करता है. कहा जाता है कि लोरिक ने अपनी तलवार से शिला को तीन टुकड़ों में बांट दिया था. जिसका एक टुकड़ा बाद में गिर गया और दो टुकड़े आज भी उसी स्वरूप में खड़े हैं. मान्यता है कि वीर लोरिक ने अपनी पत्नी मंजरी के कहने पर तलवार से विशालकाय पत्थर को काट दिया था.


मंजरी के कहने पर 'लोरिक' तलवार से काट दिया पत्थर
वीर लोरिक यूपी के बलिया जिले के गौरा गांव का रहने वाला था, उसने अगोर के राजा मोलागत को हराकर मंजरी से विवाह किया था. प्रचलित लोकगाथा 'लोरिकी' के अनुसार, वीर लोरिक का जन्म पांचवीं शताब्दी में हुआ था. हालांकि, कुछ लोग वीर लोरिक का जन्म जन्म 12वीं सदी में मानते हैं. जब वीर 'लोरिक' मंजरी से विवाह करके अपने घर बलिया जा रहे थे, उसी दौरान विश्राम करने के लिए उनकी डोली मारकुंडी घाटी पर रुकी थी. कहा जाता है कि मंजरी ने अपने प्रेम की निशानी को बनाए रखने के लिए 'लोरिक' से पत्थर काटने के लिए कहा था. इस दौरान मंजरी के कहने पर उन्होंने एक विशाल पत्थर को अपनी तलवार से दो भागों में काट दिया. तभी से यह पत्थर वीर लोरिक के नाम से जाना जाता है.


लोगों के आस्था की प्रतीक है लोरिक शिला
इस पत्थर से लोगों की बहुत सी धार्मिक आस्थाएं जुड़ीं हैं. यहां पर पूर्वांचल के कई जिलों से सैकड़ों लोग घूमने व दर्शन करने जाते हैं. लोगों की धार्मिक आस्था जुड़ी होने के कारण यहां पर गोवर्धन पूजा के समय विशाल भंडारे का आयोजन किया जाता है. लोगों की ऐसी भी मान्यता है कि यहां आने पर प्रेमी युगल की मान्यताएं भी पूरी होती हैं.


अगोरी का राजा मोलागत करना चाहता था मंजरी से शादी
प्रचलित लोकगाथा 'लोरिकी' में के अनुसार, वीर लोरिक ने अगोरी के राजा को हराकर मंजरी से शादी की थी. अगोरी के राजा मोलागत की मंजरी पर नजर थी, वह मंजरी से शादी करना चाहता था. लेकिन मंजरी के पिता ने वीर लोरिक से मंजरी की शादी तय कर दी. जिसके बाद लोरिक मंजरी से ब्याह करने के लिए अगोरी पहुंचा. राजा मोलागत को इसकी जानकारी होने पर उसने लोरिक को रोकने की तमाम कोशिश की, लेकिन लोरिक के पराक्रम के सामने मोलागत टिक न सका और वीर लोरिक ने मंजरी से शादी कर ली.

सोनभद्रः जिला मुख्यालय राबर्ट्सगंज से 6 किलोमीटर दूर वाराणसी शक्तिनगर राजमार्ग पर मारकुंडी घाटी स्थित है, जहां एक विशालकाय पत्थर मौजूद है. बताया जाता है कि यह पत्थर वर्षों से वीर 'लोरिक' की यादों को ताजा कर रहा है.

सोनभद्र में मौजूद वीर लोरिक पत्थर.

मारकुंडी घाटी में स्थित दो भागों में बंटा हुआ यह पत्थर वीर 'लोरिक' और मंजरी के अटूट प्रेम की निशानी को बयां करता है. कहा जाता है कि लोरिक ने अपनी तलवार से शिला को तीन टुकड़ों में बांट दिया था. जिसका एक टुकड़ा बाद में गिर गया और दो टुकड़े आज भी उसी स्वरूप में खड़े हैं. मान्यता है कि वीर लोरिक ने अपनी पत्नी मंजरी के कहने पर तलवार से विशालकाय पत्थर को काट दिया था.


मंजरी के कहने पर 'लोरिक' तलवार से काट दिया पत्थर
वीर लोरिक यूपी के बलिया जिले के गौरा गांव का रहने वाला था, उसने अगोर के राजा मोलागत को हराकर मंजरी से विवाह किया था. प्रचलित लोकगाथा 'लोरिकी' के अनुसार, वीर लोरिक का जन्म पांचवीं शताब्दी में हुआ था. हालांकि, कुछ लोग वीर लोरिक का जन्म जन्म 12वीं सदी में मानते हैं. जब वीर 'लोरिक' मंजरी से विवाह करके अपने घर बलिया जा रहे थे, उसी दौरान विश्राम करने के लिए उनकी डोली मारकुंडी घाटी पर रुकी थी. कहा जाता है कि मंजरी ने अपने प्रेम की निशानी को बनाए रखने के लिए 'लोरिक' से पत्थर काटने के लिए कहा था. इस दौरान मंजरी के कहने पर उन्होंने एक विशाल पत्थर को अपनी तलवार से दो भागों में काट दिया. तभी से यह पत्थर वीर लोरिक के नाम से जाना जाता है.


लोगों के आस्था की प्रतीक है लोरिक शिला
इस पत्थर से लोगों की बहुत सी धार्मिक आस्थाएं जुड़ीं हैं. यहां पर पूर्वांचल के कई जिलों से सैकड़ों लोग घूमने व दर्शन करने जाते हैं. लोगों की धार्मिक आस्था जुड़ी होने के कारण यहां पर गोवर्धन पूजा के समय विशाल भंडारे का आयोजन किया जाता है. लोगों की ऐसी भी मान्यता है कि यहां आने पर प्रेमी युगल की मान्यताएं भी पूरी होती हैं.


अगोरी का राजा मोलागत करना चाहता था मंजरी से शादी
प्रचलित लोकगाथा 'लोरिकी' में के अनुसार, वीर लोरिक ने अगोरी के राजा को हराकर मंजरी से शादी की थी. अगोरी के राजा मोलागत की मंजरी पर नजर थी, वह मंजरी से शादी करना चाहता था. लेकिन मंजरी के पिता ने वीर लोरिक से मंजरी की शादी तय कर दी. जिसके बाद लोरिक मंजरी से ब्याह करने के लिए अगोरी पहुंचा. राजा मोलागत को इसकी जानकारी होने पर उसने लोरिक को रोकने की तमाम कोशिश की, लेकिन लोरिक के पराक्रम के सामने मोलागत टिक न सका और वीर लोरिक ने मंजरी से शादी कर ली.

Last Updated : Sep 17, 2020, 4:13 PM IST
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