संत कबीर नगर: पूरे विश्व को मानवता का पाठ पढ़ाने वाले संत कबीर दास की परिनिर्वाण स्थली मगहर में एक साथ स्थित उनकी समाधि और मजार आज भी हिंदू मुस्लिम एकता की पहचान बनी हुई है. संतकबीर के नाम से बने जिला मुख्यालय से 8 किलोमीटर पूर्व दिशा में दशामा घर कस्बा आज किसी परिचय का मोहताज नहीं है.
क्योंकि इस छोटे कस्बे में पूरे विश्व को अमन-शांति और भाईचारे का संदेश कबीर के नाम पर जाता है. सूफी संत कबीर की परिनिर्वाण स्थली मगहर में एक साथ स्थित उनकी मजार और समाधि स्थल कौमी एकता की एक मिसाल आज भी बनी हुई है.
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कौमी एकता की मिशाल है समाधि और मजार
आज जहां धर्म के नाम पर जगह-जगह हिंसा की खबर सुनने को मिलती है, वहीं मगहर में स्थित कभी निर्माण स्थली में एक साथ स्थापित कबीर दास की समाधि और मजार स्थल पूरे विश्व को कौमी एकता का संदेश देता नजर आता है. कबीर अनुयायियों के अलावा पूरे विश्व से पर्यटक मगहर आते हैं. इस दौरान पर्यटकों में कबीर के जीवन से जुड़ी बातों और रहस्यों को जानने और देखने का उत्साह रहता है.
कबीरपंथी उनके अनुयायियों और कबीर मठ के पुजारी ने जानकारी दी
वर्ष 1398 में बनारस के लहरतारा ताल से 1 जुलाहे दंपति को कबीरदास इस मिथक को तोड़ने के लिए मगहर आए थे. यह मान्यता थी कि काशी में मरने वाले को स्वर्ग, मगहर में मरने वालों को नरक मिलता है. कबीर के अनुयायियों के मुताबिक उन्होंने इस मिथक को तोड़ने के लिए बनारस से संतकबीरनगर के मगहर कस्बे में आए और यहीं से लोगों को कौमी एकता का संदेश दिया.
हिंदू समाज ने उनकी समाधि बनाई और मुस्लिम समाज ने मजार का निर्माण कराया
जब संत कबीर ने अपने प्राण का त्याग किया तब उनके शव के अंतिम संस्कार को लेकर हिंदू और मुस्लिम के बीच तकरार हुआ था. जिसके बाद हुई आकाशवाणी के अनुसार संत कबीर का पार्थिव शरीर अचानक दो फूलों में तब्दील हो गया. एक फूल लेकर हिंदू समाज ने उनकी समाधि बनाई तो दूसरा फूल लेकर मुस्लिम समाज ने मजार का निर्माण कराया.
आज पूरे विश्व के पर्यटक के साथ पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम, पूर्व राज्यपाल उत्तर प्रदेश मोतीलाल बोरा, पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के सीएम योगी उनको मत्था टेकने कबीर की परिनिर्वाण स्थली मगहर में आ चुके हैं.