प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गोवध निरोधक कानून के तहत जब्त ट्रक को जरूरी होने पर प्राधिकारी के समक्ष पेश करने की शर्त पर रिलीज करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने जब्त वाहन छोड़ने से इनकार करने के एडीएम वित्त एवं राजस्व मथुरा के आदेश को रद्द कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि वाहन रिलीज करने से पहले याची साढ़े सात लाख की प्रतिभूति (सिक्योरिटी) जमा करेगा. यह आदेश न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान ने कोसीकलां थाने में दर्ज आपराधिक मामले में अभियुक्त ट्रक मालिक कारी की आपराधिक पुनरीक्षण याचिका को मंजूर करते हुए दिया है.
याचिका पर अधिवक्ता प्रतीक शुक्ल,आरपी शुक्ल व सत्यम मिश्र ने बहस की. सरकारी वकील की आपत्ति थी कि जब्त वाहन रिलीज करने से इनकार के एडीएम के आदेश के खिलाफ कमिश्नर को पुनरीक्षण अर्जी सुनने का अधिकार है. इसलिए याचिका पोषणीय नहीं है. याची के अधिवक्ता का तर्क था कि जब्त वाहन से अवैध ट्रांसपोर्टेशन नहीं हो रहा था, झूठा फंसाया गया है. आपराधिक मामले में पुलिस की चार्जशीट पर कोर्ट ने संज्ञान ले लिया है. ट्रायल शीघ्र पूरा होने की संभावना नहीं है. याची जमानत पर हैं. वाहन पब्लिक कैरियर है और याची व उसके परिवार के जीविकोपार्जन का श्रोत है. साथ ही वह संपत्ति भी है, जिसे अनिश्चितकाल के लिए जब्त नहीं रखा जा सकता. इससे याची के संवैधानिक अधिकारों का हनन किया जा रहा है.
याची के अधिवक्ता का यह भी कहना था कि वह प्रतिभूति देने व पूरा सहयोग करने को तैयार हैं. थाने में खड़ा वाहन बेकार हो सकता है. यदि सड़क पर चलेगा तो न केवल मालिक को फायदा होगा बल्कि राज्य को भी राजस्व का फायदा होगा. याची ने 30 लाख का लोन लिया है. वाहन जब्त होने के कारण किश्त जमा नहीं हो पा रही है।ट्रक की अब तक नीलामी नहीं की गई है. कोर्ट ने कहा कि याची की जीविका के मूल अधिकारों व प्रतिभूति देने की सहमति, केस का ट्रायल पूरा होने में देरी को देखते हुए जब्त वाहन रिलीज किया जाए.