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रायबरेली: सरकारी दावों पर उठे सवाल, प्रवासी श्रमिकों को नहीं मिल रहा रोजगार

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Published : Jul 2, 2020, 1:29 PM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:19 PM IST

उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले में आए प्रवासी मजदूरों को अभी काम नहीं मिल पा रहा है. एक तरफ जहां प्रदेश सरकार के आलाधिकारी प्रवासी मजदूरों को काम दिलाने का दावा कर रहे हैं, तो वहीं प्रवासी मजदूरों का कहना है कि अभी तक उनका हाल जानने कोई नहीं आया.

प्रवासी मजदूरों ने की रोजगार की मांग.
प्रवासी मजदूरों ने की रोजगार की मांग.

रायबरेली: सरकार की ओर से स्किल मैपिंग के जरिए सभी प्रवासी श्रमिकों को रोजगार देने के दावे किए जा रहे हैं. इसके बावजूद श्रमिक रोजगार के लिए तरस रहे हैं. आर्थिक तंगहाली से परेशान मजदूर अब किसी अन्य क्षेत्र में भी श्रम करने से पीछे नहीं हट रहे हैं. हालांकि सरकारी महकमे जिले में स्केल मैपिंग के प्रक्रिया की शुरुआत करने का दावे कर रहे हैं, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही तस्वीर बयान करती है.

प्रवासी मजदूरों ने की रोजगार की मांग.

पंजाब के लुधियाना में शॉल की फैक्ट्री में काम करने वाले माता प्रसाद ने बताया कि उनका पॉवरलूम पर काम करने का करीब 18 वर्ष से ज्यादा का अनुभव है, लेकिन जब से घर आएं हैं, तब से कोई काम नहीं मिला है. वहीं स्किल मैपिंग के बारे में पूछने पर उन्होंने बताया कि गांव में इस विषय पर किसी को कोई जानकारी नहीं है. हमारे पास अभी तक कोई जानकारी लेने भी नहीं आया. हालांकि उनका मानना है कि सरकार की पहल से बदलाव हो सकता है, लेकिन फिलहाल यहां कुछ होता नहीं दिख रहा.

वहीं दिल्ली में मोबाइल टावर की कंपनी में काम करने वाले बबलू यादव का कहना है कि लॉकडाउन के दौरान बड़ी मुश्किल से दिन कटे हैं. घरों में खाने का राशन तक नहीं था. सहायता सामग्री भी गांव में पहुंचने से पहले ही खत्म हो जाती थी. हालात अभी भी कुछ बदले नहीं है. बबलू ने कहा कि अपने लायक काम-काज मिलता नहीं दिख रहा है और मदद के लिए भी शासन-प्रशासन से कोई नहीं आ रहा.

वहीं पूरे मामले पर रायबरेली के जिला सेवा योजन कार्यालय के प्रभारी संतलाल का कहना है कि शासन की मंशा के अनुसार जिले में आए सभी प्रवासी श्रमिकों को रोजगार के समुचित अवसर उपलब्ध कराए जाएंगे. इसी दिशा में कदम बढ़ाते हुए विभाग जल्द ही जनपद में ऑनलाइन रोजगार मेले का भी आयोजन करेगा.

रायबरेली: सरकार की ओर से स्किल मैपिंग के जरिए सभी प्रवासी श्रमिकों को रोजगार देने के दावे किए जा रहे हैं. इसके बावजूद श्रमिक रोजगार के लिए तरस रहे हैं. आर्थिक तंगहाली से परेशान मजदूर अब किसी अन्य क्षेत्र में भी श्रम करने से पीछे नहीं हट रहे हैं. हालांकि सरकारी महकमे जिले में स्केल मैपिंग के प्रक्रिया की शुरुआत करने का दावे कर रहे हैं, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही तस्वीर बयान करती है.

प्रवासी मजदूरों ने की रोजगार की मांग.

पंजाब के लुधियाना में शॉल की फैक्ट्री में काम करने वाले माता प्रसाद ने बताया कि उनका पॉवरलूम पर काम करने का करीब 18 वर्ष से ज्यादा का अनुभव है, लेकिन जब से घर आएं हैं, तब से कोई काम नहीं मिला है. वहीं स्किल मैपिंग के बारे में पूछने पर उन्होंने बताया कि गांव में इस विषय पर किसी को कोई जानकारी नहीं है. हमारे पास अभी तक कोई जानकारी लेने भी नहीं आया. हालांकि उनका मानना है कि सरकार की पहल से बदलाव हो सकता है, लेकिन फिलहाल यहां कुछ होता नहीं दिख रहा.

वहीं दिल्ली में मोबाइल टावर की कंपनी में काम करने वाले बबलू यादव का कहना है कि लॉकडाउन के दौरान बड़ी मुश्किल से दिन कटे हैं. घरों में खाने का राशन तक नहीं था. सहायता सामग्री भी गांव में पहुंचने से पहले ही खत्म हो जाती थी. हालात अभी भी कुछ बदले नहीं है. बबलू ने कहा कि अपने लायक काम-काज मिलता नहीं दिख रहा है और मदद के लिए भी शासन-प्रशासन से कोई नहीं आ रहा.

वहीं पूरे मामले पर रायबरेली के जिला सेवा योजन कार्यालय के प्रभारी संतलाल का कहना है कि शासन की मंशा के अनुसार जिले में आए सभी प्रवासी श्रमिकों को रोजगार के समुचित अवसर उपलब्ध कराए जाएंगे. इसी दिशा में कदम बढ़ाते हुए विभाग जल्द ही जनपद में ऑनलाइन रोजगार मेले का भी आयोजन करेगा.

Last Updated : Sep 17, 2020, 4:19 PM IST
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