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प्रयागराज डीएम भानुचंद्र गोस्वामी पर लगा 5 हजार का हर्जाना

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने डीएम प्रयागराज भानुचंद्र गोस्वामी पर पांच हजार रुपये का हर्जाना लगाया है. यह आदेश न्यायमूर्ति केजे ठाकर ने सरोज कुमार मिश्रा की अवमानना याचिका पर दिया है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट.
इलाहाबाद हाईकोर्ट.
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Published : Oct 17, 2020, 1:45 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने डीएम प्रयागराज भानुचंद्र गोस्वामी पर पांच हजार रुपये का हर्जाना लगाया है. यह आदेश न्यायमूर्ति केजे ठाकर ने सरोज कुमार मिश्रा की अवमानना याचिका पर दिया है. याची सरोज कुमार ने इससे पहले भी अवमानना याचिका दाखिल कर हाईकोर्ट के आदेश का पालन न करने की शिकायत की थी. पहली बार में हाईकोर्ट ने डीएम को एक और मौका देते हुए याचिका निस्तारित कर दी.

आदेश का पालन नहीं हुआ तो उसने दोबारा याचिका दाखिल की. इस पर कोर्ट ने तीन अक्तूबर को डीएम को कारण बताओ नोटिस जारी किया कि क्यों न उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू की जाए. इस सख्त आदेश के बावजूद डीएम ने हाईकोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया.

पांच अक्तूबर को जब दोबारा याचिका की सुनवाई हुई तो डीएम की ओर से पक्ष रखने कोई वकील उपस्थित नहीं हुआ और न ही अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत की गई. इसे गंभीरता से लेते हुए कोर्ट ने डीएम को पांच हजार रुपये का जमानती वारंट जारी करते हुए 13 अक्तूबर को तलब कर लिया. हालांकि सरकारी वकील के अनुरोध पर कोर्ट ने वारंट पर तो रोक लगा दी, मगर इस शर्त के साथ कि डीएम अपने निजी बैंक खाते से पांच हजार रुपये भरेंगे. साथ ही यह भी हिदायत दी कि यदि आदेश के अनुपालन की रिपोर्ट नहीं दाखिल की जाती है तो डीएम को अगली तारीख पर व्यक्तिगत रूप से हाजिर होना पड़ेगा.

हाईकोर्ट की इस सख्ती के बाद डीएम ने हर्जाने की राशि जमा करने के साथ ही कोर्ट में अनुपालन रिपोर्ट पेश की. इसके बाद कोर्ट ने अवमानना याचिका निस्तारित कर दी.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने डीएम प्रयागराज भानुचंद्र गोस्वामी पर पांच हजार रुपये का हर्जाना लगाया है. यह आदेश न्यायमूर्ति केजे ठाकर ने सरोज कुमार मिश्रा की अवमानना याचिका पर दिया है. याची सरोज कुमार ने इससे पहले भी अवमानना याचिका दाखिल कर हाईकोर्ट के आदेश का पालन न करने की शिकायत की थी. पहली बार में हाईकोर्ट ने डीएम को एक और मौका देते हुए याचिका निस्तारित कर दी.

आदेश का पालन नहीं हुआ तो उसने दोबारा याचिका दाखिल की. इस पर कोर्ट ने तीन अक्तूबर को डीएम को कारण बताओ नोटिस जारी किया कि क्यों न उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू की जाए. इस सख्त आदेश के बावजूद डीएम ने हाईकोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया.

पांच अक्तूबर को जब दोबारा याचिका की सुनवाई हुई तो डीएम की ओर से पक्ष रखने कोई वकील उपस्थित नहीं हुआ और न ही अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत की गई. इसे गंभीरता से लेते हुए कोर्ट ने डीएम को पांच हजार रुपये का जमानती वारंट जारी करते हुए 13 अक्तूबर को तलब कर लिया. हालांकि सरकारी वकील के अनुरोध पर कोर्ट ने वारंट पर तो रोक लगा दी, मगर इस शर्त के साथ कि डीएम अपने निजी बैंक खाते से पांच हजार रुपये भरेंगे. साथ ही यह भी हिदायत दी कि यदि आदेश के अनुपालन की रिपोर्ट नहीं दाखिल की जाती है तो डीएम को अगली तारीख पर व्यक्तिगत रूप से हाजिर होना पड़ेगा.

हाईकोर्ट की इस सख्ती के बाद डीएम ने हर्जाने की राशि जमा करने के साथ ही कोर्ट में अनुपालन रिपोर्ट पेश की. इसके बाद कोर्ट ने अवमानना याचिका निस्तारित कर दी.

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