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अनोखी पहल: यहां भोले के दरबार में मिलता है 'ऑक्सीजन' का प्रसाद

प्रयागराज स्थित मनकामेश्वर मंदिर में भक्तों को पर्यावरण संरक्षण और धरा को हरा-भरा बनाए रखने के लिए खास तरीके से प्रोत्साहित किया जा रहा है. यहां, मंदिर में पूजा-अर्चना करने वाले भक्तों को प्रसाद स्वरूप पौधा भेंट किया जा रहा है. ये खास पहल पर्यावरण में ऑक्सीजन को संरक्षित करने के लिए की जा रही है.

मनकामेश्वर मंदिर में भक्तों प्रसाद में मिलता है पौधा.
मनकामेश्वर मंदिर में भक्तों प्रसाद में मिलता है पौधा.
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Published : Jul 15, 2021, 6:54 PM IST

प्रयागराज: दुनिया भर में पर्यावरण को शुद्ध (clean environment) बनाने व संरक्षित रखने के लिए तमाम प्रयास किए जा रहे हैं. तमाम सामाजिक संगठन, पर्यावरण प्रेमी धरा की सुंदरता को बढ़ाने और पर्यावरण संरक्षण के लिए पौधरोपण को बढ़ावा दे रहे हैं. लगातार लोगों को पौधे लगाने के लिए जागरूक भी किया जा रहा. इसी क्रम में प्रयागराज स्थित मनकामेश्वर मंदिर (Mankameshwar Temple) के प्रभारी ब्रह्मचारी श्रीधरानंद ने सराहनीय पहल की है. उन्होंने मंदिर में दर्शन-पूजन के लिए पहुंचने वाले भक्तों को प्रसाद स्वरूप पौधे वितरित कर रहे हैं.

यूं तो देव स्थलों में अनुष्ठान करने पर मिष्ठान और फल का प्रसाद मिलता है, लेकिन आज कल संगम नगरी में यमुना नदी किनारे स्थित प्राचीन मनकामेश्वर मंदिर में भक्तों को पर्यावरण संरक्षण की सीख दी जा रही है. यहां, रुद्राभिषेक, महाभिषेक करने वाले भक्तों को प्रसाद स्वरूप फल-फूल मिष्ठान न देकर पौधा भेंट किया जा रहा है. साथ ही भक्त को पौधे की सुरक्षा का भी संकल्प दिलाया जाता है. इस अनोखे पहल का उद्देश्य है पर्यावरण संरक्षण.

मनकामेश्वर मंदिर में भक्तों प्रसाद में मिलता है पौधा.

इसे भी पढ़ें-पर्यावरण बचाने के लिए गन्ना विभाग की पहल, किसानों की मुश्किल भी हुई आसान

दरअसल, कोरोना संक्रमण (corona infection) की दूसरी लहर में ऑक्सीजन के अभाव में हुई जनहानि को देखते हुए मनकामेश्वर मंदिर की ओर से पौधारोपण के प्रति प्रेरित करने की मुहिम शुरू की गई है. मनकामेश्वर मंदिर प्रयागराज का प्राचीन शिवालय है. मान्यता है कि त्रेतायुग में स्वयं प्रभु श्रीराम (Lord Ram) ने इस शिवलिंग को स्थापित किया था. देश भर से श्रद्धालु यहां माथा टेकने के साथ-साथ रुद्राभिषेक, महाभिषेक और दर्शन-पूजन करने पहुंचते हैं. खासकर, सावन मास (Sawan Month) में यहां हजारों की संख्या में भक्त पहुंचते हैं. मंदिर के प्रभारी ब्रह्मचारी श्री धरानंद यहां पहुंचने वाले भक्तों को प्रसाद स्वरूप पौधा भेंट कर उसकी रक्षा का संकल्प भी दिलाते हैं.

इसे भी पढ़ें-भारत के 35 प्रतिशत बाघ क्षेत्र संरक्षित एरिया से बाहर, बढ़ा मानव-वन्यजीव संघर्ष : रिपोर्ट


ब्रह्मचारी श्रीधरानंद कहते हैं कि कोरोना की दूसरी लहर में ऑक्सीजन के अभाव (lack of oxygen) में लाखों लोगों ने जान गवां दी. पर्यावरण में ऑक्सीजन (oxygen in the environment) पर्याप्त मात्रा नहीं मिल पाई. दिन-प्रतिदिन ऑक्सीजन की हो रही कमी को पर्यावरण से जोड़कर देखा जाना जाना चाहिए. वो मानते हैं कि पेड़ों का संरक्षण न होने से पर्यावरण में ऑक्सीजन की कमी आई है. इसलिए, उन्होंने पौध वितरण की पहल शुरू कर पर्यावरण संरक्षण की ओर एक कदम बढ़ाया है. भक्तों को अधिक ऑक्सीजन देने वाले पौधे पीपल और बरगद समेत अन्य पौधे भी वितरित किए जाते हैं.

प्रयागराज: दुनिया भर में पर्यावरण को शुद्ध (clean environment) बनाने व संरक्षित रखने के लिए तमाम प्रयास किए जा रहे हैं. तमाम सामाजिक संगठन, पर्यावरण प्रेमी धरा की सुंदरता को बढ़ाने और पर्यावरण संरक्षण के लिए पौधरोपण को बढ़ावा दे रहे हैं. लगातार लोगों को पौधे लगाने के लिए जागरूक भी किया जा रहा. इसी क्रम में प्रयागराज स्थित मनकामेश्वर मंदिर (Mankameshwar Temple) के प्रभारी ब्रह्मचारी श्रीधरानंद ने सराहनीय पहल की है. उन्होंने मंदिर में दर्शन-पूजन के लिए पहुंचने वाले भक्तों को प्रसाद स्वरूप पौधे वितरित कर रहे हैं.

यूं तो देव स्थलों में अनुष्ठान करने पर मिष्ठान और फल का प्रसाद मिलता है, लेकिन आज कल संगम नगरी में यमुना नदी किनारे स्थित प्राचीन मनकामेश्वर मंदिर में भक्तों को पर्यावरण संरक्षण की सीख दी जा रही है. यहां, रुद्राभिषेक, महाभिषेक करने वाले भक्तों को प्रसाद स्वरूप फल-फूल मिष्ठान न देकर पौधा भेंट किया जा रहा है. साथ ही भक्त को पौधे की सुरक्षा का भी संकल्प दिलाया जाता है. इस अनोखे पहल का उद्देश्य है पर्यावरण संरक्षण.

मनकामेश्वर मंदिर में भक्तों प्रसाद में मिलता है पौधा.

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दरअसल, कोरोना संक्रमण (corona infection) की दूसरी लहर में ऑक्सीजन के अभाव में हुई जनहानि को देखते हुए मनकामेश्वर मंदिर की ओर से पौधारोपण के प्रति प्रेरित करने की मुहिम शुरू की गई है. मनकामेश्वर मंदिर प्रयागराज का प्राचीन शिवालय है. मान्यता है कि त्रेतायुग में स्वयं प्रभु श्रीराम (Lord Ram) ने इस शिवलिंग को स्थापित किया था. देश भर से श्रद्धालु यहां माथा टेकने के साथ-साथ रुद्राभिषेक, महाभिषेक और दर्शन-पूजन करने पहुंचते हैं. खासकर, सावन मास (Sawan Month) में यहां हजारों की संख्या में भक्त पहुंचते हैं. मंदिर के प्रभारी ब्रह्मचारी श्री धरानंद यहां पहुंचने वाले भक्तों को प्रसाद स्वरूप पौधा भेंट कर उसकी रक्षा का संकल्प भी दिलाते हैं.

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ब्रह्मचारी श्रीधरानंद कहते हैं कि कोरोना की दूसरी लहर में ऑक्सीजन के अभाव (lack of oxygen) में लाखों लोगों ने जान गवां दी. पर्यावरण में ऑक्सीजन (oxygen in the environment) पर्याप्त मात्रा नहीं मिल पाई. दिन-प्रतिदिन ऑक्सीजन की हो रही कमी को पर्यावरण से जोड़कर देखा जाना जाना चाहिए. वो मानते हैं कि पेड़ों का संरक्षण न होने से पर्यावरण में ऑक्सीजन की कमी आई है. इसलिए, उन्होंने पौध वितरण की पहल शुरू कर पर्यावरण संरक्षण की ओर एक कदम बढ़ाया है. भक्तों को अधिक ऑक्सीजन देने वाले पौधे पीपल और बरगद समेत अन्य पौधे भी वितरित किए जाते हैं.

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