प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ दाखिल जनहित याचिका एक लाख हर्जाने के साथ खारिज कर दी है. कोर्ट ने कहा कि हर्जाना राशि 6 सप्ताह के भीतर विकलांग आश्रम, जवाहरलाल नेहरू रोड, प्रयागराज में याची जमा करे.
यह आदेश मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल तथा न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने गोरखपुर जिले से नामह नामक व्यक्ति की तरफ से दाखिल जनहित याचिका पर दिया है. याची ने स्वयं को दिल्ली निवासी बताया और कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कई नाम लिखे जाते हैं.
कहा गया था कि कई नामों के कारण प्रदेश के करोड़ों की जनता के बीच संशय बना रहता है कि मुख्यमंत्री का नाम क्या है. कहा गया था कि चुनाव में नामांकन के समय आदित्यनाथ पुत्र अवैद्यनाथ लिखा गया, जबकि चीफ सेक्रेटरी के ट्विटर हैंडल पर महंत योगी आदित्यनाथ जी महाराज लिखा है.
कहा गया कि कहीं अजय सिंह बिष्ट तो कहीं आदित्यनाथ योगी इस प्रकार कई नामों की वजह से जनता के बीच नामों को लेकर दुविधा की स्थिति बनी रहती है. मांग की गई थी कि कोर्ट सरकार को सही नाम ही लिखने का निर्देश जारी करें.
सरकार की तरफ से कहा गया कि जनहित याचिका पोषणीय नहीं है. आदित्यनाथ को प्राइवेट कैपेसिटी से पक्षकार बनाया गया है. इस कारण किसी प्राइवेट व्यक्ति के खिलाफ याचिका पोषणीय नहीं है. हाईकोर्ट रूल्स के मुताबिक याची ने अपना क्रेडेंशियल स्पष्ट नहीं किया है इस कारण भी याचिका खारिज किए जाने योग्य है.
अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने कहा की याची ने सस्ती लोकप्रियता के उद्देश्य से जनहित याचिका दाखिल की है. इस कारण भी यह खारिज किए जाने योग्य है. याचिका में योगी आदित्यनाथ के अलावा भारतीय चुनाव आयोग, भारत संघ, चीफ सेक्रेट्री उत्तर प्रदेश को भी पक्षकार बनाया गया था.
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