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राज्य विधि अधिकारियों की सूची जारी, एक अपर महाधिवक्ता सहित 841 अधिकारी हटाए गए

यूपी सरकार ने इलाहाबाद हाई कोर्ट की प्रयागराज प्रधान पीठ और लखनऊ खंडपीठ में नए राज्य विधि अधिकारियों की सूची जारी कर दी है.

इलाहाबाद हाई
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Published : Aug 2, 2022, 10:54 PM IST

प्रयागराज: प्रदेश सरकार ने इलाहाबाद हाई कोर्ट की प्रयागराज प्रधान पीठ और लखनऊ खंडपीठ में नए राज्य विधि अधिकारियों की सूची जारी कर दी है. इससे पहले एक अपर महाधिवक्ता सहित 841 राज्य विधि अधिकारियों को पद से हटा दिया गया. फिलहाल 602 नए राज्य विधि अधिकारी नियुक्त किए गए हैं.

राज्य के विधि और न्याय विभाग की तरफ से मंगलवार को जारी सूची के अनुसार प्रयागराज प्रधान पीठ में 386 और लखनऊ पीठ में 226 (कुल 602 राज्य विधि अधिकारियों को) आबद्ध (नियुक्त) किया गया है. हटाए गए प्रमुख लोगों में अपर महाधिवक्ता विनोद कांत भी शामिल हैं. दो मुख्य स्थायी अधिवक्ताओं को हटाकर अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता बना दिया गया है. प्रधान पीठ से 505 और लखनऊ खंडपीठ के 336 राज्य विधि अधिकारियों की आबद्धता समाप्त की गई है. विधि विभाग के विशेष सचिव निंकुज मित्तल की तरफ से जारी सूची में ऐसे भी नाम हैं, जो चार जगह हैं. कुछ स्थायी अधिवक्ताओं के लिए कहा जा रहा है कि वह 10 वर्ष का अनुभव नहीं रखते. भाजपा राज्य कार्यकारिणी के एक सदस्य को भी सूची में जगह नहीं मिल सकी है. सूची में ऐसे भी अधिवक्ता शामिल हैं, जिनका अनुभव कम है.

यह भी पढ़ें- मथुरा शाही ईदगाह परिसर का पुरातात्विक सर्वे मामले की सुनवाई टली

योगी आदित्यनाथ सरकार के पिछले कार्यकाल में दो लोगों को अनुभव में शिथिलता बरतते हुए ज्वाइन कराया गया था. विरोधी दलों के निष्ठावान लोगों को पुरस्कृत करने से असंतोष देखा जा रहा है, किंतु कोई खुलकर सामने नहीं आ रहा. सूची में गुटबाजी का भी असर दिख रहा है. विभिन्न संगठनों की सूची को काट छांट कर अंतिम सूची तैयार की गई है. सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार तथा महाधिवक्ता अजय कुमार मिश्र द्वारा हाई कोर्ट को दिए आश्वासन के अनुसार योग्यता की परख कर सूची जारी की जानी थी. कहा जा रहा है कि किसी कमेटी द्वारा सूची को अंतिम रूप दिया गया है. इसके बावजूद सूची में खामियां कई सवाल खड़े कर रही हैं. भाजपा से जुड़े अधिवक्ताओं की अनदेखी से भी असंतोष दिखाई दे रहा है. दावा यहां तक है कि कुछ हटाए गए प्रभावी लोगों की वापसी की कवायद शुरू हो गई है.

बदलाव की वजहों का पता नहीं किन वजहों से यह बदलाव किया गया है, यह अभी पता नहीं चल पाया है. प्रधान पीठ प्रयागराज में 26 अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता हटाए गए हैं. जबिक 179 स्थायी अधिवक्ताओं की छुट्टी कर दी गई. इसी तरह सिविल साइड के 111 ब्रीफ होल्डर और क्रिमिनल साइड के 141 ब्रीफ होल्डर हटाए गए हैं. कुल 47 अपर शासकीय अधिवक्ताओं की छुट्टी कर दी गई है. लखनऊ बेंच में दो चीफ स्टैंडिंग काउंसिल की सेवाएं खत्म कर दी गई हैं. इन्हें अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता बनाया गया है. यहां 33 एडिशनल गवर्नमेंट एडवोकेट को हटाया गया है. क्रिमिनल साइड के 66 और सिविल साइड के 176 ब्रीफ होल्डर हटाए गए हैं.

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प्रयागराज: प्रदेश सरकार ने इलाहाबाद हाई कोर्ट की प्रयागराज प्रधान पीठ और लखनऊ खंडपीठ में नए राज्य विधि अधिकारियों की सूची जारी कर दी है. इससे पहले एक अपर महाधिवक्ता सहित 841 राज्य विधि अधिकारियों को पद से हटा दिया गया. फिलहाल 602 नए राज्य विधि अधिकारी नियुक्त किए गए हैं.

राज्य के विधि और न्याय विभाग की तरफ से मंगलवार को जारी सूची के अनुसार प्रयागराज प्रधान पीठ में 386 और लखनऊ पीठ में 226 (कुल 602 राज्य विधि अधिकारियों को) आबद्ध (नियुक्त) किया गया है. हटाए गए प्रमुख लोगों में अपर महाधिवक्ता विनोद कांत भी शामिल हैं. दो मुख्य स्थायी अधिवक्ताओं को हटाकर अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता बना दिया गया है. प्रधान पीठ से 505 और लखनऊ खंडपीठ के 336 राज्य विधि अधिकारियों की आबद्धता समाप्त की गई है. विधि विभाग के विशेष सचिव निंकुज मित्तल की तरफ से जारी सूची में ऐसे भी नाम हैं, जो चार जगह हैं. कुछ स्थायी अधिवक्ताओं के लिए कहा जा रहा है कि वह 10 वर्ष का अनुभव नहीं रखते. भाजपा राज्य कार्यकारिणी के एक सदस्य को भी सूची में जगह नहीं मिल सकी है. सूची में ऐसे भी अधिवक्ता शामिल हैं, जिनका अनुभव कम है.

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योगी आदित्यनाथ सरकार के पिछले कार्यकाल में दो लोगों को अनुभव में शिथिलता बरतते हुए ज्वाइन कराया गया था. विरोधी दलों के निष्ठावान लोगों को पुरस्कृत करने से असंतोष देखा जा रहा है, किंतु कोई खुलकर सामने नहीं आ रहा. सूची में गुटबाजी का भी असर दिख रहा है. विभिन्न संगठनों की सूची को काट छांट कर अंतिम सूची तैयार की गई है. सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार तथा महाधिवक्ता अजय कुमार मिश्र द्वारा हाई कोर्ट को दिए आश्वासन के अनुसार योग्यता की परख कर सूची जारी की जानी थी. कहा जा रहा है कि किसी कमेटी द्वारा सूची को अंतिम रूप दिया गया है. इसके बावजूद सूची में खामियां कई सवाल खड़े कर रही हैं. भाजपा से जुड़े अधिवक्ताओं की अनदेखी से भी असंतोष दिखाई दे रहा है. दावा यहां तक है कि कुछ हटाए गए प्रभावी लोगों की वापसी की कवायद शुरू हो गई है.

बदलाव की वजहों का पता नहीं किन वजहों से यह बदलाव किया गया है, यह अभी पता नहीं चल पाया है. प्रधान पीठ प्रयागराज में 26 अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता हटाए गए हैं. जबिक 179 स्थायी अधिवक्ताओं की छुट्टी कर दी गई. इसी तरह सिविल साइड के 111 ब्रीफ होल्डर और क्रिमिनल साइड के 141 ब्रीफ होल्डर हटाए गए हैं. कुल 47 अपर शासकीय अधिवक्ताओं की छुट्टी कर दी गई है. लखनऊ बेंच में दो चीफ स्टैंडिंग काउंसिल की सेवाएं खत्म कर दी गई हैं. इन्हें अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता बनाया गया है. यहां 33 एडिशनल गवर्नमेंट एडवोकेट को हटाया गया है. क्रिमिनल साइड के 66 और सिविल साइड के 176 ब्रीफ होल्डर हटाए गए हैं.

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