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सीएम योगी और भगवान पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाले शिक्षक की याचिका खारिज

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Published : Jun 5, 2023, 10:51 PM IST

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सीएम योगी और भगवान पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाले शिक्षक की याचिका खारिज कर दी है. आरोपी ने सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी.

High Court rejected petition
High Court rejected petition

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath), बजरंगबली, श्रीकृष्ण, राम-सीता और कांवरियों को लेकर सोशल मीडिया ( social media)पर आपत्तिजनक धार्मिक टिप्पणी करने के आरोपी अध्यापक की याचिका खारिज कर दी है.

यह आदेश न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार ने रामपुर के सुभाष चंद्र बोस इंटर कॉलेज मिलका (Subhash Chandra Bose Inter College Mila) में कार्यरत अध्यापक राजेश कुमार की याचिका पर उनके अधिवक्ता और प्रभारी शासकीय अधिवक्ता आशुतोष कुमार संड (Government Advocate in charge Ashutosh Kumar Sand) को सुनकर दिया है. याचिका में याची के खिलाफ दाखिल आरोप पत्र व निचली अदालत के सम्मन आदेश को निरस्त करने की मांग की गई थी.

सरकार की ओर से इंचार्ज शासकीय अधिवक्ता एके संड ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि सोशल मीडिया पर की गई टिप्पणी से वर्ग विशेष की भावना भड़क सकती थी. यह आरोपी का गैर जिम्मेदाराना कृत्य है. मामले के तथ्यों के अनुसार सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक टिप्पणी पढ़ने के बाद युवा वाहिनी के कार्यकर्ता खेमेंद्र गंगवार ने रामपुर के मिलक थाने में याची के विरुद्ध आईपीसी की धारा 505(2) एवं आईटी एक्ट की धारा 67 के तहत दर्ज कराई थी. विवेचना के दौरान आईपीसी की धारा 295 ए बढ़ा दी गई थी और आरोप पत्र आईपीसी की धारा 295ए, 505(2) एवं आईटी एक्ट के तहत दाखिल किया गया, जिस पर निचली अदालत ने एक जुलाई 2022 को सम्मन जारी किया था. याचिका में इस सम्मन को चुनौती दी गई थी.

इसे भी पढ़ें-अभिव्यक्ति की आजादी का मतलब भाषा के आबाध उपयोग का लाइसेंस नहीं: हाईकोर्ट

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath), बजरंगबली, श्रीकृष्ण, राम-सीता और कांवरियों को लेकर सोशल मीडिया ( social media)पर आपत्तिजनक धार्मिक टिप्पणी करने के आरोपी अध्यापक की याचिका खारिज कर दी है.

यह आदेश न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार ने रामपुर के सुभाष चंद्र बोस इंटर कॉलेज मिलका (Subhash Chandra Bose Inter College Mila) में कार्यरत अध्यापक राजेश कुमार की याचिका पर उनके अधिवक्ता और प्रभारी शासकीय अधिवक्ता आशुतोष कुमार संड (Government Advocate in charge Ashutosh Kumar Sand) को सुनकर दिया है. याचिका में याची के खिलाफ दाखिल आरोप पत्र व निचली अदालत के सम्मन आदेश को निरस्त करने की मांग की गई थी.

सरकार की ओर से इंचार्ज शासकीय अधिवक्ता एके संड ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि सोशल मीडिया पर की गई टिप्पणी से वर्ग विशेष की भावना भड़क सकती थी. यह आरोपी का गैर जिम्मेदाराना कृत्य है. मामले के तथ्यों के अनुसार सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक टिप्पणी पढ़ने के बाद युवा वाहिनी के कार्यकर्ता खेमेंद्र गंगवार ने रामपुर के मिलक थाने में याची के विरुद्ध आईपीसी की धारा 505(2) एवं आईटी एक्ट की धारा 67 के तहत दर्ज कराई थी. विवेचना के दौरान आईपीसी की धारा 295 ए बढ़ा दी गई थी और आरोप पत्र आईपीसी की धारा 295ए, 505(2) एवं आईटी एक्ट के तहत दाखिल किया गया, जिस पर निचली अदालत ने एक जुलाई 2022 को सम्मन जारी किया था. याचिका में इस सम्मन को चुनौती दी गई थी.

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