ETV Bharat / state

हाईकोर्ट का सुझाव, सोशल डिस्टेंसिंग का उल्लंघन करने वालों को जेल में न बंद करें - सोशल डिस्टेंसिंग का उल्लघंन

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोशल डिस्टेंसिंग का पालन न करने वालों के संबंध में राज्य सरकार को एक सलाह दी है. हाईकोर्ट ने कहा कि इसके बजाय कोविड-19 की गाइडलाइन के प्रति लोगों को जागरूक कर पालन कराने की प्रेरणा दी जानी चाहिए.

इलाहाबाद हाईकोर्ट.
इलाहाबाद हाईकोर्ट.
author img

By

Published : Jun 22, 2020, 3:06 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कोरोना काल के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पालन न करने वालों को जेल में बंद करने की बजाय कोविड-19 की गाइडलाइन के प्रति जागरूक कर पालन की प्रेरणा जगाने की सलाह दी है. कोर्ट ने कहा है कि प्रदेश की जेलों में पहले से भारी भीड़ है. ऐसे में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन न करने वालों को जेल भेजने से कोरोना महामारी फैलने का खतरा बढ़ सकता है.

कोर्ट ने कहा है कि प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वह कोरोना वायरस से निपटने के लिए केंद्र सरकार की गाइड लाइन का पालन करे. कोर्ट ने कहा है कि सोशल डिस्टेंसिंग का पालन न करने वालों पर एफआईआर दर्ज करने से अपराध बनता है. किंतु याची को एक मौका दिया जाए कि वो एसएसपी आगरा के समक्ष कोविड-19 की गाइडलाइन का पालन करने का आश्वासन दाखिल करे और भविष्य में ऐसी गलती न करे, जिस पर विचार कर निर्णय लिया जा सकता है.

कोर्ट ने सोशल डिस्टेंसिंग का पालन न करने पर दर्ज एफआईआर की विवेचना में सहयोग करने की शर्त पर पुलिस रिपोर्ट दाखिल होने तक याचियों की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है. यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल और न्यायमूर्ति एस डी सिंह की खंडपीठ ने ताजगंज आगरा के मुन्ना और 6 अन्य की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है. याचिका पर अधिवक्ता दिनेश कुमार मिश्र ने बहस की.

याची का कहना है कि वे लॉकडाउन के दौरान लोगों को खाने का पैकेट बांट रहे थे. इस दौरान खाने का पैकेट लेने के लिए लोगों की भीड़ आ गई. लेकिन शीघ्र ही पैकेट वितरित कर उन्हें घर भेज दिया गया. इसी बीच पुलिस ने बिना तथ्य का पता लगाए याची के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर दी.

कोर्ट ने कहा है कि इसमे कोई संदेह नहीं है कि सामूहिक रूप से सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर कोविड-19 के प्रकोप से बचा जा सकता है. हर नागरिक को सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार कार्य करना चाहिए. लोगो में बचाव के उपायों की जानकारी और पालन करने के प्रति जागरूकता पैदा करना बेहद जरूरी है.

इसे भी पढे़ं- नहीं मिल रही सरकार की मदद, ईंट भट्ठे पर काम करने को मजबूर प्रवासी

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कोरोना काल के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पालन न करने वालों को जेल में बंद करने की बजाय कोविड-19 की गाइडलाइन के प्रति जागरूक कर पालन की प्रेरणा जगाने की सलाह दी है. कोर्ट ने कहा है कि प्रदेश की जेलों में पहले से भारी भीड़ है. ऐसे में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन न करने वालों को जेल भेजने से कोरोना महामारी फैलने का खतरा बढ़ सकता है.

कोर्ट ने कहा है कि प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वह कोरोना वायरस से निपटने के लिए केंद्र सरकार की गाइड लाइन का पालन करे. कोर्ट ने कहा है कि सोशल डिस्टेंसिंग का पालन न करने वालों पर एफआईआर दर्ज करने से अपराध बनता है. किंतु याची को एक मौका दिया जाए कि वो एसएसपी आगरा के समक्ष कोविड-19 की गाइडलाइन का पालन करने का आश्वासन दाखिल करे और भविष्य में ऐसी गलती न करे, जिस पर विचार कर निर्णय लिया जा सकता है.

कोर्ट ने सोशल डिस्टेंसिंग का पालन न करने पर दर्ज एफआईआर की विवेचना में सहयोग करने की शर्त पर पुलिस रिपोर्ट दाखिल होने तक याचियों की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है. यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल और न्यायमूर्ति एस डी सिंह की खंडपीठ ने ताजगंज आगरा के मुन्ना और 6 अन्य की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है. याचिका पर अधिवक्ता दिनेश कुमार मिश्र ने बहस की.

याची का कहना है कि वे लॉकडाउन के दौरान लोगों को खाने का पैकेट बांट रहे थे. इस दौरान खाने का पैकेट लेने के लिए लोगों की भीड़ आ गई. लेकिन शीघ्र ही पैकेट वितरित कर उन्हें घर भेज दिया गया. इसी बीच पुलिस ने बिना तथ्य का पता लगाए याची के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर दी.

कोर्ट ने कहा है कि इसमे कोई संदेह नहीं है कि सामूहिक रूप से सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर कोविड-19 के प्रकोप से बचा जा सकता है. हर नागरिक को सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार कार्य करना चाहिए. लोगो में बचाव के उपायों की जानकारी और पालन करने के प्रति जागरूकता पैदा करना बेहद जरूरी है.

इसे भी पढे़ं- नहीं मिल रही सरकार की मदद, ईंट भट्ठे पर काम करने को मजबूर प्रवासी

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.